Thursday 7 July 2016

KHATTI-MITHI: फिर तुम्हारे साथ !!!

KHATTI-MITHI: फिर तुम्हारे साथ !!!: कविता चाहे जिस भाषा में हो ,आपके दिल को छू ही जाती है।ये कवी की कल्पना ही तो होती है ,कि कभी आपके हाथो में धुप मलने की ख़्वाइश हो या फिर कैन...

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