Monday, 16 May 2016

आम ,कब्रिस्तान और हमारा प्यार !!!

 सिंगल लेन रोड।गाड़ी मे मैं और शतेश बसंतपुर से मढ़ौरा लौट रहे थे।जून का महीना था।सूर्य देवता भी एकदम हॉटम हॉट थे।मालूम नहीं उनको किस बात का गुस्सा था ? कही लड़कियाँ हॉट होती है ,वाला जोक तो नहीं सुन लिया ? या फिर सुबह सूर्य को जल देते समय ,किसी महापंडित की नजर सामने से गुजरती हुई हॉट लड़की पर पड़ गई ? यही कह-कह कर मैं हँस रही थी।शतेश मुस्कुराए जा रहे थे।मुझसे बोले -यार तपस्या कम से कम भगवान को तो छोड़ दो।तभी सड़क पर पड़े किसी कील के चुभ जाने से गाड़ी की टायर पंचर हो गई।शतेश बोले लो हो गया कांड।गाड़ी में एक्स्ट्रा टायर भी नहीं है।मै कहा अब ? शतेश बोले रुको एक गराज वाले को जानता हूँ।उसे कॉल करता हूँ ,शायद आ जाये।शतेश ने उसे कॉल लगाया।उससे बात होने के बाद मुझसे बोले -तपस्या वो तो एक घंटे में आयेगा।मैंने आने को बोल दिया है।तबतक चलो गाड़ी में बैठते है।फिर मुस्कुरा कर बोले-इतने में तुम दो -चार सूर्य भगवान पर और जोक कह लेना।मैं भी हँस पड़ी।मैंने कहा गाड़ी में बैठने से अच्छा सामने एक बगीचा दिख रहा है ,वहाँ चलते है ना।शतेश बोले चलो ये भी अच्छा रहेगा।बगीचे कुछ 5 मिनट की दुरी पर था।वहाँ पहुँचने के बाद हमदोनो ने राहत की साँस ली।हल्की-हल्की हवा बह रही थी।बगीचे में आम ,लीची और बहेड़ा के पेड़ लगे थे।आम के पेड़ पर लगे आम को देख शतेश बोले -तपस्या चलो अच्छा हुआ यहाँ आये।तुम्हारा पसंदीदा फल भी मिल गया।तोडू क्या ? मैंने कहा नहीं-नहीं रहने दो ,कही मालिक आ गया तो ? शतेश बोले एक आम से कुछ नहीं होता।चलो तो।हम दोनों पेड़ के पास पहुँचे।वहाँ पहुँचे तो मालूम हुआ कि ,हमलोग एक कब्रिस्तान में पहुँच गए है।सामने सीमेंट की बानी एक पलंगनुमा कब्र थी।सफ़ेद रंग से पुती हुई।उसके ऊपर सुग्गापंखी रँग से उर्दू में कुछ लिखा था।शायद मरनेवाला /वाली का नाम -गाँव हो।मैंने कहा चलते है शतेश।शतेश हँसते हुए बोले -क्यों डर गई क्या ? मैंने कहा नहीं तो।पर यहाँ क्यों बैठना ? शतेश बोले रुको तो सही।अब तो ये आम सार्वजानिक लग रहा है।खा के चलते है।बहुत दिन हुए पेड़ से तोड़ कर आम खाये और पेड़ पर चढ़ने लगे।आम का पेड़ ज्यादा ऊचा नहीं था।शतेश आराम से चढ़ कर ,दो आम तोड़ लाये।हम दोनों उसी पेड़ के नीचे बैठ कर आम खाने लगे।मैं आम खाते हुए सामने कब्र को देख रही थी।शतेश से बोली ,देखो ना बेचारे /बेचारी की आत्मा तड़प रही होगी।शतेश बोले भला क्यों ? मैंने कहा जिसके जिस्म पर मनो मिटटी का बोझ हो, वो भला खुश कैसे होगा ? शतेश बोले तुम इतनी इमोशनल क्यों हो जाती हो ? भला मरे हुए को क्या फर्क पड़ता है।आम खाओ।फिर बोले -अरे तपस्या तुमने तो सलमान की आँखों वाला प्यार बताया ही नहीं।मैंने हँसते हुए कहा अभी तक सलमान पर ही अटके हो।अपने रक़ीब से इतना प्यार।हाय !मैं मर जाऊँ।शतेश बोले अरे नहीं ,मैं तो तुम्हे खुश करने के लिए पूछ बैठा।चलो मान लो अभी मैं तुम्हारा सलमान हूँ फिर।मैंने मुस्कुरा कर कहा -शुक्रिया ,शुक्रिया ,शुक्रिया दिल रखने के लिए।शतेश भी मजाक़ में बोले पड़े -कुबूल है ,कुबूल है ,कुबूल है।मुझे हँसी आ गई।मैंने शतेश से पूछा -मालूम है 3 बार कुबूल कब कहते है ? शतेश मुस्कुरा कर बोले -जब तुम 3 बार शुक्रिया बोले तब मेरी जान।मेरी और हँसी छूट गई।हाथ में लगे आम को चाटते हुए बोली -अरे मेरे भोले सलमान 3 बार कुबूल ,निकाह यानि शादी के वक़्त बोलते है।शतेश फिर तपाक से बोले मुझसे शादी करोगी ? मैंने कहा -ना भाई हम दिल दे चुके सनम।शतेश फिर उदास होकर बोले तो लौटाओ मेरा कुबूलनामा।मैंने कहा ऐसी भी क्या जल्दी है ? उधार रहा।वैसे भी मेरी शादी हो गई है :) थोड़ी देर तक एक खामोशी छाई रही।फिर शतेश बोले -जाने -ए -मन  हमको मालूम है इश्क़ मासूम है ,दिल से हो जाती है गलतियाँ ,शब्र से इश्क़ मेहरूम है।अरे ईतना भाव ना खाओ तपस्या।मान भी जाओ।तुम्हे क्या मालूम मेरे दिल का हाल अब तो तू ही तू हर जगह आज कल क्यों है? ,रास्ते हर दफा सिर्फ तेरा पता मुझसे पूछे भला क्यों है ? एक पल प्यार का ज़िन्दगी से बड़ा ,ऐसा मेरा ख़ुदा क्यों है ? बोलो ना तपस्या।मै तब भी मुस्कुरा के चुप रही।शतेश अबकी बोलते है ,उफ्फ ! ईतनी अकड़ पर तो सलमान भी भाग जाए।मेरी हँसी छूट गई।मैंने कहा प्रीतम प्यारे  -मुझे मालूम है ,ये सलमान नकली है।वैसे असली भी होता तो मैं उसे हाँ नहीं कहती।शतेश बोले वो भला क्यों ?मैंने कहा - क्योकि मुझे शादी शुदा और इंगेज लोगो में दिलचस्पी नहीं :)उसे हाँ कहने से मेरे कितने रिश्ते टूट जायेंगे।मेरा दीवाना शतेश पागल हो जायेगा।मेरी प्रिय दोस्त आकांक्षा मेरी दुश्मन हो जायेगी।मेरी बहन शिल्पी मेरा मुँह तक नहीं देखेंगी।फिर सलमान तुम्हारी आँखे मुझे कितनी भी पसंद क्यों ना हो ,वो शतेश की आँखों से प्यारी नहीं बन सकती।पसंद और प्यार अलग -अलग होते है शतेश शुभ्रांशु जी।मेरी बात सुनकर शतेश हमेशा की तरह मुस्कुराये।थोड़ा और मेरे करीब आये।मेरी हाथो को हाथ में लिया और पूछे तो शतेश के लिए कुबूल है।मैंने कहा हट पगले एक जन्म के लिए एक ही सजा काफी है :P दोनों हँस पड़े।पीछे से एक गाने की आवाज आ रही थी।शायद कोई साइकिल सवार अपनी चाईनीज़ मोबाईल पर गाना सुनते हुए जा रहा था।
इतनी मोहब्ब्त सह ना सकूँगा ,सच मानो जिन्दा रह ना सकूँगा
तुझको सम्भालू ये मेरा जिम्मा मैं हूँ तो क्या गम जाने तमन्ना।
अब जीना मरना मेरा जानम तेरे हाथ है ,मैंने कहा ना सनम अब तू मेरे साथ है ,
तो फिर संभाल कि मैं चला ,जाना कहाँ आ दिल में आ। 
साथिया तूने क्या किया ,बेलिया ये तूने क्या किया। 
नोट :-ये कहानी काल्पनिक है :)


No comments:

Post a Comment