Tuesday, 31 March 2015

Chulbul ke liye shakhat teacher

जैसा की पिछली कहानी में आपने पढ़ा नटखट चुलबुल कैसे स्कूल से बहाने बना कर भाग जाया करता था। उसके बाद की कहानी उसके घर पहुचने से शुरू होती है। मदन सर  छुट्टी के बाद लवली और चुलबुल के साथ उनके घर जाते गए। वहां जाके उनकी माँ को पूरी  कहानी बताई।माँ  ने देखा कि पहले ही चुलबुल ने रोनी सी सूरत बना  रखी थी ,तो लगता है स्कूल में ही पिटाई पूरी हो चुकी थी। माँ ने उसे समझाया की अगली बार से ऐसी हरकत न करे। चुलबुल और लवली को खाने जाने के लिए  बोल कर माँ ने मदन सर के लिए चाय मँगवाया।मुन्नी दीदी चाय ला के रख गई। मुन्नी दीदी चुलबुल के यहाँ काम करती थी।वो भी चुलबुल की गलतिया कभी -कभार छुपा लिया करती थी। खैर चाय के साथ फिर से माँ ने चुलबुल के बारे में बात शुरू की। माँ को समझ नही आरहा था की क्या करे।उन्होंने ने मदन सर  से अनुरोध किया की वो चुलबुल ,लवली  को  घर पे पढाने आया करे। मदन सर स्कूल से बहार किसी को पढ़ाते नही थे।इसलिए वो राजी नहीं हो रहे  थे।मगर चुलबुल की माँ के बार -बार  के अनुरोध को माना  ना कर सके। माँ  को मालूम था की ,चुलबुल के लिए एक सख्त शिक्षक की जरुरत थी।मदन सर को धन्यवाद के साथ माँ ने विदा किया,और कल तय समय पे पढ़ाने आने  को कहा।सर के जाने के बाद माँ ने चुलबुल को समझाया कि बदमाशी न किया करे।हाँ बोल के चुलबुल खेलने चला गया।जब वो खेल के लौटा तो माँ न कहा हाथ -पैर धो के पढने बैठे। चुलबुल के पैर में तभी दर्द शुरू  हो गया और वो रोने लगा। माँ को भी मालूम था वो ना पढने के लिए बहाने बना रहा  था। माँ ने कहा कोई बात नहीं आज रहने दो ,कल से तो मदन सर पढ़ाने आ ही रहे थे। ये सुनते  ही चुलबुल के  पैर का दर्द गायब  हो गया। वो माँ से कहने लगा की वो बदमाशी नहीं करेगा। उससे मदन सर से नहीं पढ़ना। माँ ने उसे दिलासा देने के लिए कहा की वो सिर्फ कुछ दिनों केलिए ही आएंगे। जबतक चुलबुल खुद से नहीं पढने लगता।उसने ठीक से खाना भी नहीं खाया। मुन्नी दीदी ने लाख कोशिश की खिलने की पर चुलबुल पे कोई असर ना हुआ। माँ ने भी गुस्से में चुलबुल को मनाया नहीं।मदन सर  से पढने की बात से  चुलबुल की रात नींद उड़ गई थी। चुलबुल रात भर सोचता रहा की कल के लिए क्या किया जाय की ना स्कूल जाना पड़े न मदन सर से पढ़ना पड़े।मै  कल चुलबुल के बहाने बताऊँगी।तब तक आपलोग सोचिये की उसने क्या-क्या बहाने सोचा होगा। 

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