वेगास से हमलोग ग्रैंड कैनियन को चलते है।ग्रैंड कैनियन ,वेगास से लगभग 4 से 4 :30 घंटे की दुरी पर है।अगर आपको तेज ड्राइव का शौख़ है तो ,ये सड़क आपके लिए ही बनी है।इस रास्ते पर कई जगह स्पीड़ लिमिट 85 माइल्स पर आवर है।आप 90 /95 की स्पीड तक गाड़ी आराम से चला सकते है।वैसे चलाने को तो आप 100 की स्पीड भी चला सकते है ,बशर्ते पुलिस ना पकड़े आपको।इस स्पीड पर पकड़े गए तो ज्यादातर चांस जेल जाने का ही है।हाँ आप लॉन्ग वीकेंड को जा रहे हो ,तो स्पेशली सावधान रहे।पुलिस कही भी छुपे हो सकते है।थोड़ा अजीब है ना ? इंडिया में चोर छुपे होते है ,यहाँ पुलिस छिपी होती है।कोई भी गलती करो, जाने कहाँ से प्रकट हो जाते है।कई बार आप भाग्यशाली हुए तो ,बच भी जाते है।जैसे की हमलोग।हमने भी 100 /110 तक थोड़ी देर गाड़ी चलाई थी।वैसे ये गलत है ,पर हमें जल्दी से ग्रैंड कैनियन पहुँचना था।वरना शाम होने पर कैनियन दिखता ही नहीं।ये भी डर था कि, पार्क ना बंद हो जाये।बाद में मालूम हुआ पार्क 24 आवर्स ओपन है।रास्ते में हमने "हुवर डैम" देखा।इस डैम का आर्किटेक , कंक्रीट आर्च -ग्रेविटी पर बना है।ये डैम कोलोराडो रीवर पर बना है।यहाँ से हमलोग नॉन स्टॉप भागते हुए ग्रैंड कैनियन पहुँचे।ग्रैंड कैनियन एक नेशनल पार्क है।यह पार्क "एरिज़ोना" स्टेट में है।इसकी एंट्री फी "25 डॉलर" पर व्हीकल है।इसको कभी "सेवन नेचुरल वंडर्स ऑफ़ द वर्ल्ड "भी माना गया है।इसकी खूबसूरती देखने के लिए ,एक तो आपको "साउथ रिम " जाना होगा ,या दूसरा "नार्थ रिम" हमलोग साउथ रिम गए थे।शाम होने को थी।ठंढ भी यहाँ वेगास की तुलना में काफी थी।हमलोग दस्ताने ,मफलर से लैस होकर घूमने निकले।यहाँ विज़िटर सेंटर के पास गाड़ी पार्क की हमने।कुछ इनफार्मेशन लिया और निकल पड़े।पार्क की तरफ से सटल चलता है ,जो आपको पार्क के इम्पोर्टेन्ट पॉइंट को घूमाता है।हमलोगो ने सटल लिया और निकल पड़े।जब हमलोग कैनियन तक पहुँचे ,सूर्य अभी भी चमक रहे थे।ये चमक सूर्य की चमकती रोशनी का सांझ की तरफ ले जाने वाला था।उस नारँगी ,पीली रौशनी में कैनियन और भी खूबसूरत और आध्यात्मिक हो गया।नजरे हट ही नहीं रही थी ,वहाँ से।पहली बार मैंने इतना सुन्दर प्रकृति का नजारा पहाड़ों में देखा था।कैनियन भी हल्के भूरे ,लाल ,तो थोड़े रामराज मिट्टी के रंग के।रामराज मिट्टी का रंग वही जो अमूमन इंडिया के हर सरकारी विभाग या क्वॉटर का होता है।ठंढ बहुत हो रही थी ,फिर भी हमलोग का वापस आने का मन नहीं हो रहा था।अँधेरा होने की कगार पर था।अंततः हमलोग को वापस आना ही पड़ा।एक तस्वीर ग्रैंड कैनियन की -
अगर आप अमेरिका में है ,आपको प्रकृति से प्रेम है ,तो आपको एक बार यहाँ जरूर जाना चाहिए।हमलोग वापस सटल से इंफॉर्मेशन सेंटर तक आये।कॉफी ,चिप्स और बर्गर टाइप कुछ लिया।खाने -पीने के बाद हमलोग वापस गाड़ी तक आये ,और होटेल के लिए निकल पड़े।पार्क तो अच्छा था ,पर रोड साइन ठीक से मेंटेन नहीं थे।जीपीएस भी पार्क में ही घुमा रहा था।हमलोग बाहर नहीं निकल पा रहे थे।ऐसे ही भटकते हमलोग एक डेड एन्ड वाले रास्ते पर पहुँच गए।अँधेरा हो रहा था ,रास्ता भी नहीं मिल रहा था।हमलोग थोड़े परेशान हो गए थे।बैक लेकर गाडी थोड़ी आगे गए तो ,कुछ कॉटेज दिखे।यहाँ विजिटर रात को रुक सकते है ,अगर उन्होंने पहले से कॉटेज की बुकिंग की है तो।कुछ लोग वॉक कर रहे थे।शतेश ने बाहर वॉक करते व्यक्ति से बाहर निकलने का रास्ता पूछा।रास्ता पूछने पर मालूम हुआ जीपीएस सही ले जा रहा है ,पर बीच में कंस्टक्शन और पेड़ गिरने से रास्ता बंद है।उसके पहले का रास्ता लेना है।हमलोग बताए हुए रास्ते को फॉलो कर रहे थे।थोड़ी दूर जाने पर हमे एग्जिट गेट दिखा।तब जाके सबने राहत की साँस ली।अगले दिन हमलोग को "लॉस एंजेलिस" जाना था।रास्ते में ही कुछ तो हमने खाया और हॉटेल पहुँच के सो गए।अगले दिन हमारी लॉस एंजलिस की यात्रा शुरू हुई।हमलोग लगभग 1 बजे तक "डीज़नी'"पहुँच गए थे।यहाँ भी गाड़ी पार्किंग के बाद इनकी सटल डिज्नी लैंड तक ले गई।पार्क की टिकेट पर पर्सन '90 /95 डॉलर 'था।ये प्राइस कम ज्यादा होते रहता है।डिपेंड करता है ,आप कितने दिन घूमने आते हो।हमलोग का एक दिन का था।अगर आपको 2 /3 दिन लगातार आना है ,तो टिकट थोड़ी सस्ती होगी।यहाँ आने से पहले ही रास्ते में हमलोग एक पंजाबी रेस्ट्रो में जम कर खा के आये थे।एक बात और मैंने देखी -यहाँ पर बहुत से रोड साइन इंग्लिश के साथ पंजाबी में लिखे हुए थे।मैं आश्चर्चकित।फिर शतेश ने बताया की हमलोग कैलिफोनिया में है।यहाँ पंजाबियों की तादात भी ज्यादा है।शायद यही वजह होगा ,दोनों भाषाओं में लिखने का।जैसा मेरा अनुभव रहा डिज्नी का उसके अनुसार बता रही हूँ -अगर आपके साथ बच्चे है, तो जरूर जाइये यहाँ।पर मुझे तो बहुत कोफ़्त हो रही थी।एक -एक राइड के लिए 1 से डेढ़ घंटा इंतज़ार करो।राइड भी सिर्फ 5 या 10 मिनट की।यहाँ गर्मी भी थी।लाइन में खड़े रहना भी मुश्किल लग रहा था।जिधर देखो बच्चे ही बच्चे।काफी भीड़ थी।भीड़ से बचने के लिए आप लॉन्ग वीकेंड पर तो कभी ना जाए।एक और चीज़ मैंने यहाँ देखी -लोग छोटे बच्चों के कमर में एक कुत्ते जैसा पट्टा बाँध रखे थे।उस पट्टे की लम्बाई ज्यादा थी।बच्चे आराम से इधर -उधर घूम रहे थे ,पट्टे का दूसरा छोर माँ या पिता के हाथ में होता।जरा भी इधर -उधर हुए लगाम खींच ली।बच्चे माता /पिता के पास आ जाते।वहीं ज्यादातर बच्चों के हाथ पर या गले में विजिटिंग कार्ड की तरह मोबईल नंबर लिखे हुए थे।ये मुझे अच्छा लगा।अगर बच्चा खो भी जाए भीड़ में तो ,सिक्योरिटी आराम से इनके पेरेंट्स को कॉल कर सकती है।ओवरआल मुझे डिज्नी ठीक -ठाक ही लगी।
मुझे ज्यादा मज़ा "यूनिवर्सल स्टूडियो" में आया। एक तो भीड़ कम ,दूसरा राइड भी अच्छे वाले।यहाँ हमलोग को खाने की तकलीफ जरूर हुई।इतना बड़ा पार्क पर वेजिटेरियन के खाने के ऑप्शन में सिर्फ पिज़्ज़ा था(3 साल पहले )।हमने पिज़्ज़ा आर्डर तो कर दिया ,पर कसम से लाइफ में इतना बेकार पिज़्ज़ा पहली बार खाया था।जैसे -तैसे कोक से पिज़्ज़ा निगल रहे थे।वही दूसरे टेबल पर एक इंडियन फैमिली पूरी ,छोले और चावल खाये जा रहे थे।वो लोग अपने साथ खाना लेकर आये थे।सच में मन ललचा गया था ,पर पिज़्ज़ा से ही संतोष करना पड़ा।मेरे साथ कोई बच्चा होता तो ,मैं पक्का उसके नाम पर एक पूरी तो माँग ही लेती :) खैर ,अगर आप वेजिटेरियन है ,तो ये ऑप्शन आपके लिए बेस्ट है।यूनिवर्सल के बाद अगले दिन हमलोग हॉलीवुड साइन देखने पहुँचे।भगवान कसम हम क्यों आये थे यहाँ ? वही हवाबाज़ी के चक़्कर में कि बहुत अच्छा है।जरूर जाना।कभी -कभी मुझे लगता है ,लोग अपनी फ्रस्टेशन निकालने को कह देते है ,जरूर जाना।साला हम क्या पागल थे जो गए ? तुम भी जाओ। एक तो वन वे पहाड़ी रास्ता ,दूसरा वहाँ हॉलीवुड साइन के सिवा कुछ भी नहीं था।साइन भी आपको काफी दूर से ही देखना पड़ता है।जब यहाँ तक आये तो इसकी भी एक तस्वीर का दीदार कर ले -
फिर भी हमेशा की तरह यहां भी कुछ चाइनीज़ और कुछ इंडियन मौजूद थे।मुझे हँसी आ रही थी कि ,अकेले हम ही नहीं बेवकूफ।इसके बाद हम 'पेसिफिक कोस्ट ड्राइव' को गए।ये सुन्दर रास्ता था।एक तरफ पहाड़ तो दूसरी तरफ समुन्दर , बीच में रास्ता।हमलोग सीनिक ब्यूटी का मज़ा लेते हुए जा रहे थे।एक बहुत ही सुन्दर व्यू दिखा।हमने गाड़ी को साइड करके कुछ फ़ोटोग्राफ़ लेने की सोची।ज्योही गाड़ी को किनारे रोका गया ,किनारे पड़े किसी तेज पत्थर की वजह से गाड़ी पंक्चर हो गई।अब क्या हो ? यहाँ के गाड़ी इंस्योरेंस वाले को कॉल किया गया।वो बोला हमारे पास आते -आते उसे एक से डेढ़ घंटा लग जायेंगा।लॉन्ग वीकेंड की छुट्टी की वजह से स्टाफ़ कम है।शतेश ने हेमत और मिस्टर देगवेकर को कहा -उसका इंतज़ार करेंगे तो हमे काफी देर हो जायेगी।फ्लाइट भी लेनी है वापसी की।मुझे टायर चेंज करने आता है ,तुमलोग हेल्प कर दो।तीनो लड़को ने मिलकर टायर चेंज किया।इधर मुझे फोटोग्राफी का टाइम मिल गया।बीच साइड होने से गर्मी भी काफी लग रही थी।शतेश तो पसीने से तर -बत्तर।उस वक्त वो मुझे सच में एक कार मेकैनिक ही लग रहे थे।मुझे दया भी आ रही थी और हँसी भी।यात्रा समाप्त हुआ।वापस हमलोग वेगास एयरपोर्ट पहुँचे ,हूस्टन की फ्लाइट के लिए।
अगर आप अमेरिका में है ,आपको प्रकृति से प्रेम है ,तो आपको एक बार यहाँ जरूर जाना चाहिए।हमलोग वापस सटल से इंफॉर्मेशन सेंटर तक आये।कॉफी ,चिप्स और बर्गर टाइप कुछ लिया।खाने -पीने के बाद हमलोग वापस गाड़ी तक आये ,और होटेल के लिए निकल पड़े।पार्क तो अच्छा था ,पर रोड साइन ठीक से मेंटेन नहीं थे।जीपीएस भी पार्क में ही घुमा रहा था।हमलोग बाहर नहीं निकल पा रहे थे।ऐसे ही भटकते हमलोग एक डेड एन्ड वाले रास्ते पर पहुँच गए।अँधेरा हो रहा था ,रास्ता भी नहीं मिल रहा था।हमलोग थोड़े परेशान हो गए थे।बैक लेकर गाडी थोड़ी आगे गए तो ,कुछ कॉटेज दिखे।यहाँ विजिटर रात को रुक सकते है ,अगर उन्होंने पहले से कॉटेज की बुकिंग की है तो।कुछ लोग वॉक कर रहे थे।शतेश ने बाहर वॉक करते व्यक्ति से बाहर निकलने का रास्ता पूछा।रास्ता पूछने पर मालूम हुआ जीपीएस सही ले जा रहा है ,पर बीच में कंस्टक्शन और पेड़ गिरने से रास्ता बंद है।उसके पहले का रास्ता लेना है।हमलोग बताए हुए रास्ते को फॉलो कर रहे थे।थोड़ी दूर जाने पर हमे एग्जिट गेट दिखा।तब जाके सबने राहत की साँस ली।अगले दिन हमलोग को "लॉस एंजेलिस" जाना था।रास्ते में ही कुछ तो हमने खाया और हॉटेल पहुँच के सो गए।अगले दिन हमारी लॉस एंजलिस की यात्रा शुरू हुई।हमलोग लगभग 1 बजे तक "डीज़नी'"पहुँच गए थे।यहाँ भी गाड़ी पार्किंग के बाद इनकी सटल डिज्नी लैंड तक ले गई।पार्क की टिकेट पर पर्सन '90 /95 डॉलर 'था।ये प्राइस कम ज्यादा होते रहता है।डिपेंड करता है ,आप कितने दिन घूमने आते हो।हमलोग का एक दिन का था।अगर आपको 2 /3 दिन लगातार आना है ,तो टिकट थोड़ी सस्ती होगी।यहाँ आने से पहले ही रास्ते में हमलोग एक पंजाबी रेस्ट्रो में जम कर खा के आये थे।एक बात और मैंने देखी -यहाँ पर बहुत से रोड साइन इंग्लिश के साथ पंजाबी में लिखे हुए थे।मैं आश्चर्चकित।फिर शतेश ने बताया की हमलोग कैलिफोनिया में है।यहाँ पंजाबियों की तादात भी ज्यादा है।शायद यही वजह होगा ,दोनों भाषाओं में लिखने का।जैसा मेरा अनुभव रहा डिज्नी का उसके अनुसार बता रही हूँ -अगर आपके साथ बच्चे है, तो जरूर जाइये यहाँ।पर मुझे तो बहुत कोफ़्त हो रही थी।एक -एक राइड के लिए 1 से डेढ़ घंटा इंतज़ार करो।राइड भी सिर्फ 5 या 10 मिनट की।यहाँ गर्मी भी थी।लाइन में खड़े रहना भी मुश्किल लग रहा था।जिधर देखो बच्चे ही बच्चे।काफी भीड़ थी।भीड़ से बचने के लिए आप लॉन्ग वीकेंड पर तो कभी ना जाए।एक और चीज़ मैंने यहाँ देखी -लोग छोटे बच्चों के कमर में एक कुत्ते जैसा पट्टा बाँध रखे थे।उस पट्टे की लम्बाई ज्यादा थी।बच्चे आराम से इधर -उधर घूम रहे थे ,पट्टे का दूसरा छोर माँ या पिता के हाथ में होता।जरा भी इधर -उधर हुए लगाम खींच ली।बच्चे माता /पिता के पास आ जाते।वहीं ज्यादातर बच्चों के हाथ पर या गले में विजिटिंग कार्ड की तरह मोबईल नंबर लिखे हुए थे।ये मुझे अच्छा लगा।अगर बच्चा खो भी जाए भीड़ में तो ,सिक्योरिटी आराम से इनके पेरेंट्स को कॉल कर सकती है।ओवरआल मुझे डिज्नी ठीक -ठाक ही लगी।
मुझे ज्यादा मज़ा "यूनिवर्सल स्टूडियो" में आया। एक तो भीड़ कम ,दूसरा राइड भी अच्छे वाले।यहाँ हमलोग को खाने की तकलीफ जरूर हुई।इतना बड़ा पार्क पर वेजिटेरियन के खाने के ऑप्शन में सिर्फ पिज़्ज़ा था(3 साल पहले )।हमने पिज़्ज़ा आर्डर तो कर दिया ,पर कसम से लाइफ में इतना बेकार पिज़्ज़ा पहली बार खाया था।जैसे -तैसे कोक से पिज़्ज़ा निगल रहे थे।वही दूसरे टेबल पर एक इंडियन फैमिली पूरी ,छोले और चावल खाये जा रहे थे।वो लोग अपने साथ खाना लेकर आये थे।सच में मन ललचा गया था ,पर पिज़्ज़ा से ही संतोष करना पड़ा।मेरे साथ कोई बच्चा होता तो ,मैं पक्का उसके नाम पर एक पूरी तो माँग ही लेती :) खैर ,अगर आप वेजिटेरियन है ,तो ये ऑप्शन आपके लिए बेस्ट है।यूनिवर्सल के बाद अगले दिन हमलोग हॉलीवुड साइन देखने पहुँचे।भगवान कसम हम क्यों आये थे यहाँ ? वही हवाबाज़ी के चक़्कर में कि बहुत अच्छा है।जरूर जाना।कभी -कभी मुझे लगता है ,लोग अपनी फ्रस्टेशन निकालने को कह देते है ,जरूर जाना।साला हम क्या पागल थे जो गए ? तुम भी जाओ। एक तो वन वे पहाड़ी रास्ता ,दूसरा वहाँ हॉलीवुड साइन के सिवा कुछ भी नहीं था।साइन भी आपको काफी दूर से ही देखना पड़ता है।जब यहाँ तक आये तो इसकी भी एक तस्वीर का दीदार कर ले -
फिर भी हमेशा की तरह यहां भी कुछ चाइनीज़ और कुछ इंडियन मौजूद थे।मुझे हँसी आ रही थी कि ,अकेले हम ही नहीं बेवकूफ।इसके बाद हम 'पेसिफिक कोस्ट ड्राइव' को गए।ये सुन्दर रास्ता था।एक तरफ पहाड़ तो दूसरी तरफ समुन्दर , बीच में रास्ता।हमलोग सीनिक ब्यूटी का मज़ा लेते हुए जा रहे थे।एक बहुत ही सुन्दर व्यू दिखा।हमने गाड़ी को साइड करके कुछ फ़ोटोग्राफ़ लेने की सोची।ज्योही गाड़ी को किनारे रोका गया ,किनारे पड़े किसी तेज पत्थर की वजह से गाड़ी पंक्चर हो गई।अब क्या हो ? यहाँ के गाड़ी इंस्योरेंस वाले को कॉल किया गया।वो बोला हमारे पास आते -आते उसे एक से डेढ़ घंटा लग जायेंगा।लॉन्ग वीकेंड की छुट्टी की वजह से स्टाफ़ कम है।शतेश ने हेमत और मिस्टर देगवेकर को कहा -उसका इंतज़ार करेंगे तो हमे काफी देर हो जायेगी।फ्लाइट भी लेनी है वापसी की।मुझे टायर चेंज करने आता है ,तुमलोग हेल्प कर दो।तीनो लड़को ने मिलकर टायर चेंज किया।इधर मुझे फोटोग्राफी का टाइम मिल गया।बीच साइड होने से गर्मी भी काफी लग रही थी।शतेश तो पसीने से तर -बत्तर।उस वक्त वो मुझे सच में एक कार मेकैनिक ही लग रहे थे।मुझे दया भी आ रही थी और हँसी भी।यात्रा समाप्त हुआ।वापस हमलोग वेगास एयरपोर्ट पहुँचे ,हूस्टन की फ्लाइट के लिए।
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