Monday, 27 November 2017

बेटी की शादी !!!

आज एक मित्र ने अपने सोसायटी में रहने वाले गार्ड की परेशानी लिखी ।परेशानी ये थी की -उनकी बेटी की शादी तय हो गई है ,पर पैसे की समस्या है ।मुझे ये पोस्ट पढ़ कर अपनी शादी के दिन याद आ गए ।कुछ समझ नही आता कैसे हो बेटी की इस समस्या का समाधान ।
मेरी कहानी कुछ यूँ रही -
मेरी माँ मेरी शादी के पीछे पड़ गई थी ।कारण मेरी पढ़ाई हो गई थी ।जॉब भी करने लगी थी ।ऐसे में आस -पड़ोस के लोग माँ को टोक देते ।सुन -सुनकर माँ भी इस बारे में सोचने लगी थी ।मेरा मन अभी एक -दो साल शादी का नही था ।या यूँ कहे मुझे शादी से बड़ा डर लगता था ।मैं टालते रहती ।ऐसे में माँ अपनी बी पी का बहाना करने लगती ।वहीं हर माँ की तरह ,कही मर गए तो बेटी की शादी भी नही देख पायेंगे आदि -आदि ।

फिर मेरे हाँ कहने के बाद असली समस्या शुरू हुई ।मेरे पिता जी नही है ।माँ ने ही दोनो भाई बहन को पाला है ।अब अरेंज मैरिज वो भी बिहार में ? लड़के के घर रोज़ दौड़ने की प्रैक्टिस करने वाला कौन था मेरे घर ? कौन गाँव -गाँव जाकर इतना लड़का ढूँढता ? जी हजुरी करता ।

ऐसा नही है कि मेरे रिश्तेदार नही ।सबलोग हैं ।सब लोग अच्छे नौकरी पेसा लोग हैं ।अब ऐसे में कौन मेरे लिए बार -बार छुट्टी लेकर लड़का ढूँढे ।मामा जी ,चाचा जी ने दो तीन लड़के बतायें ,पर बात वहीं ।लड़का पुणे ,बंगलोर ।परिवार किसी गाँव में ।लड़के के परिवार से तो मामा -चाचा मिलने जाने को तैयार थे ।लड़के से कौन इतनी दूर मिलने जाय ।फिर अपने यहाँ का देखा -देखौकि अलग से ।ऐसे में मेरा भाई (जो मुझसे छोटा है )एक लड़का को देखने गया ।बहुत बुरा लगा था मुझे उस दिन ।ख़ैर भाई को लड़का तो अच्छा लगा पर परिवार नही ।

ज़रा सोचिए सारे साधन थे मेरे पास ।बस एक पिता का ना होना ,मेरे छोटे से भाई को कितना ज़िम्मेदार बना गया ।
**कई बार मैं सोचती थी ,इससे अच्छा तो लव मैरिज कर लेती ।
हमलोग शादी को लेकर इतने भी परेशान नही थे ,कारण अभी तो शुरुआत ही की थी ।वहीं मेरे लिए रिश्तेदारों के बताए रिश्ते भी आ रहे थे ,पर कही कुंडली नही मिलती तो कही माँ को उस रिश्तेदारी में शादी नही करनी ।
फिर भी मैंने माँ और भाई से कहा तुमलोग इतना मत सोचो ।मैं किसी से भी शादी के लिए तैयार हूँ ।किसी से मतलब पेशा से है ।फिर तय हुआ शादी अगले साल करनी है तो ,अगले साल लड़का ढूँढे ।माँ को समझा कर मैं भाई फिर से मस्त हो गए ।माँ भी अगले साल का इंतज़ार करने लगी ।

इसी बीच भाई के एक दोस्त जो उससे बड़े थे ,हमारे फ़्लैट पर आए ।मेरे भाई के हर उम्र के दोस्त है ।उन्होंने अपनी बहन की शादी मेटरीमोनियल से तय की थी ।बहन को भी हमलोग जानते थे ।शादी तो पटना (घर ) से होनी थी ।बस उनकी सगाई दिल्ली में थी ,तो दीदी को कुछ मदद चाहिए थी ।उन्होंने ही भाई को कहा मेरा भी प्रोफ़ाइल बना दे ।

प्रोफ़ाइल बन गई ।आह ! क्या दिन थे वो ।ऑफ़िस से आने के बाद हम दोनो भाई बहन जीवन साथी की साइट खोल कर ख़ूब मज़े करते ।एक इक्सेल सीट बना लिया था ।भाई कहता चल बहिन ,ग्रूम -ग्रूम खेला जाय ।
रोज़ लड़का देखते ,मज़ाक़ उड़ाते ।जो अच्छा लगता उसका रिक्वेस्ट ऐक्सेप्ट करते ।फिर सीट में उनका नाम ,शहर का नाम ,शिक्षा ,जॉब ,परिवार वाला खाना भरते ।
खाना पकाने वाली आंटी को चाय बनाने को कह,हमलोग इसमें ही लग जातें ।जबतक खाना नही बनता।जीवन साथी हमारा मनोरंजन का साधन बन गया था ।समझ लीजिए फ़ेस्बुक हो ।

फिर दिवाली में जब घर गई ।माँ को बताया ऐसे लड़का ढूँढ रहें है ,उसने सिर पकड़ लिया ।बोली तुम दोनो का दिमाग़ खराब हो गया है ।दो फँसोगे एक दिन । ऐसे शादी -ब्याह कहीं होता है ब्राह्मण में ? क्या बाहर रहते हो न्यूज़ नही सुनते ? ऐसे शादी के लिए मेरी हाँ कभी नही होगी ।और भी बहुत कुछ ...

हमलोग ने माँ को समझाने के लिए जीवन साथी की साइट खोली।एक लड़का माँ को भी अच्छा लगा पर उसका घर राँची था ।माँ को तो ऐसे भी मन नही था ,बोली इतनी दूर बेटी की शादी नही करेंगे ।
तभी भाई को जाने क्या सूझा बोला -रुको सर्च करते हैं ।बिहार का कोई लड़का है क्या इस साइट पर ।और फिर हमें "शतेश "मिले ।मिले भी इतना पास की भले ये सात समुन्दर पार थे ,पर इनका घर जहाँ हम रहते वहाँ से 45 मिनट की दूरी पर ।इनसे भाई की बात हुई ।फिर माँ के ना हाँ के बीच भाई शतेश के घर पहुँच गया ।

शतेश के घर वाले हैरान ।एक 24/25 साल का लड़का अपनी बहन की शादी की बात करने आया है ।
शतेश के पापा बोले किसी बड़े -बुज़ुर्ग को बुला लाओ ।तुमसे क्या शादी की बात करे ?तुम्हें अनुभव ही कितना है ?

मेरे घरवाले ऐसी शादी की बात से डर रहे थे ।डर था कुछ गड़बड हुई तो उन्ही पर इल्ज़ाम होगा ।सब कुछ ना कुछ बहाना बना रहे थे ,ना आने का ।
फिर जब हमने माँ को मना लिया सब आए ।शतेश के घर भी गए ।
कुल मिला कर ये समझिए ,मेरी शादी सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भाई ने की है ।माँ के मामा जी तब छपरा में मेजर थे ।उन्होंने ने काफ़ी मदद की ।
शादी की सारी तैयारी मैंने और भाई ने माँ के मामा जी की मदद से की ।
यक़ीन मानिए , भगवान की कृपा से मेरी शादी ,मेरी घर की सबसे अच्छे से अरेंज शादी हुई ।शतेश के पापा आज भी मेरे भाई से बहुत प्यार करते है ।उसकी मिशाल सबको देते रहते है ।

नोट :-कहानी संक्षेप में लिखी ।पर ये समझ लीजिए बेटी कि शादी खास कर बिहार में एक गम्भीर समस्या है ।किसी के पास साधन की कमी तो कहीं पिता की कमी ।आजकल "अगुआ "(शादी कराने वाला ) का लुप्त का ना होना और समस्या पैदा कर देता है ।सिर्फ़ पैसा ही नही आपको ख़ुद को लगाना होता है बेटी की शादी में ।
बेटी के योग्य या अयोग्य का इससे कोई सम्बंध नही ।योग्य भी हार मान किसी से शादी को राज़ी हो जाती है ।
ऐसे में महाराष्ट्र ,दिल्ली की तरह बिहार में भी शादी योग्य लड़के -लड़की की पत्रिका निकलनी चाहिए ।शादी का ख़र्च भी दोनो पक्षों को आपस में बाँट लेना चाहिए ।
**याद रखिए किसी की बेटी की शादी ही नही अपके बेटे की भी तो शादी है ।

Wednesday, 1 November 2017

बुरी आत्मा का प्रवेश !!!

31अक्टूबर ,हेलोवीन के दिन एक व्यक्ति के अंदर पापी दुष्टात्मा प्रवेश कर गई ।जहाँ एक तरफ़ लोग हेलोविन के उत्साह में डूबे थे ,दूसरी ओर एक पापी आत्मा काल का रूप ले रही थी ।उसने न्यू यॉर्क में अपनी गाड़ी से लोगों को कुचल डाला ।ट्रिक (हेलोविन का एक रिवाज )को उसने सचमुच भयावह बना डाला।मासूम लोग ये भी नही समझ पाए कि,ये ड्राइवर की सोची समझी चाल है या गाड़ी की ख़राबी ।जबतक कुछ समझ आता है ,कई लोगों की जान चली गई ।
जहाँ ये घटना हुई ,वो वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से ज़्यादा दूर नही है ।
वहीं "वर्ल्ड ट्रेड सेंटर "जिसके "नाइन इलेवन" के ज़ख़्मों की निशानी अभी भी वहाँ मौजूद है ।आज भी हज़ारों मृतकों के नाम ,उस फ़ाउंटन के दीवारों पर आँसू बहा रहे होते है । पूछते है कि ,क्या ग़लती थी हमारी जो हम यहाँ हैं ।
हमें यहाँ नही होना था ।हम भी आपकी तरह इस ख़ूबसूरत दुनिया को जीना चाहतें थे ।
आज भी लोग यहाँ आ कर इमोशनल हो जातें हैं ।उस समय को याद करतें हैं ।उस वक़्त हमारी आत्मा तड़प उठती है ।हम अपना हाथ बढ़ाना चाहतें हैं ,आपके आँसुओं को पूछने के लिए ।आपको इस क्रूर दुनिया में रहने की हिम्मत देने के लिए।पर हमारे हाथ तो काट लिए गए ।
कैसा संयोग है ,कुछ ही सप्ताह पहले मैं ,शतेश और सत्यार्थ यहाँ गए थे ।वैसे हमलोग तो कई बार यहाँ आ चुकें हैं ,पर सत्यार्थ पहली बार आया था ।लोगों की भीड़ और फ़ाउंटन उसे आकर्षित कर रही थी ।फ़ाउंटन के मार्बल पर वो बार -बार हाथ मार रहा था ।मानो सत्यार्थ के अंदर बसे भगवान इन मार्बल पर ख़ुदे व्यक्ति के आँसू पोंछ रहे हों।सत्यार्थ के बार बार उछलने और हाथ मारने से हमलोग उस जगह से हट गए ।डर लग रहा था कि ,वो गिर ना जाय ।
फिर हमलोग जो मेमोरीयल हॉल बना है ,वहाँ गए ।इसकी मेमोरीयल की आकृति एक गिरते हुए हवाईजहाज़ की दी गई है ।इसके अंदर तमाम बड़े शोरूम और डब्लू टी सी मेट्रो स्टेशन भी  है ।अंदर में काफ़ी सुरक्षा व्यवस्था है ।
पहली बार मैंने यहाँ देखा कि,टॉलेट जाने की गाली के बाहर भी गार्ड तैनात थे ।गार्ड से आप डर के माहौल की उम्मीद ना करें ।वो जीतनी सुरक्षा के लिए होते हैं ,उतने ही मददगार भी । कुछ पूछना हो तो उनसे बेधकड पूछ सकतें है ,चाहे वो ट्रेन रूट की बात ही क्यों ना हो ।लोग बाग़ तस्वीरें निकालने में मशरूफ थे ।हमने भी कुछ तस्वीरें लीं और निकल पड़े टाइम स्क्वाइअर की तरफ़ ।
नोट:-पूरी इमारत सफ़ेद रंग की बनी है ।शायद शान्ति की उम्मीद हो ,या 9/11 की कफ़न की चादर ।
इसी बीच भारत में भी ऐन टी पी सी कांड हो गया ।लगता है सच में कलयुग आपने अंतिम चरण की ओर है ।