Monday 19 October 2015

भाई ,उसके दोस्त और मार्क्सवादी !!!

हमारी यात्रा का अगला दिन शुरू होता है।मैं ,शतेश वीसा स्टाम्पिंग के लिए दिल्ली में रुके थे।वीसा स्टाम्पिंग के प्रॉसेस के साथ दोस्तों से मिलना -जुलना भी जारी रहा।फिंगर प्रिंटिंग के बाद हमें अपने एक फैमिली फ्रेंड निक्की और आशीष से मिलना था।भाई भी अपने कुछ दोस्तों से हमे मिलाना चाह रहा था।या यूँ कह ले काफी दिन बाद दिल्ली आया था।तो उसे भी अपने दोस्तों से मिलना था।उसने सोचा होगा एक साथ दोनों मसले निपट जायेगे।दीदी भी गुस्सा नही होगी और दोस्तों से मुलाकात भी हो जाएगी।वजह तो वही बेहतर बता सकता है ,पर मुझे उसके दोस्तों से मिल कर बहुत ख़ुशी हुई।कही ना कही उन्हें समझने की कोशिश करती हुई ,आत्म संतुष्टि का अनुभव कर रही थी।वरना ये दो साल मैंने कैसे -कैसे कल्पनाओ में काटे है ,ये मुझसे बेहतर कोई नही समझ सकता।ये भी हो सकता है ,भाई मेरी चिंता को कही ना कही समझ रहा था।इसलिए अपने दोस्तों से मुझे मिलवा रहा था।मैक्डॉनल्स में बैठी हुई मैं ,उस वक़्त दो तरह की नई युवा पीढ़ी को देख रही थी ,सुन रही थी और समझ रही थी।एक तरफ आशीष ,निक्की ,शतेश ,साकेत जी दूसरी तरफ मेरा भाई ,दीपक जी ,विष्णु जी और अनुराग जी।विष्णु जी ? अरे भाई मैंने किसी भगवान का नाम नही लिखा।ये एक व्यक्ति है।जिनका पेशा बँसी बजाना या सहस्त्र रानियों के बावजूद सिर्फ लक्ष्मी से पैर दबवाना नही।हाँ चक्र चलाने जैसा कलम चलाना जरूर है।संयोग से सिर्फ नाम एक जैसे है।अब इसपे बवाल मत कीजियेगा।की हिम्मत कैसे हुई हमारे विष्णु जी को मेक्डॉनल्स में बैठे हुए कहने की ? जाने वहाँ गौ मांस बिकता हो ?विष्णु जी तो गाय के सेवक थे।सच्चाई तो मालूम नही पर ऐसा मैंने  भी अपनी आँखों से देखा है।महाभारत या कृष्णा सीरियल में।सचाई तो साक्षी महाराज या कोई गोभक्त ही बता सकते है।कारण वे ही सिर्फ हिन्दू है।भगवान से उनका डायरेक्ट सम्बन्ध है।देखो फिर मैं मुद्दे से भटक गई।तो विष्णु जी और अनुराग जी बैठे हुए थे।मैं इन दोनों ग्रुप की डरेर पर थी।दोनों तरफ की बाते सुन रही थी।देख रही थी ,कही एक ग्रुप गरीब बच्चो के भविष्य की सोच रहा था , तो दूसरा ग्रुप कहाँ फ्लैट या जमीन लिया जाय सोच रहा था।एक ग्रुप साधारण कपड़ो में।अपने खुशियो को छोड़ भारत की राजनीती, अपनी "कीमती सोच " से सवारने की कोशिश में लगा है ,तो दूसरा ग्रुप "माइकल कोर की पर्स ","कीमती घडी" ,"सगाई के ख़ुशी" में झूम रहा है।एक ग्रुप को लग रहा था की दूसरे ग्रुप के युवा पढ़े -लिखे होने के वावजूद अपना भविष्य अंधकारमय कर रहे है।तो वही दूसरे ग्रुप को लग रहा था ,की पढ़ -लीखकर आप सिर्फ पैसे छाप रहे है।मेरी कोशिश यही थी कि ,दोनों ग्रुप को समान इम्पोर्टेंस मिले। क्यों ? अरे भाई सारा मामला तो इम्पोर्टेंस और पद लोभ ही है ना।खैर भाई के दोस्त मेरे भी भाई सरीखे।उनसे भी मैं अपनेपन जैसी बात -चीत करने लगी।वैसे भी गंभीर मैं सिर्फ अपने सोच या पढ़ने /लिखने के वक़्त ही होती हूँ।इसी बीच थोड़ी मार्क्सवाद की चर्चा होने लगी।मेरे देवर (पति के छोटे भाई ) को लगा मेरे भाई और उनके दोस्तों की सोच मार्क्सवादी है।शतेश, आशीष और निक्की बातो में व्यस्त थे।इधर सिर्फ विष्णु जी नाम का फायदा लेते हुए , सारे महाभारत का सिर्फ मज़ा ले रहे थे।बाकी जन मेरे देवर पर बातो के विरोध के साथ टूट पड़े थे। आपलोगो से अनुरोध है ,बस मुझे इस गौ हत्या से बचाइयेगा।ये ना पूछियेगा कौन दल पांडव और कौन सा दल कौरव था।लो यहां भी गौ माता आ गई।तो चलिए कृप्या पढ़ते समय गौ की जगह मनुष्य हत्या जोड़ लीजियेगा।खैर थोड़ा माहौल को खुशनुमा बनाने की कोशिश में दीपक जी को मैं चुप रहने को कहती हूँ।पर भाई जानकार लोगो की भी एक ख़ासियत होती है।जबतक सारा ज्ञान पिला ना दे ,रुकते ही नही :) मामले को देखते हुए , मैं मजाक में दीपक जी को भागने को कहती हूँ।ये दुहाई देते हुए की मेरा तलाक ना करवाये।मेरा भाई भी स्थिति को समझते हुए ,बातो को नया मोड़ देता है।हो सकता हो उस वक़्त भाई के बुद्धिजीवी दोस्त मुझे ,डरपोक या साधारण लड़की समझ रहे हो(जो की मैं हूँ :)।उन्हें ये भी लग रहा हो ,कहाँ उज्जवल भाई कहाँ तपस्या दीदी।पर कभी -कभी अपनों से हारने का मजा ही कुछ और होता है।जरुरी नही हर वक़्त या हर व्यक्ति के सामने आपनी  बुद्धिमता प्रदर्शित की जाय।अपने देवर को अकेले देखते हुए ,उस वक़्त मुझे माँ की सीख याद आई।सुखी व्याहिक जीवन का राज पति के घरवालो को अपना बना लेना है।वरना पति दो पाटो में पिसेगा और साथ में तुम भी।मैंने आपको भी व्याहिक जीवन का टॉनिक दे दिया।अगर व्यवाहिक है तो ,समय अनुसार लेते रहे।साथ ही अलग -अलग तरह के लोगो से मिलते रहिए ,उन्हें सुनिए ,उनको समझिए।और ख़बरदार  जो किसी को "मार्क्सवादी" कहा।कहने के पहले कृपया "मार्क्स " की किताबो को जरूर पढ़े।अपने देवर को तो मैंने दीपक ,अनुराग जी से बचा लिया रिश्ते की दुहाई दे।पर आपको तो खुद बचना है इस नए  " हिन्दु " स्तान से !!

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