Friday, 24 February 2017

खूब सारा प्यार और आशीर्वाद भाई !!!

जन्मदिन की बहुत -बहुत शुभकामनायें भाई।खूब सारा प्यार और आशीर्वाद ।हमेशा खुश रहो ,आगे बढ़ते रहो ,निडर रहो और बदमाशी करते रहो।मुझसे लड़ते रहो ,मुझे मनाते रहो।तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हारे हौसलों के नाम ,

आख़िरी नहीं है यह जन्म-दिन
और लड़ाई के लिए है पूरा मैदान

आज के दिन मैं लौटाना चाहता हूँ
एक उदास बच्चे की हँसी 
किसी विकलांग के पैर और 
किसान की मेहनत

आज के दिन मैं
घूमना चाहता हूँ पूरी पृथ्वी पर
एक निश्शंक मनुष्य की तरह 

आज के दिन मैं धरती को
बाँहों में भर लेना चाहता हूँ प्रेमिका की तरह और 
प्रेम करना चाहता हूँ सृस्टि की हर कृति से। 
 

Wednesday, 22 February 2017

सिर्फ प्रेम तुम्हारे लिए !!!

प्रिय शतेश ,
प्यार ,सम्मान और तुम्हारी खुशियों की कामना के साथ तुम्हे जन्मदिन की बहुत -बहुत शुभकामनायें !
तुम्हारा जन्मदिन है ,और इस बार भी मेरे पास तुम्हे देने को गिफ्ट नही है।कारण तो तुम्हे मालूम ही है।मुझे तुम्हारे ही पैसों से तुम्हे गिफ्ट देना वाज़िब नही लगता।कई बार तुम हँसते भी हो कि क्या तपस्या ,क्या मेरा क्या तुम्हारा।सब तो तुम्हारा ही है।पर मैं क्या करूँ मैं ऐसी ही हूँ।थोड़ी पागल।सोचो ज़रा तुम्हारे साथ ही जाकर ,तुम्हारी ही जेब पर डांका डाल कर ,तुम्हारे लिए गिफ्ट लेकर आऊँ।फिर झूठमुठ का इठलाते हुए तुम्हे गिफ्ट दूँ।मुझे तो सोच कर ही अजीब लग रहा है।खैर इसमें कोई बुराई नही ,फिर भी मैं इस बात के लिए सहज नही हो पाती।कल तुमने कहा था , तपस्या तुमने मुझे सबसे अनमोल गिफ्ट दिया है -"सत्यार्थ"।लेकिन शतेश ,सत्यार्थ कैसे किसी का गिफ्ट हो सकता है ? वो तो हम दोनों का सच है ,हम दोनों है ,हम है।हाँ प्रेम एक तोहफ़ा हो सकता है भावनात्मक रूप से।मेरी तरफ से एक गिफ्ट हमेशा -हमेशा तुम्हारे पास होगा ,चाहे जन्मदिन हो ,होली हो ,दिवाली हो ,ईद हो , क्रिसमस हो या फिर शादी की सालगिरह -वो है "मेरा प्यार "
हाँ ये भी कर सकती हूँ ,आज के दिन तुम्हे दिनभर पुराने टेस्ट मैच देखने या फिर न्यूज़ पढ़ने की छूट जरूर दे सकती हूँ।मै बिल्कुल इर्रीटेट नही होउंगी।अरे पुराने मैच क्यों ?आज से तो इंडिया और ऑस्ट्रेलिया का टेस्ट मैच शुरू है।तुम्हारी तो चाँदी हो गई।साथ ही आज कुछ तुम्हारी पसंद का लिखती हूँ।
आज की सनसनी ख़बर -शतेश नाम का एक युवक बिहार के एक छोटे से गाँव से निकल कर अमेरिका तक पहुँचा।ये सफर इतना आसान नही था।इस सफर तक पहुँचने में शतेश जी की माता जी का विशेष योगदान रहा है।ताज़ा जानकारी के मुताबिक अमेरिका में ट्रम्प के शासनकाल में जनता बऊराई हुई है।हर तरफ कुछ न कुछ अफवाहों का दौर चल रहा है।इसके बावजूद तमाम भारतीयों के साथ बिहार का ये लाल भी अमेरिका में डाटा हुआ है।अब देखना ये है कि आगे बढ़ने के मजबूत इरादे जीतते है या फिर नए बदलते माप दंड। क्या भारत का मोह शतेश को वापस ला पायेगा ? जानने के लिए देखते रहिये ,धुआँधार  न्यूज़।एक छोटा सा ब्रेक लेते है।ब्रेक के बाद जानेगे ,क्या है गुजरात के गदहों की कहानी , जायज़ पत्नी होने की होड़ मची अमेठी राजभवन में और बिहार में सेक्स रैकेट चलाता था एक कांग्रेसी नेता।पत्रकार रविस के भाई होने की पुष्टि। ताज़ा ,चटपटे अपडेट के लिए हमारे साथ बने रहिए।ब्रेक -
मुझे मालूम है तुम्हे हँसी आ रही होगी मेरी खबरों के ख़जाने को पढ़ कर।आगे पढ़ो अपनी प्रेम कहानी क्रिकेट की ज़ुबानी-
मैदान सीसीडी साकेत ,प्लेयर शतेश और तपस्या ,अम्पायर उज्जवल कुमार।दोनों खिलाडी मैदान में टॉस का समय अब देखना ये है कि, टॉस कौन जीतता है।अम्पायर बातों का सिक्का उछालता है और ये शतेश ने टॉस जीत लिया।देखना ये है कि किसकी जीत होती है ? मैच के पहले दिन ही शतेश ,तपस्या के द्वारा बोल्ड हो जाते है।दूसरे दिन मैच जयमाला के साथ आगे बढ़ता है।युवा खिलाड़ियों से घिरे शतेश ,तपस्या से आँख मिलाते है।दोनों खिलाडी आमने -सामने।माला डाल कर एक रन बनाने का मौका तपस्या छोड़ना नही चाहती।और ये मौके का फायदा बखूबी उठाते हुए तपस्या ने एक रन लिया।शादी के फेरो के साथ तपस्या धीरे -धीरे रन बनना शुरू करती है।तपस्या के कुल 4 रन बने।मैच समय के आभाव में तेजी से बढ़ता हुआ।ओहो! पर ये क्या, हिट विकेट और इसी के साथ तपस्या आउट हुई।अब देखना ये है कि ,शतेश क्या कमाल करते है।फेरों के साथ शतेश 3 रन बना चुके है।चौथे फेरे के साथ शतेश ने एक और रन जोड़ा।दोनों खिलाडी के स्कोर बराबर।अब सिर्फ एक गेंद बची है।देखना ये है कि मैच किस नतीजे पे पहुँचता है? दर्शक बाराती एक्ससाइटेड है।पंडित जी कॉमेन्ट्री कर रहे है।दोनों खिलाड़ी घबराये हुए।इस मैच पे दोनों के आगे का भविष्य निधारित है।कन्यादान तक स्थिती गंभीर बन चुकी है।मैच देख रही महिलायें दारुन गीत गाने लगी है।खिलाडी शतेश थोड़े घबड़ाये गेम जीतने की कोसिस में।मैच रोमांचक मोड़ पर पहुँच चूका है।समय बहुत कम बचा है ,सिंदूर दान का बेहतरीन मौका तपस्या ने जाने नही दिया। एक शानदार सिंदूर कैच कर के शतेश को कैच आउट किया।और इसी के साथ दर्शक बारातियों में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी।मैच टाई हो गया।दोनो खिलाड़ी कोहबर घर में देवताओं से ,बड़ो से आशीर्वाद रूपी ट्रॉफी ले रहे है।इस तरह आज एक रोमांचक मैच देखने को मिला।खिलाड़ियो के साथ दर्शको ने भी खूब लुत्फ़ उठाया।
इस तरह शतेश ,क्रिकेट रूपी हमारा विवाह संपन्न हुआ।बोलो ॐ गणेशाय नमः।
उम्मीद है तुम्हे पसंद आई होगी ,मेरा कलम रूपी प्रेम।हमेशा खुश रहो ,प्रेम में रहो।

Sunday, 12 February 2017

चिरकुट प्रेम !!!

रोज़ डे के गुजरने के बाद मुझे गुलाबों की एक कहानी याद आई।बात तब की है जब मैं दसवीं पास करने के बाद पटना पढ़ने गई थी। हुआ यूँ कि कॉलेज के हॉस्टल में जगह ना मिलने के कारण, मुझे मेरी माँ के एक ऑफिस स्टाफ के यहाँ रहना पड़ा।वैसे तो बाहर कई प्राइवेट हॉस्टल थे ,पर मैं और माँ दोनों ही डर रहे थे। मैं पहली बार घर से दूर अकेली रहने आई थी। उस वक़्त मेरे घर पर फ़ोन भी नही था। माँ को लगा मेरा हाल -चाल उसे अंकल द्वारा मिलते रहेगा साथ ही ,मेरा उनके परिवार के साथ मन भी लग जायेगा।प्लस पॉइंट ये की गार्जियन के साथ मुझे घर का बना खाना भी मिल जायेगा।तो तय हुआ हर महीने माँ उनको मेरे खर्च के अलावा एक्स्ट्रा पैसे भेजेगी।रहने खाने के तौर पर।माने एक तरह से पी जी कह ले।अंकल - ऑन्टी तो मना कर रहे थे ,पर माँ नही मानी।आखिर कर उनलोगों को माँ की बात माननी पड़ी।वैसे उस परिवार से मुझे घर जैसा ही प्रेम मिला। उन अंकल की बेटियां मेरी दोस्त बन गई।आंटी दिन भर अपने बच्चों के साथ मेरे पीछे भी लगी रहती ,पढ़ लो पढ़ लो कहती हुई।उनकी दो बेटी है। बड़ी बेटी मेरे क्लास में ही थी।लम्बाई में थोड़ी बड़ी दिखने की वजह से मैं उन्हें दीदी कहती थी। उनके कुछ दोस्त उसी मोहल्ले के थे ,जो मुझसे बात करना चाहते।पर मैं शुरू से थोड़ी अजीब रही हूँ।मुझे ये सब थोड़ा लेट समझ आता।आप सब समझ रहे है ना -माने प्यार ,मोहब्बत,टाइम पास। अब तो खैर मैं एक्सपर्ट हो गई हूँ।बाकि प्रेम की देवी की मुझ पर असीम कृपा रही है।मज़ाल है कि ,जिसपे भी मेरा क्रश -क्रूस हुआ हो ,वो मुझे पसंद ना करे।पर सच कहूँ दोस्तों ,वैलेंटाइन देवता की कसम कभी इस बात का घमंड नही किया मैंने। खैर विषय से ना भटकते हुए मुद्दे पर आती हूँ।दीदी का एक दोस्त रोज मुझे आते -जाते दिख जाता।बात करने की कोशिस करता ,पर मेरा धांसू आटिट्यूड आड़े आ जाता।फिर उसने दीदी से बात की।दीदी ने मुझसे कहा कितनी बार कह चुकी हूँ तपस्या ,वो तुमको पसंद करता है। एक बार मिल कर बात कर लोगी तो क्या होगा ?मिल कर मना कर देना। अब मैं ठहरी बसंतपुर की लड़की।ये सब हमलोगों के लिए पाप था ,बुरा काम था तब। फिर भी बार -बार कहने पर एक दिन मैंने मिलने के लिए हाँ कह दिया।मैंने दीदी को कहा मैं कही जाऊंगी नही।बोलो कॉलेज के बाहर ही मिल ले।अगले दिन कॉलेज से बाहर जैसे मैं आई वो लड़का बाहर खड़ा था।मैं सोच रही थी कि ,बात करू या ना इतने में वो पास आ गया। हाल -चाल के बाद उसने एक प्लास्टिक का गुलाब साथ में आर्चीज़ का कार्ड दिखाया। फिर हँसते हुए बोला -प्लास्टिक का रोज़ इसलिए कि तुम फेको तो टूटे ना या फिर रखो तो हमेशा तुम्हारे साथ रहे।मुझे मालूम है फूल तुम्हे बहुत पसंद है।मैं उन चीज़ों को लिए बिना सोच रही थी कि ,क्या बोलू ? तभी उसने कोई शेर बोलना शरू किया।भगवान ये लड़को को इतने डायलॉग ,शेरो -शायरी कहाँ से आती है ? उन दिनों तो मेरा शेरो -शायरी से दूर -दूर तक कोई लेना -देना नही था। मैं ईधर -उधर देख रही थी की ,साइकिल पर एक क्लास का लड़का आता दिखाई दिया।उसका घर पर भी आना -जाना था।उसे देख कर मुझे कुछ समझ में नही आया।मुझे लगा इसे मालूम हुआ तो बड़ी बदनामी होगी।साला नाम कभी हुआ नही ,बदनामी की चिंता ज्यादा रहती है।खैर वो शेर पढ़ने में मशगूल रहा।मैंने फाटक से फ्रैक्शन ऑफ़ मिनट में फ्लावर और कार्ड उसके हाथ से लगभग छीनते हुए ,अपने प्लास्टिक की प्रक्टिकल फाइल में रख लिया। वो कुछ समझता ,तबतक वो साइकिल वाला लड़का आके मुझसे पूछता है -तपस्या क्या कर रही हो? ये कौन है ?उसको लगा ये लड़का मुझे छेड़ रहा है। मैंने कहा ये दीदी का दोस्त है।साइकिल वाला लड़का मुझे घर जाने को बोल कर निकल गया।मैं भी बिना कुछ बोले घर की और चल पड़ी।पीछे से शायर लड़का दौड़ता हुआ आया ,बोला फिर कब मिलोगी तपस्या ? मैंने कहा कभी नही।घर आकर मैंने दीदी को सारी बात बताई।वो हँस रही थी।तबतक साइकिल वाले लड़के ने घर तक ख़बर पहुँचा दी थी।आज तो वो बड़ा आदमी बन गया है ,पर तभी मैंने और दीदी ने उसे खूब गालियां दी थी।उसके बाद शायर लड़के के दीदी को बार -बार कहने पर भी ,दुबारा मैं उससे कभी नही मिली।दीदी ने भी कहना बंद कर दिया।वो मुझे देखता रहा और हर बार मुझे अपने फ्लावर और कार्ड छीनने पर शर्म आती रही।एक साल बाद फाइनल इम्तहान हुआ और मैं वापस बसंतपुर आ गई। अब तो सोच के हँसी आती है।उस वक़्त आर्चीज़ कार्ड पर प्रेम छोटे -छोटे बच्चो के रूप में दिखाया जाता था।जैसे पुराने फिल्मो में फूलों का टकराना प्रेम होता हा-हा -हा। सच में ऐसा ही होता है चिरकुट प्रेम !

Tuesday, 7 February 2017

हाय रे नीतीसवा !!!

हो का रहल बा भाई बिहार में ? शराब बंदी की हवा चल रही है ,इसी में किसी ने फेसबुक पर न्यूज़ शेयर किया की -भोजपुरी अश्लील गानो पर भी रोक होने जा रही है। खबर कितनी सच्ची है मालूम नही ,पर हम तो यही सोच रहे है बिना रास -रंग के कैसा होगा बिहार। इसपे भारी जुल्म कि फगुआ भी आ गया।अब जे है सो ठीक है।हमको तो बस इस बात का दुःख है ,अब जब बसंतपुर जायेंगे तो शाम को दारू पी कर सड़क पर कोई गिरा हुआ नही होगा।देर रात कोई गीत ना गाता होगा ,गाली न दे रहा होगा।बेचारे ठेला वाले , ट्रैक्टर वाले,पान की गुमटी वाले सब मोहम्मद अजीज़ के पीछे पड़ जायेंगे।साला सारा रंग ही ख़त्म हो जायेगा।ओह ,पान से याद आया वो तो नीतीसवा ने खैनी और ज़र्दा वाला पान नही बंद किया वरना ,हाहाकार मच जाता। खून की होली हो जाती इस फागुन में।खैर बाकी बिहार का हम क्या जाने ,पर हाय रे बसंतपुर !अब तो तुमसे बसंत ही गायब हो जायेगा।इस रास -रँग के हल्ला के बीच मुझे एक भोजपुरी गाना सुनने को मिला।ये किसी शराब प्रेमी का भी गीत हो सकता है जो अपनी प्रेमिका (शराब )से दूर होने के दुःख में गा रहा होगा 😊कभी इस धुन पर कोई भक्ति गीत या शायद भरत शर्मा जी का कोई गीत सुना था ,जो अभी याद तो नही ,पर ये गीत भी सुनने लायक है।