Friday 27 November 2015

शाइनिंग इंडिया और असहिष्णुता

भाईयों और बहनों मैं थोड़ी कंफ्यूज हो गई हूँ।और इसी उम्मीद में कुछ लिख रही हूँ ,ताकि आपलोग  मेरी कन्फ्यूजन दूर कर सके।ये "असहिष्णुता " का सचमुच मतलब क्या है ? माँ रे माँ यहाँ तो ये शब्द टाइप करने में ही मेरी लग गई।कितनी कोशिश के बाद सही लिख पाई।वैसे इंटॉलेरेन्स तो कई बार सुना था ,ये भी सुना था बर्दास्त से बाहर और मेरा पंसदीदा अब झेला नही जाता।पर ये शब्द जो असहि---- आज कल ज्यादा ही प्रचलित हो गया है।माफ़ कीजिये खाली स्थान आप खुद भर ले।मुझे भी दस बार टाइप करना बर्दास्त के बाहर हो रहा है।कई रूपों में इसका आजकल प्रचार हो रहा है।पर मुझे ठीक -ठीक समझ नही आ रहा है।ये भरी -भरकम शब्द का सही मतलब है क्या ? वैसे अमेरिका में थैंक्सगिविंग की छुट्टी है ,और शॉपिंग पर भारी छूट है।लोग मैराथन शॉपिंग कर रहे है।ऐसे में शतेश का ये कहना यार हमसे नही हो पायेगा, कही ये भी असहि ---- तो नही ?ये तो थोड़ा पर्सनल हो गया।पर क्या देश से दूर रहना भी इसी कैटगरी में आता है ? मेरे कहने का मतलब ,यार ऑनसेट कब मिलेगा ? कब ग्रीनकार्ड आयेगा ?कब सिटीजनशिप मिलेगी ? बात चाहे डॉलर /यूरो /दिनार की हो पर आप अपना देश तो छोड़  ही रहे है।इसका मतलब भारत की आर्थिक स्थिती ठीक नही, या जो पैसे मिलते है उससे गुजरा मुश्किल से होता है।या फिर बाहर देश में सुख- सुबिधा ज्यादा है।अरे क्या बात करते हो मतलब भारत में सुबिधाये कम है क्या ? अरे असहि---- लड़की ! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये बोलने की ? या फिर उन शादीशुदा जोड़ो  की भावना कि जीतनी जल्दी हो अमेरिका/यूरोप में बच्चे पैदा करो।बच्चो को नागरिता मिल जाएगी।उनका भविष्य उज्जवल हो जायेगा।इसका क्या मतलब भारत में पैदा होने वाले बच्चो का भविष्य अंधकारमय होगा ? फिर यहां भी कही असहि ---- तो नही लागू होगी ? राम -राम कैसी बात कर रही हो तपस्या ? हम सब तो थोड़े समय के लिए अमेरिका /यूरोप /दुबई या कही और है।फाइनल डेस्टिनेशन तो इंडिया ही है।पर अभी वहाँ बहुत मारा -मारी है ,सैलरी में कुछ ज्यादा बचता नही ,अरे बच्चो के स्कूल फीस भी बहुत है।क्या अपने दोस्तों के बीच में भारत की कुछ ऐसी बातें करना भी असहि---- है ? लालू ,मोदी और केजरीवाल सब एक है ,कहना भी असहि ----- है ? कही सोशल मिडिया पर हम कुछ ज्यादा ही असहि -----तो नही हो रहे है ? हर बात पर बवाल करना हमारी आदत तो नही बन गई ?ऐसे भरी -भरकम शब्द का प्रयोग करने से अच्छा ,की हम हँसी मजाक में ही कहते रहे यार रहीम /राम अब नही झेला जाता।चल यार चाय या दारू पीते है।चाय या दारू  पर राम/रहीम पूछता यार तपस्या ये "शाइनिंग इंडिया " को क्या हो गया है ? इसकी "शाइन " इस हिंदी के "असहिष्णु " शब्द से फीकी तो नही पड़ रही है।
नोट :-मुझे ऐसा लगता है इंडिया में इंटॉलरेंस से ज्यादा ऑपर्चुनिटी की कमी है ,सही मीडिया की कमी है ,शिक्षा की कमी है। वरना जो "हिन्दू " देश के बाहर रह रहे है ,वो अपने देश क्यों नही जाते ? जो हिन्दू दुबई या कुवैत भेड़ चराने या पाइप फिटिंग का काम मुस्लिम देश में करते वो भारत में क्यों नही करते ? मैं अभी भी ठीक से समझ नही पाई हूँ इस शब्द के मायने। कृपया बिना लड़े -झगडे मेरी शंका दूर करे।   

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