ख़ूबसूरत है वो ईतना सहा नहीं जाता ,कैसे हम ख़ुद को रोक ले रहा नहीं जाता।
चाँद में दाग है ये जानते है हम लेकिन ,रात भर देखे बिना उसको रहा नहीं जाता।
रोग फिल्म का ये गाना बैकग्राउंड में गाना बज रहा था ,और मैं किचेन में चाय बना रही थी।शतेश मेरे बगल में खड़े हँसे जा रहे थे।मैंने कहा क्या हुआ ? हँस क्यों रहे हो ?अच्छा सॉन्ग तो है।शतेश बोले अच्छा या नॉनवेज सॉन्ग है :P मैंने कहा दिमाग़ सही जगह हो तो अच्छा सॉन्ग है।शतेश टीवी की तरफ मुड़े और बोले - यार तपस्या इसकी हिरोइन कितनी हॉट है ना।मैं भी टीवी की तरफ मुड़ी।गाने को देख कर कहा- गाने के बोल खूबसूरती पर है लेकिन ,मुझे तो इस लड़की में वो दिख नहीं रही।बाकि तुम लड़को के खूबसूरती का क्या पैमाना है ,आई डोंट नो।वैसे शतेश -जिस तरह से इरफ़ान खान उस लड़की को देख रहा है ,मैं होती तो भाग ही जाती।शतेश पूछते है क्यों भाई ? ईतना टैलेंटेड ऐक्टर है।तबतक चाय बन गई होती है।मैं चाय लेकर हॉल में पहुँची।शतेश नास्ता निकालने चले गए।हम दोनों की ये अंडरस्टैंडिंग है कि ,अगर चाय एक बनाए तो दूसरा नास्ता निकालेगा :P उनके आने के बाद मैंने कहा हाँ टैलेंटेड तो है ,पर मुझे उसकी मेढ़क जैसी आँखे नहीं पसंद।शतेश बोले अरे इसकी आँखे ही तो ऐक्टिंग करती है।कितनी इंटेंस आँखे है।मैंने कहा होंगी -पर मुझे तो इनसे डर लग जायेगा।पता ही नहीं चलता प्यार से देख रहा है या घूर रहा है।वो तो भला हो बैकग्राउंड म्यूज़िक का ,जिनसे मालूम होता है ,डरा नहीं रहा प्यार कर रहा होता है।शतेश जोर से हँस पड़े।बोले अभी प्रेम को तुमने समझा नहीं बाबू।खाली पढ़ने ,सुनने या देखने से कुछ नहीं होगा।मैंने भी कहा मेरे श्याम सुन्दर सिर्फ इरफ़ान की आँखो को लेकर तुमने मेरे प्रेम की नॉलेज पे संका किया।तुम्हारी आँखे मेंढक जैसी नहीं तो, मैं कैसे उन आँखों के प्यार को समझू ? जाओ अब से इरफ़ान की मूवी बंद।शतेश मुस्कुरा के बोले अरे नहीं यार मैं तो ऐसे ही कह रहा था।तुम ही तो हो, मेरे प्रेम की रानी।बातो -बातो में मैंने चैनल "एम ट्यून" से "म्यूजिक इंडिया" लगा दिया।इस चैनल पर शाम को पुराने सॉन्ग आते है।शाम की हमारी चाय लगभग इन्ही गानो के साथ होती है।इस बार गाना बज रहा होता है -लग जा गले कि फिर ये हसी रात हो ना हो ,शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो।शतेश फिर हँसने लगे।मैंन कहा- शतेश तुम होपलेस हो।कुछ नहीं हो सकता तुम्हारा।कितना रोमांटिक गाना है।इसके मायने कितने ख़ूबसूरत है।शतेश बोले मैं भी रोमांटिक समझ के ही हँस रहा हूँ।नॉनवेज तुम्हारे दिमाग़ में भरा है।जब कभी तुम मुझे प्यार से खा जाने की बात करती हो ना ,तब भी मैं वेज ही समझता हूँ।हम दोनों हँसने लगे।चाय की अंतिम चुस्की के साथ शतेश बोले -तपस्या तुम्हारे गाँव वाले ब्लॉग ने गाँव की याद दिला दी।वैसे सच में तुम्हारा गाँव बहुत खूबसूरत है।मानो भगवान् खूबसूरत लोगो की हर चीज़ खूबसूरत बनता है :) मैंने कहा हो गया या और भी बकवास बाकी है।शतेश बोले अरे सच में ना ,मुझे तुम्हारा गाँव बहुत पसंद आया।फिर कभी चलेंगे। फिर वो बोले -वैसे एक बात कहूँ तुम कभी -कभार प्रेम पर भी कुछ लिख दिया करो।देखे तो सही इरफ़ान के आँखों से डरने वाली तपस्या ,सलमान की आँखों की कैसी तारीफ करती है :P सलमान का नाम और मैं चुप रह जाती ? मैंने भी कहा चैलेंज ना दो बलम बबुआ।अगला जो ब्लॉग होगा पढ़ लेना।और सुन लो मेरे सलमान को इनसब में मत घसीटो।रहा मेरा तुम्हे खा जाना कहना, वेज है या नॉनवेज ये तुम जानो।मेरे लिए वो तुम्हारे इरफ़ान खान के इंटेंस आँखों से ज्यादा मेरा इंटेंस प्रेम है।मेरे लिए तो वो बस एक ऐसी ईक्षा है जो कि सिर्फ मै समझ सकती हूँ, या कोई खाने की ईक्षा रखने वाला।तुम अभी बालक हो।मेरी बात से शतेश मुस्कुरा उठे।तो चलिए फिर प्यार की शुरुआत हो चुकी है खट्टी मिट्ठी पर।अगले ब्लॉग में प्यार और हमदोनो।तबतक के लिए सभी प्यार करने और प्यार में पड़ने वालो को मेरा प्यार।
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