अमेरिका में मैंने कितने ही कलाकारों- लेखकों के घरों को म्यूज़ियम के रूप में देखा है। मुझे सच में नहीं मालूम की क्यों मैं इन्हें ढूँढ-ढूँढ कर देखने जाती हूँ। बस मुझे भीतर से बहुत अच्छा लगता है।
इंडियाना आने के बाद मैंने ओहायो राज्य के दो- तीन फेरे काटे सिर्फ़ “मैरी ऑलिवर” के घर को ढूढ़ने के लिए। उनका घर तो नहीं मिला पर गूगल को मेरा टेस्ट मालूम हो गया है।
बीते महीनें मुझे एक ख़बर दिखी - प्रसिद्ध चित्रकार, “जैमिनी रॉय” के कोलकाता स्थित घर को संग्रहाल में बदला जाएगा।
साल 2016-17 का वक्त था। हम स्टैमफ़ोर्ड, कनेक्टिकट के डाउनटाउन में रहते थें। वॉकिंग के आदि घूमते-फिरते कई बार मुख्य बाज़ार तक पहुँच जाते। यहाँ शाम को खूब चहल-पहल होती। एक छोटा सा पार्क उससे घिरे कई खाने-पीने की दुकान, ओपन में फूलों के डली से सजी कुर्सियाँ और उनके ऊपर झिलमिल रौशनी की छत जिससे आसमान झांकता, मुझे बड़ा सुंदर लगता।
पार्क के सामने एक सिनेमाघर उससे थोड़ी दूर पर ही एक खूबसूरत पुस्तकालय, बग़ल में बैंक और कोने में एक चर्च।
एक शाम घूमते हुए मुझे कुछ पेंटिंग दिखी, बैंक और पुस्तकालय के बीच।
कनेक्टिकट डाऊनटाउन में कुछ -कुछ जगहों पर लोहे की पत्तर जैसा बॉक्स बना हुआ है। हर कुछ महीनों में लोकल या इंटरनेशनल आर्टिस्ट यहाँ अपनी कला का नमूना लगाते हैं।
हाँ, तो उन पेंटिंग को देख कर मैं चहक पड़ी, “अरे शतेश, यह तो किसी भारतीय की कला लग रही है।” पेंटिंग देख इतना तो मालूम हो गया की मधुबनी आर्ट है पर कलाकार का नाम नही मालूम हुआ।
घर आ कर ली गई फोटो से मिलती-जुलती तस्वीर गूगल पर ढूढ़ने लगी। तब जा कर मालूम हुआ कि ये पेंटिंग , “जैमिनी रॉय” की है। उस दिन पहली बार मैंने इन्हें जाना।
आज इनका जन्मदिन है और इनके घर को संग्रहालय में तब्दील करने की खबर ने खुशी को दुगना कर दिया है।
भारत में ऐसे और संग्रहालय होने ही चाहिए।
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