Sunday 10 January 2016

KHATTI-MITHI: बिरह के गीतों की परीक्षा !!!!

KHATTI-MITHI: बिरह के गीतों की परीक्षा !!!!: रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे रेलिया बैरन।जवना टिकसवा से बलम मोरे जइहें ,पानी बरसे टिकस गल जाए रे।हो रेलिया बैरन।ये भोजपुरी लोकगीत के बोल...

बिरह के गीतों की परीक्षा !!!!

रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे रेलिया बैरन।जवना टिकसवा से बलम मोरे जइहें ,पानी बरसे टिकस गल जाए रे।हो रेलिया बैरन।ये भोजपुरी लोकगीत के बोल है।जिसमे एक पत्नी अपने पति के परदेश जाने से दुःखी है।वो रेलगाड़ी को कोसती है।चाहती है कि ,उसके पति की रेल टिकेट भींग जाये ,फट जाये।उसका पति परदेश ना जाए।पर आज साजन नही सजनी विदेश जा रही है।माने की मै इंडिया जा रही हूँ।शतेश के भाई की शादी होने वाली है।छुट्टी के आभाव में शतेश कम दिन के लिए आयेंगे।मै करीब डेढ़ ,दो महीने के लिए जा रही हूँ।सोचा जाते हुए बिरह पर कुछ लिखूँ।शतेश के मन की दशा तो वो ही जाने।फिलहाल मैं बहुत खुश हूँ।ये पहली बार होगा जब मै शतेश से थोड़े दिनो के लिए दूर रहूँगी।मुझे कुछ दोस्तों ने कहा ज्यादा खुश मत हो तपस्या।शतेश के बिना देखना मन नही लगेगा।मिसेस जैन ने मुझसे कहा था ,कुछ दिन तो तुम्हे अच्छा लगेगा।फिर तुम्हे शतेश की याद आने लगेगी।भगवान जाने क्या होगा ? चलो इसी बहाने बिरह के गीतों की सच्चाई तो मालूम पड़ जायेगी।बिहार और पलायन का गहरा संबन्ध रहा है।आज पलायन भले देश या विदेश तक हो।लेकिन बिहार के लिए पलायन का पहला शहर कलकत्ता बना।बहुत से ऐसे लोकगीत सुने है ,जिसमे कलकत्ता महिलाओं के लिए दुःख का कारण बना।एक बात और मुझे समझ नही आती ,ये बिरह के गीत ज्यादतर महिलाये ही क्यों गाती है ? क्या पुरुषो को ये संवेदना नही होती? या फिर पुरषो के पास ऑप्शन हमेशा से रहा है ? खैर जो भी हो ,बिरह के गीत आँखों में आँसू तो ला ही देते है।क्यों ना इस बार कुछ उल्टा करे ? माने ,इस बार शतेश को बिरह गीत गाने का मौका देते है।मेरे जाने के बाद ,जब शतेश घर आये तो ये गायेंगे - "नीक सजनी बीन भवनवा नाही लागे यारो -2" ये फिल्म बिदेसिया का गीत है ,जिसमे मैंने "सईया "की जगह "सजनी "और "सखियाँ "की जगह "यारो" कर दिया है।मैंने शतेश को गाते इमैजिन किया ,फिर लगा रहने देते है।आज -कल तो विदेसिया के गीत खत्म ही हो रहे है।काहे की फ़ोन जो हर सजनी के हाथ में है।जब भी प्रीतम की याद आये टुनटुना दीजिये।सोचिये कि ,मै शतेश से दूर बिना फ़ोन बिना इंटरनेट के गाँव में हूँ।मै किसी को पकड़ के अपना दुःख सुनाने लगती हूँ ,की -"पिया मोरा गइले परदेश ये बटोही भईया ,राती के नींद नाही दिनवा में चैन"।बटोही क्या बोलेगा ? पकाओ मत बहन देर हो रही है मुझे।एक मोबाइल फोन ले लो।फ़ोन पर अपने प्रीतम को सुनना -"नही सामने वो अलग बात है ,मेरे साथ है तू मेरे पास है" बटोही मुझे समझयेगा ,फ़ोन का एक और फायदा है ,उसमे कैलेंडर भी होता है।फिर तुम ये नही गाओगी -"दिनवा गीनत मोरी घिसअली अँगुरिया कि रहिया ताकत नयना ठुठरी बिदेसिया " डेट सेट कर के रख दो।जब प्रीतम के आने का दिन होगा ,अपने आप टुनटुन जायेगा।मैंने सोचा इतने फायदे है ,तो फ़ोन ले ही लूँ।पेट काटकर ,एक महीने के मनीऑर्डर से फोन ले लेती हूँ।फ़ोन लेने के बाद मै दिन भर उसे ताकते रहूँती हूँ कि ,कब शतेश फ़ोन करेंगे ? मुआ भारत में दिन तो अमेरिका में रात का क्या घोटला है ? लगता है दिल्ली तक ठीक से बात नही पहुँची।इस पर भी जाँच होनी चाहिए।नवजवानों को हो -हल्ला करनी चाहिए।खैर मेरी हालत देख के मेरा भाई  हँसते हुए पूछता ,क्यों दीदी पाहून (जीजा )की याद आ रही है? मै मुस्कुरा कर कहती ना।मन में गाती हूँ -" हमें दुनियाँ करेला बदनाम, बलमवा तोहरी बदी ,हाय हो गईले निंदिया हराम बलमुआ तोहरी बदी"।वैसे तो बिरह पर हर भाषा में गीत बने है।हिंदुस्तानी क्लासिकल ,गजले भी खूब गए गए है।"नुशरत फतेह "जी की  "तेरे बिना रोगी होए प्यासे नयन "या फिर "मोरा सईयां तो है परदेश मै क्या करू सावन को -2 ,सुना लागे साजन बिन देश मै ठुंढू साजन को"।मुझे बहुत पसंद है।कई बार इनको सुनकर रोई हूँ।शतेश मुझे चिढ़ाते भी है ,तुम्हे रोने का कारण नही मिलता तो ,गाने सुन -सुन कर रोती हो।क्या सच में इतना दुःख होता होगा कि, एक औरत कहती है "साजन प्रीत लगाईके दूर देश मत जा ,बसो हमारी नागरी ,माँगे हम दुआ " .समझ नही आ रहा आगे क्या लिखूँ ?हँसी से शुरू किया था ,पर बिरह ने मुझे घेर ही लिया।चलिए दोस्तों राम -राम।मिलते है एक खट्टी -मीठी विराम के बाद।आगे क्या ? आगे मै घर पर बैठी जब तक शतेश नही आते यही गाती रहूँगी -"हे गंगा मईया तोहे पीयरी चढ़ैइबो ,सईयाँ से करी दे मिलनवा हे राम! 

Wednesday 6 January 2016

KHATTI-MITHI: कह के लेंगे की मिस्ट्री !!!

KHATTI-MITHI: कह के लेंगे की मिस्ट्री !!!: आज के ब्लॉग में किसी भी धर्म ,जाति को अपमानित करने का मेरा बिल्कुल कोई इरादा नही है।ये एक मात्र एक संयोग हो सकता है।या फिर कभी -कभी इरादे ब...

कह के लेंगे की मिस्ट्री !!!

आज के ब्लॉग में किसी भी धर्म ,जाति को अपमानित करने का मेरा बिल्कुल कोई इरादा नही है।ये एक मात्र एक संयोग हो सकता है।या फिर कभी -कभी इरादे बदल भी तो जाते है।तो कथा शुरू करते है। हुआ यूँ की इन्द्रलोक में सभा लगी थी।हमेशा की तरह इंद्र रास -रंग में डुबे थे।पर आज मजा नही आ रहा था।दरबारी भी ऊँघ रहे थे।अप्सरायें भी बिना मन के नागिन वाला ड्रेस पहन के नाच रही थी।राग -रागनियाँ भी भक्ति प्रेमरस गा -गा के ऊब चुकी थी।सभा की ऐसी हालत देख इन्द्र परेशान हो गए।तुरंत नारद को बुलाया समाधान के लिए।इंद्र नारद से बोले , हे मुनिवर! आप तो दुनिया भ्रमण करते है।कोई ऐसा नृत्य -संगीत बताइये जो मेरी सभा में रौनक ला सके।मै ऊब चूका हूँ ता -थैया -थैया - देख सुन कर।नारद बोले मेरा काम तो इधर की उधर करना है। माने सुचना लीक करना है।पर इसका एक समाधान है।आप पैगम्बर मुहम्मद साहेब और ईशु मसीह के यहाँ दूत भेज दे।मै दुनिया भ्रमण करता हूँ।देखता हूँ ,इनकी बिरादरी के लोग भी खूब झूमते -गाते है।इंद्र बोले क्षमा करे मुनिवर ईशु को तो बुला लूँ ,पर मुहम्मद साहेब को नही बुला पाउँगा।सभा के देव गण की तलवारे खींच जाएँगी।नारद बोले कोई बात नही।ईशु के यहाँ ही दूत भेजे दे।कुछ देर बाद ईशु अपने कुछ फॉलोवर के साथ आये।जितनी उनको हिंदी आती थी ,उतनी ही इंद्र को इंग्लिश।वो क्या है ना देवता गण शुरू से रीजीड रहे।कुछ बदलाव ही नही किया।ना खुद में ना अपनी टेक्नोलॉजी में।हमारा  "पी के" तो हाथ पकड़ कर लोगो की लैंग्वेज सीख जाता है। कृष्णा कभी सैक्सोफोन बजाते है? विष्णु जी आज के ज़माने में भी चक्र लिए हुए है।ईशु को ही देखिए टंगे है कबसे।ऊतर जैइये ना अब।कब तक टंगे रहेंगे? कुछ लोग तो दरगाह में सोये -सोये थक गए होंगे।पर उठेंगे नही।चाहे दुनिया तबाह हो जाये।खैर देवगण और फॉलोवर ने आपस में हाय -हेलो किया।मुश्किल से वरुण देव बोले ईशु योर सॉन्ग लर्न।अग्नि देव ने थोड़ा सही किया योर कंट्री सॉन्ग।नारद जी और करेक्ट करके बोले पॉपुलर सांग इन योर कंट्री।जीसस के फॉलोवर गाने लगे "जीसस लाइट ऑफ़ द वर्ल्ड शाइन अपॉन अस, गा ही रहे थे कि ,इंद्र बोले नो जीसस सॉन्ग।ओनली फन सॉन्ग।एंड डोन्ट सिन्ग, ऐक्ट टू।ताकी हमलोग समझ सके।फॉलोवर ने आपस में बात की और "लेडी गागा "का  "बोर्न दिस वे "गाने और एक्ट करने लगे।इंद्र नारद की तरफ देखे।बोले ये कर क्या रहे है ? नारद बीच में बोले अदर सॉन्ग प्लीज।फॉलोवर सोचे कोई न्यू सॉन्ग सुनाते है।शायद इनको अच्छा लगे।उन्होंने "निक्की मिनाज" का "एनाकोंडा" गाना और ऐक्ट शुरू किया।इंद्र तो मजे ले रहे थे।पर सभा गण ने इसे सभा का अपमान समझा और गाना बंद करने को बोला।सब एक स्वर में बोले हमें पत्थरो पर अश्लीलता मंजूर है ,पर सामने नही।माने अजंता- एलोरा जीसस।माफ़ी माँग कर जीसस चले दिए।इंद्र ने कहा मुनिवर भारत भूमि पर कोई ऐसा गाना नही जो मन को भाये ?नारद बोले तो चलिए मेरे साथ आप भी।साथ मिलकर गाने की खोज करेंगे।इंद्र बोले कहाँ जाना ठीक होगा ? नारद बोले देश की राजधानी ही चल लेते है।देवराज अगर वहाँ गाना नही मिला तो भी, कुछ सफ़ेद कुर्ते वाले एक भवन में मनोरंज करते है।वही चल लेंगे।हमारे पास तो रथ है।जिसका कोई नंबर भी नही।किसी दिन भी जा सकते है।इंद्र बोले अगर गाना पसंद आ गया तो ? किसी लेखक को साथ ले लेते है।लिख लेगा।नारद जी ने वाल्मीकि का नाम सुझाया।वाल्मीकि जिसने रामायण लिखा था।तीनो पहुँचे दिल्ली।एक चाय के दुकान पर गाना बज रहा था।जिसका संगीत उन्हें अच्छा लगा।वो उसी दूकान की तरफ पहुँचे।चाय वाला "शतेश शुभ्रांशु " नाम के एक युवक को चाय दे रहा था।चाय पीते हुए शतेश नामक युवक बोला।अरे ये गाना! तो अमेरिका तक फेमस हो गया है भाई।हम दोस्त यार कभी मिले तो सुन ही लेते है।चाय वाला खुश होकर बोला क्या बात करते हो भाई ? सब "पवन सिंह" की महिमा है।ये सब बाते इंद्र ,नारद ,बाल्मीकि सुन रहे थे।पवन सिंह का नाम सुनके उन्हें लगा गाना जरूर अच्छा होगा।पवन सूत का नाम जो है।वो चाय वाले से पूछे,"सेवक" ये कौन सा गीत है ? चाय वाला सेवक सुनकर भड़क गया।बोला ससुरे नाच- पार्टी ,डरामा वाले हमको सेवक कहते हो? शतेश नामक युवक ने बीच -बचाव किया।बोला जाने दो भाई लगता है ,अपने कैरेक्टर में घुसे हुए है।चाय वाला भी बोला हाँ हो सकता है।पूछा तुमलोग का नाम क्या है ,यहाँ कैसे ? इंद्र बोले मै देवराज इंद्र।चाय वाला चकित होकर  बोला आज भी लोग ऐसे नाम रखते है का भाई ? इंद्र को झेंपता देख मुनिवर बोले ,मै नारद।चाय वाला शतेश नामक युवक की तरफ देख जोर से हँसते हुए बोला ,देख रहे हो भईया।हमलोग तो नारद को आग लगावन कहते है।वाल्मीकि बीच में बोले मै बाल्मीकि।चाय वाला हँसना छोड़ पीछे हटते हुए बोला ,का भाई डोम हो का ? स्तिथि को समझते हुए शतेश बोला अरे भाई ये लोग नाटक करने वाले लग रहे है।चाय पिलाओ जाने दो।मै भी चलता हूँ।नारद बोले जो गाना अभी बज रहा था ,वो हमे सुनाओगे क्या ? चाय वाला बोला भोजपुरी गाना है।बजा देता हूँ।तबतक चाय पियो।नारद बाल्मीकि की तरफ देख के बोले अच्छा हुआ तुम्हे लाये।वरना भोजपुरी कैसे समझते ? तुम तो कुछ समय बिहार में गुजार चुके हो ,तुम्हे आती होगी भोजपुरी।गाना शुरू हुआ।बाल्मीकि ने लिखना शुरू किया -   लगावेलू जब लिपिस्टिक हिलेला सारा डिस्टीक जिला टॉप लागेलू ,कमरिया हाय !कमरिया करे लपालप लली पॉप लागेलू- 2 , रहिया चलत में देहिया गमके ला गम -गम पावे पैजनिया डारलिंग बाजेला छम -छम , आजा हमरे बहियाँ में जिया नाही जारअ ,सोरहो सिंगार करके जान मत मारअ।तू लगावेलू जब कजरवा धड़के ला हमर जियरवा चाका -चक लागे लू।कमरिया हाय !कमरिया करे लपालप लली पॉप लागेलू। इसको बाल्मीकि ने ऐसे सुनाया चाय वाले को -हे सुंदरी जब तुम अपने होठो को लाल करती हो सारा ब्रह्माण्ड हिलने लगता है ,पुरे विश्व में तुम सर्वोच्च मालूम पड़ती हो।तुम्हारी कमर बेल की लड़ी से इधर -उधर मटक रही है ,मनो जैसे तुम अमृत या लड्डू हो (अरे भगवान तो लड्डू ही खाते है न ) तुम जब पथ से गुजरती हो तुम्हारे शरीर की इत्र से हर तरफ सुगंधमय वातावरण हो जाता है।तुम्हारे पाँव की घुँघरू छम छम की ध्वनि निकाल रहे है।आ जाओ मेरे आलिंगन में ,मेरे ह्रदय को मत तड़पाओ।सोलह श्रृंगार करके मेरे प्राण मत लो।जब तुम काजल लगाती हो मेरी हृदय गति बढ़ जाती है , तुम बिजली सी चमक रही हो।फिर से कहता हूँ तुम्हारी कमर बेल की डाल है ,तुम अमृत या लड्डू jलगती हो। इतना सुन कर चाय वाले का दिमाग घुमा।सामने से कुर्सी उठाकर बोला।भाग ससुरे डोम साला।सारा गाना का मुँह मार दिया।गुड़ -गोबर कही का।उसको क्रोधित देख नारद जी बोले देवराज भागिए। मैंने सुना है बिहारी सब "कह के लेता है"  इंद्र आश्चर्य में बोले क्या ? नारद बोले यही तो "मिस्ट्री" है !  

Monday 4 January 2016

KHATTI-MITHI: एक चिठ्ठी अविका के नाम !!!

KHATTI-MITHI: एक चिठ्ठी अविका के नाम !!!: प्रिय अविका , जन्मदिन की बहुत -बहुत बधाई।ढ़ेर सारा प्यार और मंगलकामनाये।मेरे सभी दोस्तों ,शुभचिंतको और ख़ाश कर तुम्हे भी नव वर्ष की ढ़ेरो शु...

एक चिठ्ठी अविका के नाम !!!

प्रिय अविका ,
जन्मदिन की बहुत -बहुत बधाई।ढ़ेर सारा प्यार और मंगलकामनाये।मेरे सभी दोस्तों ,शुभचिंतको और ख़ाश कर तुम्हे भी नव वर्ष की ढ़ेरो शुभकामनाये।वैसे तो तुम्हारा जन्मदिन तो 3 जनवरी था।फिर भी मुझे लगा 2016 के नए कलम की शुरुआत ,तुम्हारे जन्मदिन के लेख से बढ़ कर क्या होगा ? तुम्हे धन्यवाद भी कहना था।तुम्हारी वजह से हमने अपना बचपन फिर से जिया।बचपन कभी लौट के तो नही आता।पर हम हमेशा अपने अंदर के बच्चे को जिन्दा रखते है।भगवान से यही प्रार्थना है ,तुम्हारा बचपन खुशियो भरा हो।ढेर सारे दोस्त  मिले खूब एन्जॉय करो।हमेशा अपने अन्दर के बच्चे को जिन्दा रखो।अभी तुम बहुत छोटी हो।जब तुम पढ़ने लगोगी।किसी दिन मेरे इस ब्लॉग को पढ़ कर मुस्कुराओगी।और मै जहाँ कही भी रही तुम्हारी मुस्कुराहट को महसूस करुँगी।तुम्हारा जन्मदिन "चिकी चीज़" में मनाया जा रहा था।मैं और शतेश यहाँ पहली बार आये थे।बच्चो के खेलने के लिए बहुत सारे गेम्स थे।वैसे तो पार्टी तुम्हारी थी ,पर शायद तुम ज्यादा लोगो को देख डर गई थी।किसी के पास नही जा रही थी।बस अपनी माँ की गोद में बैठी दूर से ही सबको स्माइल दे रही थी।तुम लाल रंग के फ्रॉक में बिलकुल गुड़िया लग रही थी।सॉरी मै डॉल लिख देती हूँ।वरना तुम भी बड़ी होकर आरव की तरह बोलोगी गुड़िया नही पस्या ऑन्टी डॉल :)पार्टी में तुम्हारे दोस्त से ज्यादा तुम्हारे पापा और मम्मी के दोस्त थे।अरे - अरे इसमें उदास होने की कोई बात ही नही।नेहा दीदी तो थी ना।वो क्या है ना ,नव्या दीदी ,शनाया ,आरव,आयना सब तुम्हे दूर से ही विश कर रहे थे।आरव और आयना इंडिया गए है।नव्या और शनाया कैलिफोर्निया।तुम्हारे दोस्त नही तो क्या हुआ ? तुम्हारे जन्मदिन पर हम बड़े ही बच्चे बन गए थे।मै ,शतेश अंकल ,विवेक अंकल ,अवधेश अंकल सब खूब एन्जॉय कर रहे थे।हमने छोटू वाली बॉलिंग की ,आग बुझाने वाली गेम खेली ,बास्केट बॉल खेला ,एक पानी वाला भी गेम खेला।जिसे विवेक अंकल सूसू गेम कह के हँस रहे थे।शेम -शेम पापा के दोस्त बड़े होके भी बच्चो वाली बाते करते है।तुम यही सोच कर हँस- हँस के लोट -पोट हो रही हो ना ? हँस लो तुम्हारी हँसी के लिए हम फिर से बच्चे बनने को तैयार है।हमने गेम्स में बहुत सारी पॉइंट्स वाली टिकेट भी जीती।अविका डिअर ऐसा नही है ,कि तुम बच्चे ही गेम्स अच्छा खेलते हो।हमलोग भी कम नही।और मालूम है ,खाने में क्या था ? मेरा फेवरेट पिज़्जा यपीई :) पार्टी का टाइम ऑवर हो गया था।तुम्हारे पापा और भी गेस्ट के साथ थे।आखिर पार्टी उन्ही को मैनेज करनी थी ना।और गेस्ट के जाने के बाद वो हमारे पास आये और बोले ,भाईयो घर नही चलना ? पार्टी टाइम खत्म हो गया है।सबने कहा हाँ चलते है।पर मै वहाँ से आना नही चाह रही थी।तुम्हे बाद में मालूम होगा "बड़े" होकर कितना नुकसान होता है।तुम जिद्द भी एक हद तक ही कर सकते हो।तुमलोगो जैसा नही ,जमीन पर लेट -लेट कर रोने लगे और माँ -बाप से जिद्द पूरी करवा ली।वैसे भी यहाँ कहाँ थी मेरी "माँ " जिससे मै जिद्द करती।थे तो बस कुछ अरमान जैसे मै फिर से बच्ची बन जाऊ।मेरी माँ भी मुझे गोद में लेकर केक खिलाये।सब मेरे साथ फोटो लेने की लाइन लगाये।खैर छोडो इन बातो को।पता नही जब तुम बड़ी होगी ,मै कहाँ रहूँगी ? रूहेलखंड सॉरी हावर्ड रूहेलखंड गैंग कहाँ होगा ? पर हमेशा हमारा आशीर्वाद ,प्यार तुम्हारे साथ होगा।तुम कभी अच्छी बच्ची मत बनना।मेरी तरह थोड़ी बदमाश ,थोड़ी जिद्दी ,थोड़ी गुसैल लड़की बनना।इसके बावजूद खूब हँसना ,लोगो को हँसाना ,दोस्तों को प्यार करना ,अपने मन की माशूमियत को मैली मत होने देना।ढेरो आशीर्वाद और प्यार से मैंने तुम्हारे लिए एक वीडिओ बनाया है।उम्मीद है ,तुम्हे पसंद आयेगा। 
तुम्हारी तपस्या ऑन्टी !