Tuesday 21 April 2020

कल्याण !

• चाचा “ किम जोंग उन” बीमार,  शतेश परेशान।
• चाचा किम ने ट्रम्प बाबा को चिट्ठी नही लिखी ,तपस्या परेशान।

• चाईना दाई कहती है, की जब एडस और एचवन एनवन वाइरस से एतना लोग मरा तो कोई पूछा जो हमसे सवाल दागा जा रहा है?  एतना सुन के सेट-अप (शतेश -तपस्या) दोनों परेशान।

•इधर , अमेरिका में तेल/गैस का दाम कम होते देख,  घूमंतु जोड़े के करेजा पर साँप लोट रहा है।  अरे दादा हो,  ई किरवनावा कब जाई ? अभीए त घूमे के लाहार रहल हऽ...
कपार पर हाथ रख के दूनों बेकत अब सोचता कि, साला पईसा बचावे के कौनवो जोगे नईखे हाथ में।

• आख़िरी ख़बर ऐसी की तैसी,
अमेरिका में लोग हुए बाग़ी। कहते है घर में नही रहेंगे-नही रहेंगे। इकनोमी के फेर में ट्रम्प बाबा भी पगलाए आ जाने कौन -कौन सा  ग्रेट अमेरिका का स्कीम लाते रहते है। भारत से दवाइयों मँगवा लिए आ कहते हैं कि अब बाहरी लोगों को आने पर रोक। हाय रे दागाबजवा।  ख़बर पूरी तरह समझ में आवे तब तक कहाँ है अपने हर-हर मोदी...

समाचार के अंत में सुनते है अमेरिकी लोगगीत,,

अमेरिका हमको जान से प्यारा है
आज़ादी हमारा नारा है ।
शुरू करें अब काम-धंधे
भूखे मरने से खा कर मरना अच्छा है।

लोगगीत पर सट-अप समझ नही पा रहें क्या प्रतिक्रिया दें।
तभी आकाशवाणी होती है,

“ना रहिए जीव त के पी घीव”

एतना सुनते ही सत्य का अर्थ हँसता है, हा-हा-हा हो गया कल्याण...
कल्याण ।

Friday 17 April 2020

नंदा।

भले नंदा मुझे देरी से पसंद आई पर एक बात तो है, यार ये  बड़ी भोली दिखतीं थीं। मैंने उनके कुछ  पुराने ब्लैक एंड वाइट गाने सुने, उफ़्फ़ कितनी प्यारी लगी है क्या हीं कहूँ।
 आज इनकी याद यहाँ के मौसम को देख कर आई। एक तो महामारी ऊपर से मौसम की बीमारी। कभी झमाझम बारिश तो कभी गोंऽऽऽ-गोंऽऽऽ करती हवा तो कभी ताड़ताड़ती बिजली। भगवान सोच लिए है की धरती को कैसे भी साफ़ करके हीं दम लेंगे:)

अब ऐसे में मैंने भी  “गोन विथ द विंड” को रखा साइड में। चल पड़ी कल का बचा हुआ कढ़ी गरम करने। चावल चढ़ाया, प्रेम से पकौड़े तले। जितना खा सकती थी, कढ़ी -चावल और पकौड़े खाए और फिर तान कर सो गई। उठी तो बारिश धीमी हो चुकी थी।

घर के नर और मादा गौरिया,  खिड़की की दीवार पर सिर रख कर बाहर आती-जाती गाड़ियाँ देखने लगें। उन्हें आज गाड़ियाँ कम पक्षी उड़ते ज़्यादा दिख रहें हैं...
थोड़ी देर पक्षियों को घूरने के बाद,  बारी आती है चाय के साथ बचे पकौड़े खाने की । नर गौरिया चाय बनाने को चल पड़ा और मादा संगीत की खोज में टीवी के आगे।

बारिश के गीतों के साथ नंदा एक बार फिर टीवी पर छा गई। मादा गौरिया चाय के इंतज़ार में गाने देखते-देखते सोचने लगी, नंदा कितनी ख़ुशनसीब रही ना... भले हीं वो नूतन, वाहिद रहमान, मधुबाला या नर्गिस जैसी प्रसिद्धी ना पाई हो पर हर तरह के ख़ूबसूरत गीत इनके खाते में हैं।

चाहें भक्ति गीत हो, प्रेम गीत हो, विरह गीत हो, बरखा ऋतु हो, सेंसुअल गीत हो, दबंग प्रेमिका का गीत हो, पंछी-पखेरू , बादल-पतंग, पति-पत्नी हो, भाई-बहन पर गीत हो या माँ-बच्चें पर, हर तरह के गीतों पर इन्होंने ने अभिनय किया है। हाँ, कई गीत तो मुझे इधर जाकर मालूम हुआ की इनकी फ़िल्म की हीं है।
जैसे चल उड़ जा रे पंक्षी... इस गीत को बचपन में कितनी बार सुना होगा पर हर बार शायद तीसरी क़सम के बैलगाड़ी वाला गीत सोच कर लगता की इसमें भी वाहिदा हीं होंगी :)
“मूर्ख लड़की मैं”

Saturday 4 April 2020

दीया जलाना है !!!

शाम को दीया जलाना मेरे लिए कोई नया नही। मैंने देखा है हर शाम माँ को दीया जलाते। मैंने देखा है वो शाम जब रोग या माहवारी की वजह से माँ दीया जला नही पाती तो मुझसे कहती, लभली दीया जला दो साँझा का समय हो गया है। मैंने देखा है अपनी सासू माँ को शाम का दीया जलाते। मैंने देखा है वो शाम जब किसी कारण से वो गाँव के पुराने घर जातीं तो हमें कह कर जातीं की शाम को दिया- बाती कर देना।

भारत में क़रीब आज भी 60-70% घरों में शाम को दीया  जलता हीं है। कुछ लोग ज़िंदगी की भागा दौड़ी में शाम का दीया जला नही पाते तो कुछ को ये उतना ज़रूरी नही लगता। हर किसी का अपना विश्वाश है इसे ना भी जलाए तो माता लक्ष्मी और साँझा माई से घर में सुख शांति की प्रार्थना करते है।

मैं भी कई बार शाम को दीया नही जला पाती। कारण वहीं रोग- माहवारी तो कई बार बाहर घूमना, शॉपिंग , सिनेमा या फिर दोस्तों के घर होना। हाँ घर पर होतीं हूँ तो रोज शाम दीया जला हीं लेती हूँ। जिस दिन नही जला पाती उस दिन कोई अफ़सोस या धर्म का भय नही रहता। यह बस एक ऐसा संस्कार है जो बचपन से मन पर अंकित है बाक़ी कुछ नही।

जिनके घर रोज दीया जलता है उनके लिए विश्वाश और जो नही जलाते वो शौक से आज दीया जलायेंगे या फिर  शौक  से हंगामा करेंगे। वैसे आज समय के फेर से दीया जलाने ना जलाने से कुछ बनने बिगड़ने वाला नही। हमें सावधानी तो हर हालत में बरतनी है।

बाक़ी जीवन का विश्वाश जैसे भी बना रहे बने रहना चाहिए। और भारत तो विश्वाश है ।