“मनुष्य ध्वस्त हो सकता है परन्तु पराजित नहीं”
यह कथन नोबेल पुरस्कार विजेता उपन्यासकार “अर्नेस्ट हेमिंग्वे” ने अपनी किताब ‘द ओल्ड मैन एंड द सी’ में लिखा है।
हेमिंग्वे को पहली बार मैंने इसी किताब से जाना था। उस साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार बॉब डिलन को मिला था। मैं उनके गाने सुन रही थी और इसी बीच गूगल न्यूज़ में अर्नेस्ट हेमिंग्वे की कोई खबर दिखी। वैसे मैंने इनके बारे में थोड़ा बहुत पढ़-सुन रखा था पर कोई रुचि नही जगी थी इनमें। इनकी कोई किताब या इनकी लिखी कहानी भी नही पढ़ी थी अब तक। पर उन दिनों नोबेल के हल्ला के बीच सोचा क्यों ना इस नोबेल विजेता की कोई किताब पढ़ी जाए। अगले दिन लाईब्रेरी पहुँची और वहाँ से उठा लाई, द ओल्ड मैन एंड द सी।
किताब में एक बूढ़े मछुआरे की निराशा, अकेलेपन, साहस के बारे में रोचक तरीक़े से लिखा गया है।
लेकिन दोस्तों लिखना, उपदेश देना, किसी की मृत्यु की आलोचना( हेमिंग्वे के पिता ने भी आत्महत्या की थी। जिसे इन्होंने पलायनवाद कहा था) करना आसान है पर उसे खुद जीना शायद बहुत मुश्किल। तभी तो इन्होंने कहा है,
“दुनिया सभी को तोड़ती है लेकिन टूटी हुई जगहों पर कुछ लोग ज़्यादा मज़बूत हो जातें हैं।”
“कुछ” लोग
सभी नही। और ना ही यह कथन कहने वाला इंसान।
हेमिंग्वे ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली।
अर्नेस्ट मिलर हेमिंग्वे एक अमेरिकी लेखक और पत्रकार थे। उनका जन्म 21 जुलाई, 1899 को ‘इलिनोइस के ओक पार्क’ में हुआ था और 2 जुलाई, 1961 को केचम, इडाहो में उनका निधन हो गया। जीवन यात्रा इनकी मुश्किल और निराशा की कहानी है।
मेरा संयोग यह रहा की मैं उस शहर ( इडाहो ) गई जहाँ इनकी मृत्यु हुई थी। मैं वहाँ गई जहाँ इन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया (की वेस्ट ) यहाँ भी एक बड़ा म्यूज़ियम है इनके घर का। पर मैं जा पाई सर्फ़ इनके जन्मस्थान (ओक पार्क)
तो आज हम चलते है, हेमिंग्वे के जन्मस्थान। एक घर जहाँ उनका जन्म हुआ। आज यह जगह एक म्यूज़ियम है। यहाँ इनकी बुक रीडिंग क्लब भी है। इस घर रूपी म्यूज़ियम का टूर 45मिनट का है। दो फ़्लोर के इस घर को बहुत सुंदर तरीक़े विक्टोरियन स्टाइल से रखा गया है। एक -एक चीज़ को गाइड क्रिस बड़ा प्रेम से दिखलाते है। हेमिंग्वे के प्रति उनका प्रेम उनकी आँखों में, उनकी बातों से झलकता है। जब क्रिस इनकी मौत की बात करते हैं, एक पल को उनका गला रुंध जाता है…16 लोग उन्हें चुपचाप देख रहें होते हैं और वे कुछ रुक कर कहते है, द एंड… आप लोगों को कुछ पूछना हो तो पूछ सकते हैं।
मैं क्या पूछती ? मैं तो बस एक इंसान में प्रेम देख रही थी… और फिर ज़्यादा कुछ पढ़ा भी तो नही इनका लिखा।
नोट- घर रूपी म्यूज़ियम का टिकट ऑनलाइन लेने से आप अपना स्लॉट बुक कर सकते हैं। टिकट वहाँ जा कर भी ले सकते हैं पर हो सकता है आपको अगली टूर का इंतज़ार करना पड़े। टिकट का दाम 20 डॉलर पर अडल्ट है। पार्किंग रोड साइड है पर जगह मिल जाती है। और हाँ, इतना अच्छा टूर गाइड मुझे याद नही कब मिला था किसी म्यूज़ियम का। सच में यहाँ लोग किसी भी काम को बड़ा मन से करते है।