बिहार में सर्दी रानी जाते -जाते रह गईं।लगा था सरस्वती पूजा के बाद दिन खुलने लगेगा ,पर यहाँ तो छब्बीस जनवरी से सूर्य देवता लगभग ग़ायब से ही रहे हैं ।हर घर के लोग बाहर घूर लगाए बैठे हैं ।घर तो छोड़िए लोगों ने सड़कों को भी नही छोड़ा है ।
कल कुछ काम से बेतिया जाना हुआ ।सुबह के दस बज चुकें थे और चारों तरफ़ धुँध ही धुँध ।इस मौसम में भी कुछ किसान खेतों में गन्ना छील रहें हैं तो ,कुछ बच्चे बकरी ले कर निकल पड़े हैं ।मुझे थोड़ा अफ़सोस हुआ ।
भाई से पूछी ,ऐसे मौसम में गन्ना छीलने की क्या ज़रूरत ? क्या एक -दो दिन रुक कर ये लोग नही कर सकतें ?
भाई बोला -बहन किसान के लिए फ़सल से ज़्यादा कुछ महत्वपूर्ण नही होता ।फ़सल ही उसका जीवन है ।जब जीवन ही नही तो क्या ठंड क्या बारिश ।इनके गन्ने का नम्बर लगा होगा मिल में ,इसकी वजह से ये परिवार इस ठंड में खेत में लगा हुआ है ।
कुछ आगे जाने पर लोगों ने लगभग सड़क को ही घर -दुआर बना रखा था ।सच पूछिए तो इस बार मुझे आपने गाँव में गंदगी ज़्यादा दिख रही थी।लोगों ने सड़कों पर ही घास-फूस ,खर -पतवार फैला रखा था ।उनके मवेसी उसी पर लेटे हुए थे ।कही गोबर तो कहीं राख ।इनके बीच आग तापते लोग ।कई जगह तो ड्राईवर को गाड़ी मोड़ने में भी दिक़्क़त हो रही थी।लोगों ने खादर ,पतवार सड़क पर ही जमा कर रखा था ।
ये सब देख कर मैंने भाई से कहा - अपने गाँव के लोग बहुत गंदगी में रह रहें हैं ।ऐसे में तो बीमारी फैल जाएगी।
भाई बोला गंदगी ?
कहाँ दिख रहा है तुम्हें बहिन ? थोड़ा इनके नज़रिए से भी देखो ।ये जो तुम गंदगी कह रही हो ,ये सब जैविक चीज़ें हैं ।आसानी से सड़ गल के खाद बन जायेंगी ।फिर इन लोगों के काम आ जायेंगी ।साथ हीं इनसे कभी कोई बड़ी बीमारी नही होगी ।
“गंदगी तो तुम फैला रही हो डाइपर के रूप में " और हँसने लगा ।
वहीं दूसरी ओर तुम बताओ ,जिसको दुआर नही ।झोपड़ी का घर है ।मवेसी हैं ।इतनी ठंड में वो अपने जानवर कहाँ बाँधे ? जलावन कहाँ से लाए ? ये जो तुम खर -घास सड़क पर देख रही हो ,उसपर दिन में उनके मवेसी रहेंगे ,साथ ही उनके जलावन का इंतज़ाम भी हो जाएगा ।
इनके पास हीटर तो है नही जो जला कर ताप लिया ।अब ऐसे में थोड़ा राख फैल भी जाता है तो क्या हो गया ?
इस तरह अपनी तकलीफ़ और इन लोगों का दर्द देख कर सर्दी माता से नम्र निवेदन है -हे माई ! अब तो दया करो ।
कुछ तस्वीरें -
कल कुछ काम से बेतिया जाना हुआ ।सुबह के दस बज चुकें थे और चारों तरफ़ धुँध ही धुँध ।इस मौसम में भी कुछ किसान खेतों में गन्ना छील रहें हैं तो ,कुछ बच्चे बकरी ले कर निकल पड़े हैं ।मुझे थोड़ा अफ़सोस हुआ ।
भाई से पूछी ,ऐसे मौसम में गन्ना छीलने की क्या ज़रूरत ? क्या एक -दो दिन रुक कर ये लोग नही कर सकतें ?
भाई बोला -बहन किसान के लिए फ़सल से ज़्यादा कुछ महत्वपूर्ण नही होता ।फ़सल ही उसका जीवन है ।जब जीवन ही नही तो क्या ठंड क्या बारिश ।इनके गन्ने का नम्बर लगा होगा मिल में ,इसकी वजह से ये परिवार इस ठंड में खेत में लगा हुआ है ।
कुछ आगे जाने पर लोगों ने लगभग सड़क को ही घर -दुआर बना रखा था ।सच पूछिए तो इस बार मुझे आपने गाँव में गंदगी ज़्यादा दिख रही थी।लोगों ने सड़कों पर ही घास-फूस ,खर -पतवार फैला रखा था ।उनके मवेसी उसी पर लेटे हुए थे ।कही गोबर तो कहीं राख ।इनके बीच आग तापते लोग ।कई जगह तो ड्राईवर को गाड़ी मोड़ने में भी दिक़्क़त हो रही थी।लोगों ने खादर ,पतवार सड़क पर ही जमा कर रखा था ।
ये सब देख कर मैंने भाई से कहा - अपने गाँव के लोग बहुत गंदगी में रह रहें हैं ।ऐसे में तो बीमारी फैल जाएगी।
भाई बोला गंदगी ?
कहाँ दिख रहा है तुम्हें बहिन ? थोड़ा इनके नज़रिए से भी देखो ।ये जो तुम गंदगी कह रही हो ,ये सब जैविक चीज़ें हैं ।आसानी से सड़ गल के खाद बन जायेंगी ।फिर इन लोगों के काम आ जायेंगी ।साथ हीं इनसे कभी कोई बड़ी बीमारी नही होगी ।
“गंदगी तो तुम फैला रही हो डाइपर के रूप में " और हँसने लगा ।
वहीं दूसरी ओर तुम बताओ ,जिसको दुआर नही ।झोपड़ी का घर है ।मवेसी हैं ।इतनी ठंड में वो अपने जानवर कहाँ बाँधे ? जलावन कहाँ से लाए ? ये जो तुम खर -घास सड़क पर देख रही हो ,उसपर दिन में उनके मवेसी रहेंगे ,साथ ही उनके जलावन का इंतज़ाम भी हो जाएगा ।
इनके पास हीटर तो है नही जो जला कर ताप लिया ।अब ऐसे में थोड़ा राख फैल भी जाता है तो क्या हो गया ?
इस तरह अपनी तकलीफ़ और इन लोगों का दर्द देख कर सर्दी माता से नम्र निवेदन है -हे माई ! अब तो दया करो ।
कुछ तस्वीरें -
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