Tuesday, 17 May 2022

प्रेम शांति !!

सूर्योदय और सूर्यास्त को देख कई बार भ्रम हो जाता है कि यह उगता सूरज है या डूबता… चक्कर तो हमारी पृथ्वी के पैर में लगा है पर हम मानते है कि सूरज डूब गया या उग गया। कुछ इसी तरह का हाल हमारे दिमाग़ के तन्तुओं का हैं। आँखें जो देखतीं है, कान जो सुनता है उसकी सूचना फटाफट ‘नियोकॉर्टेक्स’ तक पहुँचती है। 

 नियोकॉर्टेक्स दिमाग़ का वह ग्रे भाग है जो संवेदी धारणा, अनुभूति, तर्क-वितर्क का काम करता है। ग्रे मैटर से बना यह भाग सच में ग्रे है। तभी तो एक ही बात पर किसी का तर्क आपको कभी अच्छा लगता तो कभी कुतर्क। 

विश्व में आए दिन हो रही हिंसा को कभी आप जायज़ मान लेते हैं तो कभी नाजायज़। यूक्रेन के युद्ध को सही और रसिया को ग़लत… हिंदू को सही मुसलमान को ग़लत… गोरे को सही काले को ग़लत… यहाँ तक की भोलेनाथ सही और अल्लाह ग़लत…

यह ग्रे मैटर ही है जो बीते दिनों यहाँ एक 17 साल के गोरे लड़के से 10 अश्वेत लोगों का क़त्ल करवा देता है… यह ग्रे मैटर ही है की बीते दिनों यहाँ एक भारतीय लड़के को बुरी तरह मिड्डिल स्कूल में बुली करवा जाता है। यह ग्रे मैटर ही है जो बीते दिनों ताईवानी लोगों पर एक चर्च में हमला करवा जाता है। 

पर इन सब के बावजूद दुनिया ग्रे से ही चल रही। तो क्यों ना हम अपने नियोकॉर्टेक्स और विश्व शांति के ख़ातिर एक बार इस खूबसूरत ग्रे को वैसे ही बैलेंस करें जैसा काला और सफ़ेद… और इस ग्रे के बीच एक नारंगी आभा का उदय हो जो सिर्फ़ प्रेम , शांति , सौहार्द सौमनस्य ले कर आए।

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