Tuesday, 8 August 2017

स्टैमफोर्ड ,चर्च के अंदर की कहानी !!!!

स्टैम्फ़र्ड छोड़ने से पहले आख़िरकार मैंने वहाँ के चार चर्च के दर्शन कर लिए ।वॉक वाला नही भाईलोग ,अंदर जा कर  देख ,सुनकर कर आई हूँ इस बार । आज चर्च के अंदर की तस्वीरें आपके सामने पेस होंगी ।

तो सबसे पहले वो वाला चर्च -जहाँ से मेरे धातुरे के उखाड़ फेंका था । इस चर्च के बारे में पहले भी लिख चुकीं हूँ ।नाम है इसका "फर्स्ट प्रेजिबटीरीयन (पादरी ,पुरोहित )चर्च  "इसे एक मछली जैसी आकृति दी गई है ।अंदर की दीवारों पर ख़ूबसूरत रंग -बिरंगे शीशे लगाए हुए है ।चर्च के अंदर लगभग सौ लोगों की बेंच पर बैठने की व्यवस्था है ।सामने एक छोटा सा स्टेज है। उसके पीछे पीतल या किसी पीले धातु से लाइट जैसा आकर दिया गया है ।यहाँ कभी कोई कोरस गाने -बजाने का प्रोग्राम होता है तो ,कभी प्रेम ,दया ,सेवा का ज्ञान दिया जाता है। जब हम गए थे ,म्यूज़िकल प्रोग्राम ख़त्म हो चुका था ।सबलोग जा चुके थे । चर्च भी थोड़ी देर में बंद ही होने वाला था ।भाग -भाग के अंदर गए ।ऐसे में इशु की किलकारियों से ख़ाली चर्च गूँज उठा ।मेरा बच्चा शायद रंग -बिरंगे शीशे देख कर खुश हो गया था ।इस चर्च में सभी समुदाय के लोग आ सकते हैं। इनका उद्देश्य बाईबल का प्रचार -प्रसार करना और इसे मानना है।समुदाय की सेवा भी ये लोग अपने -अपने तरीक़े से करते हैं ।
ये रही तस्वीरें -

दूसरा चर्च -जिसके बाहर बोर्ड पर हमने अमेरिका के बारे में लिखा था। इसी के सामने वो पार्क है ।जहाँ मुझे बिहार की ,बम्बई वाली ऑन्टी मिली थी। चर्च के अंदर ज्यादा जगह नहीं है ,फिर भी मुझे लगता है बेंच पर 50 लोग बैठ सकते हैं ।इसका नाम -फर्स्ट कंग्रेगेशनल(धार्मिक समूह ) चर्च है ।इसमें भी सब एक हैं ।प्यार और दया की बातें होती है ।एक पादरी  आते है और ज्ञान की बातें करते ।मैं इस चर्च में क्रिश्मस के रात को गई थी ।उस समय तो इसके अंदर मुफ्त की ब्लैक कॉफी मिल रही थी ।साथ ही कुछ लोगों ने स्टॉल लगा रखा था । जो भी बिक्री होगी  ,उसकी आमदनी किसी कैंसर संस्था और बच्चों के लिए दान में जाती ।मैंने एक लैवेंडर की ख़ुशूब  वाली मोमबती ख़रीदा ।
ये रही तस्वीर-

तीसरा चर्च -चर्च ऑफ़ द अर्चनजेल्स(देव दूत ,महान फ़रिश्ता ) ।ये मेरी रसोई की खिड़की से दिखता रहता ,पर इसे ही मैंने सबसे लास्ट में देखा अंदर जा कर ।घर की मुर्गी वाला हिसाब है ।इसके फ़ॉलोवर यूनानी रूढ़िवादी क्रिस्चियन हैं ।जो की जीजस के उपदेश या उनके भक्ति द्वारा मुक्ति में विश्वास रखते हैं ।जीजस के विचार को पढ़ते और पढ़ाते है ।उसका प्रचार करते हैं ।इसमें बच्चों के लिए एक स्कूल भी है ।फ्री नहीं है भाई ,पैसे देने होते हैं ।
हाँ यहाँ फ्री में कुछ- कुछ ग्रीक फंक्शन होते हैं । पर मुझे जबतक मालूम होता ठण्ड शुरू हो चुकी थी । स्टैमफोर्ड की ठण्ड और मेरी प्रेग्नेंसी उफ़्फ़ !क्या मस्त आलस का जमाना था ।खूब सोती थी । इस वजह से जा नहीं पाई ।जब बाद में गई तो ,चर्च कंस्ट्रक्शन की वजह से अंदर से बंद था ।स्टेज को कपडे से घेर रखा था ।हर तरफ लकड़ी और गत्ते पड़े थे ।बाहर की तस्वीर ये रही -

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