पिछले कुछ दिनो से सोशल मीडिया पर एक ही चर्चा है -“राम और रेप “
दोनों ही नया मुद्दा नहीं है ,न ही दोनों पर किसी भी सरकार ने कभी ढंग का कोई निर्णय लिया।सरकार की क्या बात करे? हमने ,हमारे समाज ने भी तो बस हो -हल्ला ही किया।मुद्दे दर मुद्दे भटकते रहे।या फिर भटकाए जाते रहे।
राम ने स्त्री सम्मान के लिए जानवरों ,माफ़ कीजिये मेरा मतलब बंदरो ,रीछों से है की मदद से शक्तिशाली रावण का वध कर दिया।जबकि उसने तो बस उनकी पत्नी का अपहरण किया था। और हम...
हम ना तो भगवान् है ना बन सकते है ,इसलिए तो आज कई स्त्रियों ,बच्चियों के शारीरिक दोहन को भी राम का रंग दे रहें हैं।हम उन कथित जानवरों से भी नीच है जिनका अपना कोई विवेक नहीं।जिन्हे बस खून की प्यास है।
“ओह !राम ने सबको बाँट दिया”
वहीं कभी जाति का दायरा मिटाने के लिए निचले तबके के लोगो ने ,अपने नाम में राम लगाना शुरू कर दिया था।शायद ये सोच कर कि ,राम सबके हैं।मूर्ख लोग धर्म के जाल को समझ ही नहीं पाए।
धर्म ने इस कदर पागल बना रखा है कि ,इसकी मिशाल नीचे लगी तस्वीर है।
तस्वीर राजापट्टी (सारण जिला ) के एक चौक की है।यहाँ बाबा साहेब जी की मूर्ति की स्थापना हुई।कुछ सवर्ण गवारों को ये बात हज़म नहीं हुई।उन्हें लगा उनके इलाके में किसी निचले तबके के इन्शान की मूर्ति कैसे ? अपने दल के साथ उन्होंने मूर्ति के सर को तोड़ने की कोशिश की।कालिख पोता।
नालायकों को कहाँ मालूम की वो खुद पर कालिख पोत रहें है।खुद का मस्तिक ,विवेक धर्म के नाम पर कूट रहे है।
अच्छा है अम्बेडकर आप नहीं रहे ,वरना धर्म का ऐसा नंगा नाच देख कर आप खुद अपने मुँह पर कालिख पोत लेते।
ऐसे में आपके जयंती की क्या शुभकामनायें।
ऐसे में आपके जयंती की क्या शुभकामनायें।
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