फ़िज़िक्स की क्लास चल रही थी ।ब्लैक होल की कहानी शुरू हुई ।उस कहानी से एक नाम जुड़ा”स्टीफ़ेन हॉकिंस “।
हमलोगो ब्लैक होल के जादू में अटके थे ,”बातें कर रहे थे कि क्या सच में ऐसी कोई जगह है ,जहाँ जाकर वापस ना आया जा सके ।कैसा होगा क्षितिज का मंज़र?
तभी एक लड़के ने कहा “सर मर के भी तो वापस नही आ सकते ,और क्लास ठहाकों से भर गया ।मास्टर साहब भी हँसी के गुरुत्वाकर्षण में फँस गए ।
हमलोगो ब्लैक होल के जादू में अटके थे ,”बातें कर रहे थे कि क्या सच में ऐसी कोई जगह है ,जहाँ जाकर वापस ना आया जा सके ।कैसा होगा क्षितिज का मंज़र?
तभी एक लड़के ने कहा “सर मर के भी तो वापस नही आ सकते ,और क्लास ठहाकों से भर गया ।मास्टर साहब भी हँसी के गुरुत्वाकर्षण में फँस गए ।
उस दिन पहली बार मुझे स्टीफ़ेन हॉकिंस के बारे में जानकारी मिली ।अभी आश्चर्य के जाल से निकली भी ना थी कि ,मालूम हुआ हॉकिंस साहब को एक ऐसी बीमारी है ,जिसकी वजह से वो ना चल सकते है ना बोल सकते है ।उनके शरीर का अधिकांश भाग निष्क्रिय है ।सिर्फ़ अपने दिमाग़ और हाथ कि कुछ उँगलियों से चमत्कार कर रहे है ,फ़िज़िक्स के क्षेत्र में ।उस दिन से कई दिन तक इनके बारे में सोचती रही ।
फिर कुछ सालों बाद उनके ऊपर बनी एक डॉक्युमेंट्री देखी ।उसके बाद कही न्यू में पढ़ा कि उनकी नर्स उनको पीड़ित करती है ।इसके बाद उनको भूल सी गई ।
उनको याद दिलाती एक फ़िल्म आई “द थियरी आउफ़ एवरीथिंग “देख कर कई बार रोई ।सिनेमा हॉल से बाहर आने पर शतेश राम से कई बातों पर चर्चा हुई ।कुछ विज्ञान कि तो कुछ इनके प्रेम की तो कुछ अपने ।
पर बात वहीं है ,फ़िल्म तो फ़िल्म होती है ।बाद में गूगल से मालूम हुआ कि उनका पारिवारिक जीवन इतना आसान नही था ।सच में हो भी कैसे सकता है ।बड़ी सहनशीलता चाहिए ।जितने साल भी उनकी पत्नी उनके साथ रही ,सच में वे साल सहस और प्रेम का हीं उदाहरण है ।फिर एक नर्स के लिए पत्नी को छोड़ना और नर्स से प्रताड़ित होना ये भी एक अलग प्रेम हीं था ।
इन सबसे अलग ये फ़िल्म इतनी ख़ूबसूरत ढंग से बनाई गई है कि आपको इसके हर चीज़ से प्यार हो जाएगा ।सच में कल्पनाओं वाला प्रेम अद्भुत हीं होता है ।स्टीफ़ेन के रोल में “एडी रेडमेन “ में बहुत हीं अच्छा काम किया है ।कई बार फ़िल्म देखते हुए आप फ़िज़िक्स भूल जातें है ।रह जाता है तो सिर्फ़ प्रेम।
#स्टीफ़ेन हॉकिंस के जन्मदिन पर ।