Tuesday, 8 January 2019

स्टीफ़ेन हॉकिंस के जन्मदिन पर !!!

फ़िज़िक्स की क्लास चल रही थी ।ब्लैक होल की कहानी शुरू हुई ।उस कहानी से एक नाम जुड़ा”स्टीफ़ेन हॉकिंस “।
हमलोगो ब्लैक होल के जादू में अटके थे ,”बातें कर रहे थे कि क्या सच में ऐसी कोई जगह है ,जहाँ जाकर वापस ना आया जा सके ।कैसा होगा क्षितिज का मंज़र?
तभी एक लड़के ने कहा “सर मर के भी तो वापस नही आ सकते ,और क्लास ठहाकों से भर गया ।मास्टर साहब भी हँसी के  गुरुत्वाकर्षण में फँस गए ।
उस दिन पहली बार मुझे स्टीफ़ेन हॉकिंस के बारे में जानकारी मिली ।अभी आश्चर्य के जाल से निकली भी ना थी कि ,मालूम हुआ हॉकिंस साहब को एक ऐसी बीमारी है ,जिसकी वजह से वो ना चल सकते है ना बोल सकते है ।उनके शरीर का अधिकांश भाग निष्क्रिय है ।सिर्फ़ अपने दिमाग़ और हाथ कि कुछ उँगलियों से चमत्कार कर रहे है ,फ़िज़िक्स के क्षेत्र में ।उस दिन से कई दिन तक इनके बारे में सोचती रही ।
फिर कुछ सालों बाद उनके ऊपर बनी एक डॉक्युमेंट्री देखी ।उसके बाद कही न्यू में पढ़ा कि उनकी नर्स उनको पीड़ित करती है ।इसके बाद उनको भूल सी गई ।

उनको याद दिलाती एक फ़िल्म आई “द थियरी आउफ़ एवरीथिंग “देख कर कई बार रोई ।सिनेमा हॉल से बाहर आने पर शतेश राम से कई बातों पर चर्चा हुई ।कुछ विज्ञान कि तो कुछ इनके प्रेम की तो कुछ अपने ।
पर बात वहीं है ,फ़िल्म तो फ़िल्म होती है ।बाद में गूगल से मालूम हुआ कि उनका पारिवारिक जीवन इतना आसान नही था ।सच में हो भी कैसे सकता है ।बड़ी सहनशीलता चाहिए ।जितने साल भी उनकी पत्नी उनके साथ रही ,सच में वे साल सहस और प्रेम का हीं उदाहरण है ।फिर एक नर्स के लिए पत्नी को छोड़ना और नर्स से प्रताड़ित होना ये भी एक अलग प्रेम हीं था ।

इन सबसे अलग ये फ़िल्म इतनी ख़ूबसूरत ढंग से बनाई गई है कि आपको इसके हर चीज़ से प्यार हो जाएगा ।सच में कल्पनाओं वाला प्रेम अद्भुत हीं होता है ।स्टीफ़ेन के रोल में “एडी रेडमेन “ में बहुत हीं अच्छा काम किया है ।कई बार फ़िल्म देखते हुए आप फ़िज़िक्स भूल जातें है ।रह जाता है तो सिर्फ़ प्रेम।
#स्टीफ़ेन हॉकिंस के जन्मदिन पर ।

Monday, 7 January 2019

शैतान !!!!

आज मैं आपसबको ख़लील जिब्रान की एक कहानी सुनाती हूँ। एक ऐसी कहानी ,जो मुझे लगता है हर परिवेश पर लागू हो सकती है।
कहानी शुरू होती है “लेबनान के एक पादरी से ।”पादरी गाँव -गाँव घूम कर धर्म का उपदेश देता है ।लोगों को शैतान के जाल से बचने का रास्ता बताता है ।लोग भी उसकी बात बड़ी श्रद्धा से सुनते है।इसके एवज में अपनी शक्तिअनुसार धन -अन्न,फल मूल पादरी को दे देते है।
ठंड की एक शाम पादरी ,एक गाँव कि तरफ़ जा रहा होता है ।पहाड़ियों -घाटियों को पार करते हुए वो चला जा रहा है ,तभी उसे किसी की चीख़ सुनाई देती ।रुक कर वो ,चीख़ आती खाई कि तरफ़ देखता है।उसे वहाँ एक व्यक्ति ख़ून से लतपथ ,नंग -धडग अवस्था में दिखता है ।पादरी से सहयता और जीवन बचाने की गुहार लगाता है।पादरी को लगता है कि ,यह व्यक्ति राहगीरों को लूटने वाला लुटेरा हो सकता है ।लगता है लूट के दौरान हाथ पाई हुई और ये मरने की अवस्था में पहुँच गया है ।अगर किसी ने मुझे इसके पास देख लिया तो इसकी मृत्यु का कारण मुझे हीं समझेंगे ,ये सोच कर पादरी उसकी सहयता किए बिना जाने लगा ।

पादरी कुछ क़दम आगे गए होंगे कि उन्हें फिर से उस मरणसन्न व्यक्ति की करूण आवाज़ सुनाई दी ,”रुको पादरी ।हम दोंनो गहरे मित्र हैं।मेरे पास आओ मेरी मदद करो ।”
पादरी सोच में पड़ गया ।वो घायल व्यक्ति के पास जाकर फिर से उसे ठीक से देखता है ।उस व्यक्ति में उसे कपट,कुरूपता ,नम्रता और बुद्धिमता का मिश्रण देख वो पूछ ,”तुम बहुत धूर्त हो ।मैं तुम्हें पहले कभी नही देखा ।”

पीड़ित व्यक्ति ने दर्द भरे स्वर में कहा ,”तुमने मुझे हज़ार बार देखा है ।तुम मेरे बारे में रोज बात करते हो ।तुम मुझे अपने जीवन से भी अधिक प्रेम करते हो ।”
पादरी क्रोधित हो गया ,बोला अगर तुमने अभी सच नही बताया तो मैं इसी क्षण तुम्हें छोड़ कर चला जाऊँगा ।

घायल व्यक्ति एक कुटिल मुस्कान के साथ बोला “मैं शैतान हूँ ।”
पादरी काँप उठा ।उसका भयानक रूप देख कर बोले “तेरी इस घृणित छवि का ईश्वर अंत कर दे सदा के लिए ।”

शैतान कराह कर बोला ,”तुम नही जानते तुम क्या कह रहे हो “ये बात मैं बाद में बताऊँगा पहले अपनी हालत के बारे में बता दूँ ।मैं इस सुनसान घाटी में घूम रहा था कि ,फरिश्तों ने मुझ पर हमला कर दिया ।यदि घालय होकर मैंने मरने का नाटक ना किया होता तो आज मेरी मृत्यु थी ।
पादरी उसको बात सुनकर ख़ुश हो रहा था ।शैतान ने फिर कहा “मेरी हार पर तुम ख़ुश हो रहे हो जबकि मैं सदैव हीं तुम्हारी सुख -शांति का स्त्रोत हूँ ।
“तुमने मेरे अस्तित्व के बहाने अपनी जीविका चलाते हो “मेरी सत्ता का भय दिखा कर तुमने निष्कपट लोगों से धन ऐंठा है ।”
***क्या तुम नही जानते कि मेरे अंत से तुम्हारा क्या होगा ?जब लोग जान जायेंगे कि शैतान का अंत हो गया ,तो वे तुमसे क्या लेंगे ?एक पादरी हो कर भी तुम यह नही सोच पाते कि केवल शैतान के अस्तित्व ने हीं तुम्हारे मंदिर का निर्माण किया है ।तुम मुझे मारता कैसे छोड़ सकते हो ,जबकि तुम्हारी सारी प्रतिष्ठा ,मंदिर ,घर जीविका मुझसे हीं है ।
मेरा अस्तित्व तो आदि काल से है ।”मनुष्य दो शक्तिशाली शक्तियों के बीच फँसा है ।एक जिसकी शरण में उसे जाना है ,दूसरा जिससे उसे लड़ना है ।”
मनुष्य कभी नही जान सका कि पूजा या निंदा का अर्थ क्या है ?वह तो ऐसी स्थिति में है कि गरमी में खिलता है ठंड में मुरझा जाता है ।मैं एक गूँगा तूफ़ान हूँ जो पुरुष के दिमाग़ और नारी के मन को झकझोर देता हूँ ।मुझसे राहत पाने के लिए वे मंदिर मठ का दौरा करने लगते है या फिर किसी बुरे स्थान पर जाकर मेरी आगे आत्म समर्पण कर देते है ।

भय की नीव पर खड़ा मैं हीं मठों,धर्मों का निर्माता हूँ ।मैं हीं आनंद ,लालसा ,भोग -विलास हूँ ।यदि मैं ना रहा तो विश्व से भय का अंत हो जाएगा ।फिर मनुष्य की सारी आकाँक्षायें भी ना होंगी ।जीवन नीरस ,खोखला हो जाएगा ।

क्या तुम चाहते हो पादरी मेरी मौत से मनुष्य जाति कि गति -इक्षाएँ भी मेरे साथ मर जाए ?ऐसा कह कर शैतान ने पादरी की तरफ़ अपनी बाँहेंफैला दी ।अब तुम पर है कि तुम मुझे मारता छोड़ जाओगे या मेरे घावों पर मरहम लगाओगे ।

पादरी व्याकुल हो कर कहा ,” मुझे माफ़ कर दो ।तुम्हारा जीवित रहना ज़रूरी है ।तुम नही रहे तो पाप ,लालच का अंत हो जाएगा ।लोग पूजा -अर्चना ,दया ,माफ़ी सब भूल जाएँगे ।
“तुम्हें जीवित रहना होगा कारण तुम्हारे जीवन हीं मनुष्यों के मुक्ति का द्वार है ।”
इसके साथ हीं पादरी ने शैतान को अपने कंधे पर उठा लिया ।उसकी बोझ से उनकी कमर झुकती जा रही है ।उनके होंठों पर शैतान के जीवन की प्रार्थना चल रही है ।