दुर्गा पूजा का दूसरा दिन ।
यहाँ पर जीसस के देख रेख में सब सामान्य है ।पर भोले बाबा की नगरी में ,इन पावन दिनो में भी माँ के रूपों का हनन हो रहा है ।ऐसे में या तो भोलेनाथ समाधि में लीन है ,या उन्हें लगता है कि देवी ख़ुद समर्थ हैं ।ये पापी राक्षस कब समझेंगे की ,चाहे युग कोई भी क्यों ना हो ।नारी का अपमान विनाश का कारक होता है ।
आज "माँ ब्रह्मचारिणी "रूप में हैं तो क्या हुआ ? कभी तो काली रूप धरेंगी ।तब तुम अपना नाश देखना अधर्मियों ।
माँ के शांत स्वरूप को उनकी कमज़ोरी समझ रहें हैं ये लिजलीजे कीड़े ।
जब यहीं कोमल शरीर हज़ारों -हज़ार साल तप करके ।कभी फल -फूल तो कभी निर्जला व्रत करके ।अपने संयम और प्रेम से भोले अगड़भंगी को वश में कर सकती हैं ।फिर तुम जैसे गंजेडी -लफ़ंगो की क्या औक़ात ।
माँ आपके ब्रह्मचर्य को दुनिया अबला समझ रही है ।मुझे आपके महाकाली रूप का इंतज़ार है ।या तो आप सर्वनाश करें या फिर इस नफ़रत और घृणा से भरे समाज में प्रेम का संगीत घोलें ।
सबकी मनोकामना पूरी करने वाली माँ मेरी भी विनती सुन ले ।आपने माता सीता की प्रार्थना स्वीकार कर ,उन्हें राम को वर स्वरूप दिया ।पर मुझे किसी राम की इक्षा नही ।
मुझे तो बस इस दुनियाँ में अपने तरीक़े से स्वतंत्र जीने का वरदान दो ।अपने तरीक़े से राम या रावण चुनने की आज़ादी दो ।मुझे कोई डर -भय ना हो अपने इस नारी स्वरूप को लेकर ।
हे माँ ! मेरी इस प्रार्थना को स्वीकार करो ।
https://youtu.be/LVIL0qPdo0U
यहाँ पर जीसस के देख रेख में सब सामान्य है ।पर भोले बाबा की नगरी में ,इन पावन दिनो में भी माँ के रूपों का हनन हो रहा है ।ऐसे में या तो भोलेनाथ समाधि में लीन है ,या उन्हें लगता है कि देवी ख़ुद समर्थ हैं ।ये पापी राक्षस कब समझेंगे की ,चाहे युग कोई भी क्यों ना हो ।नारी का अपमान विनाश का कारक होता है ।
आज "माँ ब्रह्मचारिणी "रूप में हैं तो क्या हुआ ? कभी तो काली रूप धरेंगी ।तब तुम अपना नाश देखना अधर्मियों ।
माँ के शांत स्वरूप को उनकी कमज़ोरी समझ रहें हैं ये लिजलीजे कीड़े ।
जब यहीं कोमल शरीर हज़ारों -हज़ार साल तप करके ।कभी फल -फूल तो कभी निर्जला व्रत करके ।अपने संयम और प्रेम से भोले अगड़भंगी को वश में कर सकती हैं ।फिर तुम जैसे गंजेडी -लफ़ंगो की क्या औक़ात ।
माँ आपके ब्रह्मचर्य को दुनिया अबला समझ रही है ।मुझे आपके महाकाली रूप का इंतज़ार है ।या तो आप सर्वनाश करें या फिर इस नफ़रत और घृणा से भरे समाज में प्रेम का संगीत घोलें ।
सबकी मनोकामना पूरी करने वाली माँ मेरी भी विनती सुन ले ।आपने माता सीता की प्रार्थना स्वीकार कर ,उन्हें राम को वर स्वरूप दिया ।पर मुझे किसी राम की इक्षा नही ।
मुझे तो बस इस दुनियाँ में अपने तरीक़े से स्वतंत्र जीने का वरदान दो ।अपने तरीक़े से राम या रावण चुनने की आज़ादी दो ।मुझे कोई डर -भय ना हो अपने इस नारी स्वरूप को लेकर ।
हे माँ ! मेरी इस प्रार्थना को स्वीकार करो ।
https://youtu.be/LVIL0qPdo0U