Friday 13 July 2018

येंगूलर गायरस !!!!

एक सखी की सलाह पर “वह भी कोई देश है महाराज “किताब मँगवाई ।पढ़ना शुरू किया तो बस पढ़ती गई ।सच में इस किताब की लिखाई बहुत ही रोचक है ।
किताब में बहुत कुछ मज़ेदार है ,जानने योग्य है ।
 एक पक्षी हॉर्नबिल के बारे में भी ज़िक्र है ।लेखक लिखते है हॉर्नबिल जोड़ा नही बदलते ,वफ़ादार प्रेमी माने जाते है ।रूप ही इनका दुश्मन है ।उसके पंखो से नागा अपने मुकुट सजाते है ।साथ ही धनेश यानी इस पक्षी का मांस और तेल कामशक्तिवर्धक माना जाता है ।नीम हकीम ,घूमंतू वैध प्रेमविहीन अंधविश्वासियों को फाँसनेके लिए इस पक्षी का चोंच प्रयोग करतें हैं।

इसे लाइन को पढ़ते समय मुझे अपने विज्ञान की एक शिक्षिका याद आ गई ।एक बार पढ़ाई के क्रम में उन्होंने बताया था ,रेडबैक एक मकड़ी है जो अपने पार्टनर को मेटिंग के बाद खा जाती है ।ये सुबह की प्रार्थना वाला मेटिंग नही ।जानवर भी भला प्रार्थना करतें होंगे ?
हेय, सच में बड़ी मज़बूत हृदय वाली मकड़ी है ये तो यह कह कर मैं और मेरी दोस्त ख़ूब हँसे थे ।

हृदय से एक और बात याद आई उन्होंने ये भी बताया था कि ,केंचुए को पाँच दिल और ऑक्टोपस को तीन ।आप अंदाज़ा लगा ही सकतें है इसपर मैंने और मेरी दोस्त ने क्या सोचा होगा ।
मुझे केचुआ तो बनाना नही था ।ऐसे में प्रशंसा को ही पाँच दिल की मालकीन का ख़िताब दे दिया गया ।पाँच दिल के ख़ातिर उसे केचुआ बनने से भी हर्ज ना था ।हम हँस -हँस के पागल हो रहे थे कि ये बेचारे जीव पाँच -पाँच दिल ले कर करते क्या होंगे ? हमसे एक ही नही संभलता ।

वैसे एक बात तो है ख़ाली दिल ही नही प्रेम और वफ़ादारी में भी कुछ जीव श्याद हम मनुष्यों से आगे है ।ऐसे ही नही एक प्रेमी सारस जोड़े रामायण के आरम्भ का कारण बने ।
प्रेम में डूबे जोड़े को एक शिकारी मार देता है ।महर्षि वाल्मीकि इस घटना को देख कर दुःख से बोल पड़ते है

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शाश्वती: समा:।
यत् क्रौंचमिथुनादेकमवधी: काममोहितम्॥

कहते है हंस अपने पार्टनर के प्रति सबसे ज़्यादा वफ़ादार होते हैं।ये अपने पार्टनर की हर तरह से मदद करते है ।मसलन घर बनाने ,भोजन लाने ,बच्चों को पालने आदि ।हॉर्नबिल  की तरह ।पर अगर किसी कारण वश इनका पार्टनर नही रहे तो ये वियोग में प्राण दे देते है ।तभी तो शायद हिंदी फ़िल्मों के गाने इनकी उपमा से लिपटे पड़े है ।

यही नही एक और बात बताऊँ ये जो भेड़िया है ना भेड़िया वो भले ही ख़तरनाक हो पर अपने साथी और परिवार के लिए काफ़ी ईमानदार होते है ।अपने पार्टनर के मौत के बाद दूसरा पार्टनर भी नही ढूँढते ।
ये तभी ट्वाइलायट में इनको रखा था क्या ? भगवान जाने पर अब से कोई आपको भेड़िया कहे तो यही सोच के मुस्का दीजिएगा सफल प्रेमी ।

अच्छा अगर आप पेंगविन वाली डॉक्युमेंट्री देखेंगे तो उसमें दिखता है कि ये अपने साथी से कितना प्यार करतें है ।कुछ तो दूर होने पर भी अपने साथी से मिलने का इंतज़ार करते है हाय ! इनको भी विरह होता है ।
हे गंगा माईया तोहे साफ़ हम रखबो
साइयाँ से कर द मिलनवा हो राम ।

मुझे तो लगता है इन जीवों का येंगूलर गायरस वाला हिस्सा हमसे ज़्यादा विकसित है ।वरना जानवर क्या जाने प्रेम भला जब हम विकसित जीव नही समझ पाते ।

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