Friday, 4 March 2016

पाँच बातों का ज्ञान !!!!

दोस्तों आप सब को मेरा नमस्कार ,आदाब , प्रणाम एवम स्नेह ! पहले तो मेरे उन सभी दोस्तों और प्यारे बच्चो से माफ़ी।जिनको मैं अपनी व्यस्ता की वजह से, जन्मदिन या फिर शादी की सालगिरह की शुभकामनाएँ नही दे पाई।व्यस्तता कहे या शादी की मौज -मस्ती या फिर घरवालो -दोस्तों से बतियाना।समय का पता ही नही चलता था।पर अच्छा हुआ, इन दिनों मुझे  "पाँच"  बातो का ज्ञान प्राप्त हुआ।पहली ये कि - फोन या तो बहुत व्यस्त लोगो के काम की चीज़ या फिर आशिक लोगो के लिए।दूसरा ज्ञान - इन्टरनेट एकांतवासी ,ज्ञानी ,समीक्षक या फिर बेकार लोगो के लिए है।रुकिए -रुकिए आप लोगो से नम्र निवेदन है ,अभी की लाइन में से ज्ञानी और समीक्षक खुद समझे बाकी की उपमा मेरे लिए है।क्या करे लिखना पड़ता है ये सब।कौन जाने किसको कौन सी बात बुरी लग जाए।काहे कि है तो हम "हिन्दुस्तानी " .तीसरा ज्ञान  - क्यों ना हम "हिन्दुस्तान" का नाम "नौटंकीस्तान" रख दे ? अरे ! खबरदार गुस्ताख़ लड़की ,देशद्रोही  हिम्मत कैसे हुई ये लिखने की ? पर इसमें गलत क्या लिखा है ? हिन्दुस्तान में रोज की नौटंकी ,हो -हल्ला को देख कर ही तो ऐसा विचार आया।माफ़ी चाहूँगी मुझे देशद्रोही ना समझे।जहाँ इतना कुछ पढ़ -सुन रहे है ,उसके हिसाब से ये उपमा क्या गलत लगता है आपको ? शतेश के भाई की शादी थी।शादी की वजह से कुछ दिन लगभग 10 -15 दिन समाचार की दुनिया से अलग थी।एक दिन यूँ ही फेसबुक देखा तो "रोहित वेमुला" , "कन्हैया कुमार"की खबरों से भरा पड़ा था।इंटरनेट स्लो था।ठीक से पढ़ नही पाई।बेचैनी इतनी कि न्यूज़ चैनल लगाया कि, आखिर कौन हैं ये लोग ? तभी जाट आन्दोलन की खबरें आ रही थी।भाई से बात की ,फिर इनके बारे में मालूम हुआ।फिर कुछ दिनों में "श्रीमती स्मृति ईरानी जी" का भाषण और फिर बवाल।योग्यवान युवा नेता "श्री राहुल गाँधी जी" का भाषण फिर बवाल ,साथ ही जबाबी भाषण माननीय ,सर्वोपरी "प्रधानमंत्री जी" का फिर बवाल।आखिर इतना बवाल क्यों "?" इन सबके बीच एक और घटना घटी बिना किसी सम्बोधन के एक साधारण महिला "सोनी सोरी" के साथ।इनके बारे में कही -कही ही कुछ लिखा गया था।अगर आप इन्हे जानते है तो ठीक नही तो एक बार समय निकाल कर गूगल जरूर करे।अब जिस देश में हर मौत की खबर एक दलित या अल्पसंख्यक से जोड़ी जाती हो।जहाँ मिडिया ,नेता ,डॉक्टर ,शिक्षक, छात्र ,किसान ,आम जनता यहाँ तक की "मौत "भी नौटंकी का हिस्सा हो उसे और क्या कहे ? छोडो गुस्सा और दुःख तपस्या ,अपने चौथे ज्ञान के बारे में बताओ।भारत की जनता सब सहने और भूलने की हिम्मत रखती है।तुम भी भूल जाओगी।तो चौथा ज्ञान - मुझे मेरे विरह गीतों के संदर्भ में मिला।विरह गीतों की भी परीक्षा हो गई।नतीजा ये निकला की ,इतना विरह नही होता कि ,दिन -रात रोते रहे।वो तो गीतों का असर होता है ,संगीत का जादू होता है।हो सकता मेरा विरह काल छोटा था।पता था शतेश आने वाले है।ढेरो लोग थे ,शतेश का कॉल आते रहता था।तो दुःख थोड़ा कम हुआ।" हाँ हुआ जरूर था " जब शतेश शादी में आये थे ,सब खुश थे, पर मै कुछ ज्यादा ही थी।शतेश के शादी से आ जाने के बाद , मुझे इनकी याद ज्यादा आई।अभी ऐसा था कि ,जब मै अमेरिका जाऊ तभी मुलाकात होती।मै कुछ दिनों के लिए मायके गई थी।सरस्वती पूजा थी।सरस्वती पूजा की दिन मैंने काँच की चूड़ियाँ पहन रखी थी।बिहार में इस दिन पीले रंग की चूड़ियाँ और पीले कपड़े पहनते है।मेरी माँ भी मेरे लिए चूड़ियाँ और ड्रेस लेकर आई थी।
अगले दिन मुझे ससुराल जाना था। मैं उन्ही चूड़ियों में ससुराल पहुँची।जब भी कुछ करती चूड़ियाँ बज उठती। मेरी सासू माँ ने मजाक में कहा "का हो तपस्या तोहर चूड़ी एतना काहे बाजता।शतेश त बा विदेश " उनका ईतना कहना था ,और मै रो पड़ी।शायद यही विरह हो।शतेश की बचपन की बाते सुन कर शरमाना या खुश होना यही विरह हो।लगभग हर तीसरे -चौथे बात में शतेश की बात करना यही विरह हो।दूसरी और शतेश तो अपने मैरिड बैचलर दोस्तों के साथ मस्ती कर रहे थे।संयोग ऐसा था ,कि इनके एक दोस्त को छोड़ सबकी बीबियाँ इंडिया गई थी।इनलोगो का घूमना फिरना जारी था।मैंने शतेश से पूछा तुम मुझे बिल्कूल याद नही करते ना ? शतेश का जवाब -अरे ऐसा नही है तपस्या ,मेरा गुड मॉर्निंग और गुड नाईट तुम्ही से शुरू होता है।बताओ एक दिन भी मैंने गुड मॉर्निंग और गुड नाईट कहना मिस किया हो ? मुझे थोड़ा गुस्सा आया, मैंने कहा -वाह कितना रोमांटिक शब्द है ना ये ? शतेश बोले बाबू सुबह के प्रणाम और रात के प्रणाम से ज्यादा और रोमांटिक क्या हो सकता है ? मै हँसते -हँसते बेहाल हो गई।तभी माँ भी हँसी सुनकर आ गई।बोली सोना नही है?और इसके बाद मुझे पाँचवा ज्ञान प्राप्त हुआ की गुड नाईट और गुड मॉर्निंग एक रोमांटिक शब्द हैं।खैर आगे और भी खट्टी -मीठी बाते होंगी। कुछ शादी के बारे में ,कुछ दोस्तों और घरवालो के बारे में।अब भी अगर आप मेरा विरह को समझना चाहते है तो "सुजात हुसैन खान" की आवाज और उनके सितार के साथ "आमिर खुसरो "जी के ये गीत जरूर सुने। 

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