Monday 3 October 2022

गढ़देवी मईया !

भारत देश सच में चमत्कारों और क़िस्सों का देश है। आज अष्टमी के दिन माता गौरी की पूजा के बाद कुछ कथाएँ याद आई और एक रोचक बात भी। 

आपने सुना होगा या पढ़ा होगा, राजा दक्ष प्रजापति ने एक यज्ञ का अनुष्ठान किया था। उस यज्ञ मे बिना बुलाये उनकी पुत्री सती भी अपने पति से जिद्द करके वहाँ पहुंची, लेकिन वहाँ अपने पति भगवान शिव का कहीं स्थान नहीं देखकर, वह यह अपमान सहन नहीं कर पाई और यज्ञशाला के हवन कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी। 

इसके बाद वियोगी-क्रोधित महादेव, सती के शव को कंधे पर उठाकर तांडव करने लगे। उनका यह रौद्र रूप देख समस्त ब्रह्मांड भयभीत हो गया। प्रलय की स्तिथि हो गई। यह देख देवता गणों के आग्रह पर भगवान विष्णु ने प्रिया वियोग से भगवान शिव का ध्यान भटकाने के लिए सुदर्शन चक्र से आकाश में ही सती के शव के कई टुकड़े कर दिए। और फिर इनहि सती का जन्म “माता गौरी पार्वती” के रूप में हिमालय के यहाँ हुआ। 

कथा तो हो गई पर जो रोचक बात रही वह यह की, सती के शव के टुकड़े जब हुए तो उनके खून के छींटे बिहार के मढ़ौरा में भी पड़े। जहां बाद में “गढ़ देवी मंदिर” की स्थापना हुई। 

लोक कथा यह भी है कि शक्ति पीठ मंदिर थावे, जिसके बारे में पिछले पोस्ट में बताया था कि माता के भक्त “रहसू भगत” के बुलावे पर माता कौड़ी कामाख्या से चलकर जगह-जगह विश्राम करते हुए थावे पहुँची थी।  इस दौरान माता ने थावे पहुंचने से पहले मढ़ौरा के इसी गढ़देवी मंदिर के पावन स्थल पर विश्राम किया था। यहीं वजह है कि यहां माता की दो-दो पिंडिया स्थापित हैं और यह स्थल भी सिद्ध शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। 

वैसे तो छपरा ज़िला के मढ़ौरा के गढ़ देवी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और सालो भर यहाँ भक्तों का भीड़ लगी रहती है। यहाँ का प्रांगण पहले की तुलना में थोड़ा बड़ा और साफ़-सुथरा हुआ है। हाँ, यहाँ आने पर आपको एक और रोचक चीज़ देखने को मिलेगी,

वैसे तो सभी मंदिरों के मुख्य दरवाजे पूरब की ओर होती है, लेकिन मढौरा के गढदेवी मंदिर में पूजा करने वाली मुख्य मंदिर का गेट पश्चिम की तरफ है। कहते हैं यह भारत देश का पहला मंदिर है, जहाँ पूजा करने वाली गेट “पश्चिम” की तरफ है। 

इसके बारे में यह सुना है कि जब अंग्रेज यहां आये तो मढौरा में उद्योग लगाने की इच्छा से यहां की मन्दिर और मान्यताओं से अंजान थे। वे मंदिर को अनदेखा कर यहाँ आस-पास काम करने लगे पर वह कार्य सफल नही होता। ऐसे में अंग्रेज अफ़सर परेशान-परेशान। 

एक रात एक अंग्रेज को माता ने सपने में मंदिर के पास कार्य कराने से मना किया। अंग्रेजों ने इसे मानने से इंकार किया और यह सन बातें बकवास बताई। लोगों की आस्था और मज़दूरों का विश्वास देख फिर उस अफ़सर ने कहा, “यदि तुम्हारी माता स्वयं शक्ति है तो चमत्कार करें।” और फिर मंदिर का जो गेट खुद ब खुद सुबह होने से पहले पूरब से पश्चिम हो गया। सुबह अंग्रेजों ने यह देखा तो उनके होश उड़ गए और उन्होंने माता से माफ़ी माँग वहाँ से थोड़ी दूर हटकर मढौरा में चीनी मिल, मोर्टन मिल, सारण इंजीनियरिंग और डिस्ट्रिल वाटर की चार फैक्ट्रियां स्थापित की। 

बिडंबना यह की बिहार सरकार इन चारों फैक्टरियों में से किसी को भी बाद के समय बचा नही पाई। मंदिर के सिवा ये सब अब खंडहर है… 

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