आम तौर पे भारतीय संस्कृति में हर मौके के लिए एक शुभ दिन होता है।यहां जन्म से मृत्यु तक ,अलग -अलग विधि को निभाना पड़ता है ।बच्चे का जब जन्म होता है ,उसके नामकरण की विधि होती है ।जब उनके खाने की आयु होती है ,उस वक़्त अन्नपरासान होता है।जब उनके पढ़ने की उम्र होती है,तो विजयदश्मी या सरस्वती पूजा के दिन ॐ लिख कर पढाई की शुरुआत कराई जाती है।हर तीज़ त्यौहार परम्परागत तरीकों से निभाए जाते आ रहे हैं ।चुलबुल की कहानी की शुरुआत पढ़ाई से हो ,इससे अच्छा क्या हो सकता है ।हाँ जो तीसरा रिवाज़ है जो पढ़ाई शुरू कराने के पहले होता है ।वो चुलबुल का हुआ ही नही था।उसकी माँ ने उसे लवली ( बहन )के साथ स्कूल भेजना शुरू कर दिया ।माँ को ऑफिस जाना होता था ।नटखट चुलबुल की देख -भाल करने वाला कोई घर पर नही होता ।इसलिए उसकी माँ ने शुभ घड़ी के इंतज़ार के बिना ही उसका नामांकरण करवा दिया।माँ ने सोचा इसी बहाने उसकी बदमाशी भी कम हो जाएगी ।लेकिन चुलबुल तो चुलबुल था।उसने क्लास के पहले दिन की शुरुआत रोने से की। चुलबुल की एक और ख़ासियत थी ।,वो रोता था तो आँसू नही गिरते थे।अपनी नन्हे हाथों से आँखों को मलता और रोने की अजीब -अजीब आवाजे निकालता ।उस दिन रोते हुए चुलबुल को मानाने के लिए लवली को अपनी सारी चॉकलेट देनी पड़ी थी ।जब सारी चॉकलेट खत्म हो गई तो ,चुलबुल को पिसाब लग गई।स्कूल का पूरा दिन चुलबुल ने पानी पीने,चॉकलेट खाने और टॉयलेट जाने में लगा दिया ।शिक्षकों को लगा स्कूल का पहला दिन है ।थोड़े दिनों में चुलबुल का मन लग जायेगा ।लेकिन ऐसा कुछ हुआ नही ।उल्टा चुलबुल एक नंबर ,दो नंबर के बहाने स्कूल से दिन भर गायब रहता ।खेलने भाग जाता।एक नंबर तो आपको मालूम ही होगा ,कानी ऊँगली दिखाओ और पिसाब की छुट्टी ।दो नंबर , तर्जनी और मध्यमा दो ऊँगली दिखाओ और पानी पीने की छुट्टी ।सबसे ख़तरनाक होता तीन नंबर ।आप समझ ही गए होने ।ये होती आज की भाषा में पू की छुट्टी ।चुलबुल के स्कूल में तो बच्चे इसको ऐसे कहते -ये सर लैटरिंग जाना है ।न्यू चिल्ड्रन स्कूल में दोनों भाई बहन का नामांकरण हुआ था।ये स्कूल नदी के पास में ही था।स्कूल के पास एक कदम का पेड़ था ।बच्चे टिफिन में या छुट्टी के समय कदम के फल चुनने और खाने में लग जाते ।स्कूल से थोड़ी ही दूर नदी बहती थी ।अब नदी स्कूल से पास हो तो कभी -कभी चुलबुल अपनी एक ,दो ,तीन नंबर के बहाने मछली मारने चले जाते।वो इतनी बार टॉयलेट और पानी पीने की छुट्टी लेता कि ,शिक्षको को भी मालूम नही होता की कितनी देर से गायब है।अपनी दैनिक क्रिया के बाद हमेशा छुट्टी के समय स्कूल में होता।इसका भी एक प्रमुख कारण था ।छुट्टी से पहले फिर से हाजरी (अटेंडेंस )होती थी। जो नही होता उसे फाइन देनी होती ,या फिर अविभावक से लेटर लिखवा के लाना होता ।एक दिन एक शिक्षक जिनका नाम मदन शर्मा था ।उन्होंने गौर किया की काफी समय से चुलबुल पानी पीने ही गया है। बाहर जाके उन्होंने देखा तो चुलबुल गायब था। उन्हें फ़िक्र हुई की बच्चा कहाँ गया ?आस -पास देखा पर चुलबुल कही नही मिला।उन्होंने सोचा की एक बार उसकी बहन से पूछ ली जाये। पहले तो बहन ने कहा उसे नहीं मालूम ।पर मदन सर भी मदन सर थे ।उन्हें कुछ गड़बड़ लगा ।उन्होंने बहन को धमका कर पूछा तो ,बहन ने डर कर सब उगल दिया ।बहन ने बताया चुलबुल या तो स्कूल के पीछे होगा या नदी के किनारे। छुट्टी के बाद चुलबुल अपनी बहन को बताता था कि ,कैसे वो बहाने बना कर खेलने या मछली पकड़ने जाता है ।वो उसे भी साथ चलने को कहता ।लेकिन लवली मदन सर से मार खाने के डर से नही जाती।उसका भी मन करता ,पर उसके क्लास टीचर मदन सर ही थे ।जो स्कूल में सबसे कड़क शिक्षक माने जाते ।कोई बच्चा नही चाहता था कि मदन सर उनकी क्लास में जाये।खैर लवली को मार पड़नी थी सो पड़ी ।मदन सर मारते हुए उसे डाँट रहे थे कि ,उसने पहले क्यों नही बताया चुलबुल के बारे में ।लवली को मारने के बाद मदन सर को याद आया कि चुलबुल को भी ढूँढना है।स्कूल के एक और शिक्षक को साथ लेकर वो नदी की तरफ चल पड़े।जहाँ चुलबुल मछली पकड़ने में व्यस्त था ।मदन सर की आवाज उसकी कानो में पड़ी ।पर अब क्या हो सकता था ।चुलबुल रूपी केकड़ा मदन सर के जाल में फँस गया था ।भागने की कोई गुंजाईश कहाँ थी ।सामने नदी और पीछे मदन सर ,फूलदेव सर के साथ ।इसके बाद चुलबुल का क्या हुआ होगा आपलोगो अंदाजा लगा ही सकते है ।
आगाज तो होता है अंजाम नहीं होता
ReplyDeleteजब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता |
मेरी भी हर कहानी में तुम्हारे से ही शुरू होती है बहन |
मुझे याद है जब मदन सर होम वर्क देते थे तब मै तुम्ही से धमकी दे कर अपना होमवर्क करवाता था कि अगर मेरा होम वर्क नहीं करोगी तो मै तुम्हारा कॉपी फाड़ दूंगा |
Mujhe malum hai Bhai ,I know Tum kitna dust the,Abhi bhi ho.abhi to bas suruaat hai chulbul babu Abhi to or pole khulegi 😀
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