Sunday, 29 May 2022

रिले !!

 सम्मान क्या होता है, कैसे दिया जाता है यह व्यक्ति और समाज के ऊपर निर्भर करता है। कई बार इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ भी लोगों के लिए मायने नही रखती तो कई बार बच्चों की कविता लिखने वाला कवि भी इतना सम्मान पाता है की उसके शहर को उसके नाम से रंग दिया जाता है। 

अमेरिका के क़रीब 43-44 स्टेट घुम चुकी हूँ। पर किसी लेखक के प्रति इतना सम्मान इंडियापोलिस में ही देखने को मिला। जबकि अमेरिका को महान बनाने में कई बेहतरीन लेखक का नाम जुड़ा है। 

आज हम चलते है, “जेम्स व्हिटकॉम्ब रिले” के घर। एक ऐसे कवि जिन्होंने बच्चों की कविताएँ लिख कर अमेरिका में खूब नाम कमाया और एक समय में सबसे ज़्यादा बिकने वाले लेखक के रूप में शुमार हुए। वह अलग बात है कि बाद के दिनों में इंडिनापोलीस से लेखक “कर्ट वोनगुट” और “जॉन ग्रीन” नाम  विश्व पटल पर ज़्यादा प्रचलित हुआ। लेकिन, आप कभी इंडीयनापोलिस आए तो आपको रिले ही रिले दिखेंगे। इनके नाम म्यूज़ियम, बच्चों के हॉस्पिटल, कुछ प्री स्कूल दिख जाएँगे। यहाँ तक की आम दुकानें जैसे कार शॉप, जेनरल स्टोर, लाइब्रेरी का कुछ भाग और शहर की कुछ दिवार भी रिले नाम से रंगे मिले जाएँगे। जब मैं यहाँ पहली बार आई थी तो लगा कि यह रिले क्या है जो हर तरफ़ दिख जाता है। यह कोई स्टोर चेन जैसा कुछ है क्या ? और फिर एक दिन शिकागो जाने के रास्ते में यह नाम फिर दिखा तो फटाफट गूगल किया। मालूम हुआ यह तो यहाँ के एक कवि का नाम है।

 मैं चकित थी कि “एडगर ऐलन पोय” का घर हम बोस्टन में ढूँढते रहे पर मिला नही। इलिनॉस (शिकागो) के लेखक हेमिंवे के नाम एक स्ट्रीट और उनका घर म्यूज़ियम के रूप में है। सिल्वीया प्लाथ बॉस्टन में जहाँ जन्मी, वहाँ अब एक हॉस्पिटल है। ऐसे ही मार्क ट्वीन फ़्लॉरिडा में जन्में यह मुझे फ़्लोरिडा से आने के बाद मालूम हुआ। न्यू यॉर्क की तरफ़ तो कई लेखक रहे पर उनमें से कई की जानकारी बाद में हुई। अल्बमा जाना हुआ तो वहाँ रोकेट सेंटर और मोंटोगामेरी घूमना हुआ। पर बाद में मालूम हुआ की उसी मोंटग़ेमेरी में To Kill a Mockingbird" के लेखक हार्पर ली का जन्म हुआ था। 

ख़ैर दुनिया में इतनी सारी बातें हैं, क़िस्से हैं कि एक इंसान की बस की बात नही। कोई किसी को नही जानता इसमें कोई बुराई नही और ना किसी के काट देने से किसी की कृति नष्ट हो जाएगी। लाख नकार दें पर उसका अंश मात्र कहीं ना कहीं रहेगा ही इस ब्रह्मांड में। 

तो चलिए आज तस्वीरों के ज़रिए घूमते है होसियर कवि, रिले के घर। और हाँ, जिसने भी कहा है पर सच कहा है, “ जिसने बच्चों का मन जीत लिया उसने दुनिया जीत ली”  

नोट- यहाँ हम कोरोना काल में गए थे। उस वक्त इनके घर रूपी म्यूज़ियम में मरम्मत का काम चल रहा था पर हमें इनके छोटे से कैम्पस में घूमने की आज्ञा मिल गई थी। 

Tuesday, 17 May 2022

प्रेम शांति !!

सूर्योदय और सूर्यास्त को देख कई बार भ्रम हो जाता है कि यह उगता सूरज है या डूबता… चक्कर तो हमारी पृथ्वी के पैर में लगा है पर हम मानते है कि सूरज डूब गया या उग गया। कुछ इसी तरह का हाल हमारे दिमाग़ के तन्तुओं का हैं। आँखें जो देखतीं है, कान जो सुनता है उसकी सूचना फटाफट ‘नियोकॉर्टेक्स’ तक पहुँचती है। 

 नियोकॉर्टेक्स दिमाग़ का वह ग्रे भाग है जो संवेदी धारणा, अनुभूति, तर्क-वितर्क का काम करता है। ग्रे मैटर से बना यह भाग सच में ग्रे है। तभी तो एक ही बात पर किसी का तर्क आपको कभी अच्छा लगता तो कभी कुतर्क। 

विश्व में आए दिन हो रही हिंसा को कभी आप जायज़ मान लेते हैं तो कभी नाजायज़। यूक्रेन के युद्ध को सही और रसिया को ग़लत… हिंदू को सही मुसलमान को ग़लत… गोरे को सही काले को ग़लत… यहाँ तक की भोलेनाथ सही और अल्लाह ग़लत…

यह ग्रे मैटर ही है जो बीते दिनों यहाँ एक 17 साल के गोरे लड़के से 10 अश्वेत लोगों का क़त्ल करवा देता है… यह ग्रे मैटर ही है की बीते दिनों यहाँ एक भारतीय लड़के को बुरी तरह मिड्डिल स्कूल में बुली करवा जाता है। यह ग्रे मैटर ही है जो बीते दिनों ताईवानी लोगों पर एक चर्च में हमला करवा जाता है। 

पर इन सब के बावजूद दुनिया ग्रे से ही चल रही। तो क्यों ना हम अपने नियोकॉर्टेक्स और विश्व शांति के ख़ातिर एक बार इस खूबसूरत ग्रे को वैसे ही बैलेंस करें जैसा काला और सफ़ेद… और इस ग्रे के बीच एक नारंगी आभा का उदय हो जो सिर्फ़ प्रेम , शांति , सौहार्द सौमनस्य ले कर आए।