Thursday 24 May 2018

माँ!!!

हम दोनो को धड़कने एक साथ चल रहीं थीं।धड़धड़ -धड़धड़ -धड़धड .......
एक पल को तुम्हें सीने से लगाए मैं सोच में पड़ गई कि कहीं ये मेरा भ्रम तो नही ।ये कैसे हो सकता है ?
मैंने थोड़ी देर के लिए अपनी साँसे रोक ली और फिर से हम दोनो की धड़कने गिनने लगी ।इतने में मेरी साँसे फूलने लगी ।मैंने ज़ोर से एक साँस बाहर हवा में फेंकी और दूसरी अपने अंदर भर ली ।
इस क्रम में तुम थोड़ा हिले और फिर मुझसे लिपट कर सो गए ।मुझे अपनी हरकत पर हँसी आ रही थी ।भला साँस बंद करने से भी धड़कने रूकती है ।काउंटिंग शुरू ही करनी थी तो कुछ और सोच लेती ।

ख़ैर पागल लड़कियों का कुछ भरोसा नही होता ,अनुलोम -विलोम तो होता नही साँसो की गिनती चाहतीं हैं ।
मेरा दिमाग़ अब भी गुना भाग में लगा है ऐसे कैसे एक साथ धड़क -धड़क -धड़क ।हमदोनो की प्लस रेट तो अलग है ।
मेरी प्रति मिनट साठ से अस्सी के बीच होगी और तुम्हारी  एक सौ तीस -एक सौ चालीस के बीच ।ऐसा कैसे हो रहा है ।एक पल को तो इन गिनती के चक्कर में मेरी साँसे भारी होने लगीं थी ।

फिर मैंने इन साँसो के खेल से ध्यान हटाया ।सोचा हो सकता है मैं इसके प्रेम में हूँ श्याद इसलिए मेरी धड़कने तेज़ चल रहीं है ।इसके साथ चल रहीं है ।मेरी एक -एक धड़कन इसके साथ चलना जो चाहती है ।

क्या ?

हाँ सही तो सुना आपने ।मेरी एक -एक धड़कन इसके साथ चलना जो चाहती है ।
चाहे भी क्यों ना माँ जो हूँ मैं इसकी ।
“माँ “
मेरे सत्यार्थ की माँ ,मेरे इशु की माँ ,मेरे मीर मस्ताना मेरे राजा ,सोनू ,मोनु ,जान सबकी माँ ।बस माँ ।

हवा में इतने ऊपर लटके तुम्हें अपने सीने से लगाया जाने मैं क्या -क्या सोच रही थी ।था भी तो नही कुछ करने को ।गोद में तुम सामने टँगी तुम्हारी फ़ोल्डेबल क्रिब आसपास बेसुध पड़े सहयात्री ।

जाने कब आँखे मूँदे -मूँदे ,सोचते -सोचते तुम्हारे जन्म तक पहुँच गई ।तुम्हारा अचानक आ जाना हम तीनो के लिए कोस्टर राइड जैसा था ।ख़ुशी ,चिंता ,विश्वास ,उल्लास और प्रेम ।
तुम्हारे घर आने के बाद डॉक्टर का हर कुछ दिन पर कॉल आता कि सब ठीक है ना ।मैं कैसी हूँ ? डिप्रेसन की समस्या तो नही हो रही ?मेरा जबाब होता -ना।सब ठीक है ।

डिप्रेसन ? और वो भी तुम्हारे होने पर ?
हाँ ,डिप्रेसन ।श्याद मुझे हुआ हो और मालूम ना चला हो ।श्याद लाखों माताओं को होता हो और मालूम ना चलता हो ।

डॉक्टर ग़लत तो नही पूछती थी ।क्यों ना हो डिप्रेसन ?
अब तक जो दो दिल धड़क रहें थे वो फिर से एक हो गया ।जो अंदर भरा हुआ था वो ख़ाली हो गया ।जो मेरे ख़ून से सींचा जा रहा था ,जो मेरी साँसो से चल रहा था ।जो एक नाम के अंबेलिकल कॉड से जुड़ा था ,आज उसी कॉड से अलग होते समय दर्द इतना जैसे मेरा मर जाना ।

दुःख तो होता होगा ।बहुत होता होगा ।ऐसा जैसा किसी के जाने का दुःख ।तभी तो श्याद गाँव में रिवाज है बारह दिन तक कुछ ना करने का ,छूत लगने का ।पर श्याद तुम्हारे होने के असीम ख़ुशी और सुख में हम वो जाने का दुःख भूल जातें है ।
सच तो ये भी है ,ये जाना तुम्हारे साथ बहुत कुछ लेकर आता है ,ख़ुशी के आँसू ,असीम प्यार ,ढेर सारा आशीर्वाद और जीवन का चक्र ।

Tuesday 22 May 2018

आज बात हॉलैंड की ।एक मिनट रुकिए मैं यूरोप वाले हॉलैंड की बात नही कर रही ।अमेरिका में भी एक हॉलैंड है ।है ये अमेरिका में पर इसकी ख़ूबसूरती यूरोप के हॉलैंड जैसी हीं है ।ऐसा मेरे एक दोस्त जो यूरोप हो आए है उन्होंने ने बताया ।

बात करते है इस हॉलैंड की तो जब यूरोप से डच लोग (नीदरलैंड के लोग )अमेरिका आए तो अपनी सुबिधा और प्रकृति अनुसार अमेरिका के अलग -अलग भाग में बस गए ।वैसे तो डच अमेरिका के हर भाग में थोड़े -बहुत संख्या में मिल जायेंगे पर किसी -किसी भाग में इन्होंने अपनी कॉलोनी बना ली है ।मतलब वहाँ इनकी संख्या ज़्यादा है ।आपको याद होगी मेरी वर्जिन्या ट्रिप ।

इसे ऐसे समझे ।जैसे हम भारतीय अमेरिका आ गए ।मैं बिहार की तो मैं और दूसरे बिहार के लोग साथ मिलकर अमेरिका के किसी एक भाग में जा बसते है ।ऐसे तो भारतीय अमेरिका के हर प्रांत में है पर इनकी संख्या न्यू जर्सी ,टेक्सस और कैलिफ़ोर्नीया के कुछ भाग में ज़्यादा है ।

हाँ तो फिर आते है हॉलैंड की तरफ़ ।ये मिशिगन राज्य में लेक मिशिगन के किनारे बसा हुआ है ।छोटी जगह है पर हर तरफ़ फूल हीं फूल ।ट्युलिप के फूल हॉलैंड की पहचान है इसलिए यहाँ ज़्यादातर ट्युलिप हीं आपको दिखेंगे ।मई महीने में यहाँ ट्युलिप फ़ेस्टिवल भी होता है ।जिसे देखने काफ़ी लोग आते हैं।

हमलोग भी पहुँच गए इस फ़ेस्टिवल में ।इंडीयाना मेरे ठिकाने से कुछ तीन साढ़े तीन घंटे की दूरी पर हॉलैंड शहर है ।दो दिन के लिए हम भी पहुँच गए वहाँ ।एक दिन में भी आप घूम कर आ सकते हैं पर ठीक से घूम नही पाईएगा ।भागमभाग हो जाएगी।

हमलोग क़रीब डेढ़ दो बजे यहाँ पहुँचे।अड्रेस “वेलधीर टूलिप गार्डन “का ही डाला था ।एंट्री फ़ी दस डॉलर पर पर्सन ।तीन छोटे -छोटे विंड्मिल और ट्युलिप से भरा खेत ।सत्यार्थ ने तो ऊधम मचा दी ।
फूल तोड़ने पर ढाई सौ डॉलर फ़ाइन था ।लगभग एक घंटे रुकने के बाद जैसे तैसे बाहर आए तो सत्यार्थ बाबू अपना एक जूता गिरा चुके थे ।
बाहर कुछ गिफ़्ट शॉप थे ,जिसमें लकड़ी के बने टूलिप और जूते बिक रहे थे ।साथ ही चीनीमिट्टी के ख़ूबसूरत बर्तन भी ।

यहाँ से फिर डाउंटाउन को निकले ।शाम को फ़ायर वर्क्स और कुछ प्रोग्राम थे जो बाद में मौसम ख़राब की वजह से कैसिल हो गए ।मौसम जो ख़राब हुआ कि हमलोग भाग कर होटेल आ गये ।हल्की धूप थी पर वो कँपाने वाली हवा की मत पूछिए ।सत्यार्थ की तो आँखो से पानी आने लगा था ।

दूसरे दिन मौसम अच्छा था ।सुबह हल्की बारिश हुई थी पर ठंड कम थी ।आज हमलोग  “विंड्मिल आईलैंड गार्डन “गए ।हॉलैंड की दूसरी पहचान विंड्मिल और लकड़ी के जूते भी हैं
एंट्री फ़ी यहाँ भी दस डॉलर पर पर्सन ।ट्युलिप से भरे बाग़ में दो विंड्मिल लगे थे ।एक विंड्मिल तो पुराना होने के बावजूद आज भी काम कर रहा था ।उसका अलग से आधे घंटे का टूर था ।अंदर जाने पर इसकी मदद से कैसे अनाज की कुटाई ,छटाई और पिसाई होती है एक महिला गाइड बताए जा रही थी ।
इसके बाद हम डाउंटाउन आ गए ।कुछ एक घंटा यहाँ बिताने के बाद हमलोग “हॉलैंड स्टेट पार्क “जो कि लेक मिशिगन के किनारे है वहाँ गए ,”हॉलैंड हॉर्बर लाइट “देखने ।ये इस शहर का पहला लाइट्हाउस है ।लाल रंग के होने के कारण इसे “बिग रेड “नाम से भी पुकारते है ।

और इस तरह हॉलैंड की यात्रा सम्पन्न हुई ।यात्री अपने घर को लौट आए ।
कुछ तस्वीरों के ज़रिए आप की भी यात्रा शुरू होती है अब ।