Monday, 4 January 2016

एक चिठ्ठी अविका के नाम !!!

प्रिय अविका ,
जन्मदिन की बहुत -बहुत बधाई।ढ़ेर सारा प्यार और मंगलकामनाये।मेरे सभी दोस्तों ,शुभचिंतको और ख़ाश कर तुम्हे भी नव वर्ष की ढ़ेरो शुभकामनाये।वैसे तो तुम्हारा जन्मदिन तो 3 जनवरी था।फिर भी मुझे लगा 2016 के नए कलम की शुरुआत ,तुम्हारे जन्मदिन के लेख से बढ़ कर क्या होगा ? तुम्हे धन्यवाद भी कहना था।तुम्हारी वजह से हमने अपना बचपन फिर से जिया।बचपन कभी लौट के तो नही आता।पर हम हमेशा अपने अंदर के बच्चे को जिन्दा रखते है।भगवान से यही प्रार्थना है ,तुम्हारा बचपन खुशियो भरा हो।ढेर सारे दोस्त  मिले खूब एन्जॉय करो।हमेशा अपने अन्दर के बच्चे को जिन्दा रखो।अभी तुम बहुत छोटी हो।जब तुम पढ़ने लगोगी।किसी दिन मेरे इस ब्लॉग को पढ़ कर मुस्कुराओगी।और मै जहाँ कही भी रही तुम्हारी मुस्कुराहट को महसूस करुँगी।तुम्हारा जन्मदिन "चिकी चीज़" में मनाया जा रहा था।मैं और शतेश यहाँ पहली बार आये थे।बच्चो के खेलने के लिए बहुत सारे गेम्स थे।वैसे तो पार्टी तुम्हारी थी ,पर शायद तुम ज्यादा लोगो को देख डर गई थी।किसी के पास नही जा रही थी।बस अपनी माँ की गोद में बैठी दूर से ही सबको स्माइल दे रही थी।तुम लाल रंग के फ्रॉक में बिलकुल गुड़िया लग रही थी।सॉरी मै डॉल लिख देती हूँ।वरना तुम भी बड़ी होकर आरव की तरह बोलोगी गुड़िया नही पस्या ऑन्टी डॉल :)पार्टी में तुम्हारे दोस्त से ज्यादा तुम्हारे पापा और मम्मी के दोस्त थे।अरे - अरे इसमें उदास होने की कोई बात ही नही।नेहा दीदी तो थी ना।वो क्या है ना ,नव्या दीदी ,शनाया ,आरव,आयना सब तुम्हे दूर से ही विश कर रहे थे।आरव और आयना इंडिया गए है।नव्या और शनाया कैलिफोर्निया।तुम्हारे दोस्त नही तो क्या हुआ ? तुम्हारे जन्मदिन पर हम बड़े ही बच्चे बन गए थे।मै ,शतेश अंकल ,विवेक अंकल ,अवधेश अंकल सब खूब एन्जॉय कर रहे थे।हमने छोटू वाली बॉलिंग की ,आग बुझाने वाली गेम खेली ,बास्केट बॉल खेला ,एक पानी वाला भी गेम खेला।जिसे विवेक अंकल सूसू गेम कह के हँस रहे थे।शेम -शेम पापा के दोस्त बड़े होके भी बच्चो वाली बाते करते है।तुम यही सोच कर हँस- हँस के लोट -पोट हो रही हो ना ? हँस लो तुम्हारी हँसी के लिए हम फिर से बच्चे बनने को तैयार है।हमने गेम्स में बहुत सारी पॉइंट्स वाली टिकेट भी जीती।अविका डिअर ऐसा नही है ,कि तुम बच्चे ही गेम्स अच्छा खेलते हो।हमलोग भी कम नही।और मालूम है ,खाने में क्या था ? मेरा फेवरेट पिज़्जा यपीई :) पार्टी का टाइम ऑवर हो गया था।तुम्हारे पापा और भी गेस्ट के साथ थे।आखिर पार्टी उन्ही को मैनेज करनी थी ना।और गेस्ट के जाने के बाद वो हमारे पास आये और बोले ,भाईयो घर नही चलना ? पार्टी टाइम खत्म हो गया है।सबने कहा हाँ चलते है।पर मै वहाँ से आना नही चाह रही थी।तुम्हे बाद में मालूम होगा "बड़े" होकर कितना नुकसान होता है।तुम जिद्द भी एक हद तक ही कर सकते हो।तुमलोगो जैसा नही ,जमीन पर लेट -लेट कर रोने लगे और माँ -बाप से जिद्द पूरी करवा ली।वैसे भी यहाँ कहाँ थी मेरी "माँ " जिससे मै जिद्द करती।थे तो बस कुछ अरमान जैसे मै फिर से बच्ची बन जाऊ।मेरी माँ भी मुझे गोद में लेकर केक खिलाये।सब मेरे साथ फोटो लेने की लाइन लगाये।खैर छोडो इन बातो को।पता नही जब तुम बड़ी होगी ,मै कहाँ रहूँगी ? रूहेलखंड सॉरी हावर्ड रूहेलखंड गैंग कहाँ होगा ? पर हमेशा हमारा आशीर्वाद ,प्यार तुम्हारे साथ होगा।तुम कभी अच्छी बच्ची मत बनना।मेरी तरह थोड़ी बदमाश ,थोड़ी जिद्दी ,थोड़ी गुसैल लड़की बनना।इसके बावजूद खूब हँसना ,लोगो को हँसाना ,दोस्तों को प्यार करना ,अपने मन की माशूमियत को मैली मत होने देना।ढेरो आशीर्वाद और प्यार से मैंने तुम्हारे लिए एक वीडिओ बनाया है।उम्मीद है ,तुम्हे पसंद आयेगा। 
तुम्हारी तपस्या ऑन्टी ! 

No comments:

Post a Comment