रंगीला फ़िल्म के अल्बम को क्या हीं कहा जाए ।एक तरफ़ तो इतना ख़ूबसूरत संगीत दूसरी तरफ़ “उर्मिला “उफ़्फ़ !
इस फ़िल्म के गानो पर अगर आप ग़ौर करें तो लगभग किसी भी युवा कपल की पूरी कहानी लिखी है ।
कथा की शुरुआत करती हूँ शिव -पार्वती का नाम लेकर ।पहला गाना जो है वो कुछ यूँ है ,
“इतने चेहरों में अपने चेहरे की पहचान,बड़े-बड़े नामों में अपना भी नाम-ओ-निशाँ “युवाओं की सबसे बड़ी इक्षा ।
इसके बावजूद लड़का इतना बेफ़िकरा होता है कि उसे अपने जीने का हीं अन्दाज़ सबसे प्यारा लगता है और यहाँ गाने की लाइन आगे बढ़ती है
“लानत है जी उस पर दुनिया में ही रहकर
दुनिया में जो जीने के अन्दाज़ को न जाने
माथे या हाथोँ पे, चाँद या तारों में,क़िस्मत को ढूँढे पर, ख़ुद में क्या है ये ना जाने”
जीना हो तो अपुन के जैसे ही जीना
गाड़ी बंगला नहीँ ना सही ना सही
बैंक बैलेंस नहीँ ना सही ना सही
टीवी विडियो नहीँ ना सही ना सही
सूटिंग शर्टिंग नहीँ ना सही ना सही
इनकी हमको क्यूँ हो फ़िकर
जी लो जैसे मस्त कलंदरपर लड़की यहाँ इन तर्कों से ख़ुश नही होती और कहती है “ना भाई ,सब हो तो कितना अच्छा हो ।”
लईका राम फेर में पड़ जातें है की ऐसे में इससे पूछा तो ये पक्का मना कर देगी ।सोच में पड़ जातें हैं कि,
“क्या करे क्या ना करें ये कैसी मुश्किल हाय
कोई तो बता दे इसका हल ओ मेरे भाई
की एक तरफ़ तो उससे प्यार करें हम और उसको हीं ये कहने से डरे हम ।”
कुछ दिन देवदास बनने के बाद अगला गाना गाने लगते है ,
“प्यार ये जाने कैसा है
क्या कहें ये कुछ ऐसा है
कभी दर्द ये देता है, कभी चैन ये देता है
कभी ग़म देता है, कभी ख़ुशी देता है”
इधर लड़की से लईका की हालत देखी नही जाती ।पूछती है ,
“माँगता है क्या वो बोलो ,हाँ बोलो
माँगता है चाँद ये ले लो हाँ लेलो ।लईका को फुसलाती है की चाँद लेकर मेरा पीछा छोड़ो पर लईका भी कम कहाँ ?
लईका कहता है -माँगता है दिल वो दे दो ।
लईकी सोच में पड़ जाती है ।कुछ ऐसा सोचती है ,
तनहा तनहा यहाँ पे जीना ये कोई बात है
कोई साथी नहीँ तेरा यहाँ तो ये कोई बात है
किसी को प्यार दे-दे किसी का प्यार ले-ले
इस सारे ज़माने में यही प्यारी बात है
सोच विचार कर लईकी लईका को “हाँ “ कह देतीं है और अंततः सुखद ,प्रेम पूर्ण कथा सम्पन्न होती है ,आख़िरी गाने के साथ
“हाय रामा ये क्या हुआ
क्यों ऐसे हमें सताने लगे
तुम इतनी प्यारी हो सामने
हम क़ाबू में कैसे रहें”
इस फ़िल्म के गानो पर अगर आप ग़ौर करें तो लगभग किसी भी युवा कपल की पूरी कहानी लिखी है ।
कथा की शुरुआत करती हूँ शिव -पार्वती का नाम लेकर ।पहला गाना जो है वो कुछ यूँ है ,
“इतने चेहरों में अपने चेहरे की पहचान,बड़े-बड़े नामों में अपना भी नाम-ओ-निशाँ “युवाओं की सबसे बड़ी इक्षा ।
इसके बावजूद लड़का इतना बेफ़िकरा होता है कि उसे अपने जीने का हीं अन्दाज़ सबसे प्यारा लगता है और यहाँ गाने की लाइन आगे बढ़ती है
“लानत है जी उस पर दुनिया में ही रहकर
दुनिया में जो जीने के अन्दाज़ को न जाने
माथे या हाथोँ पे, चाँद या तारों में,क़िस्मत को ढूँढे पर, ख़ुद में क्या है ये ना जाने”
फिर स्ट्रगल /मौज मस्ती के दौर में उसे एक लड़की मिल जाती है ,जिसके सपने वो देखने लगता है पर हालत कंगालो वाली ।ऐसे में दूसरे गाने की एंट्री होती है
“यारों सुन लो ज़रा, हाँ अपना ये कहनाजीना हो तो अपुन के जैसे ही जीना
गाड़ी बंगला नहीँ ना सही ना सही
बैंक बैलेंस नहीँ ना सही ना सही
टीवी विडियो नहीँ ना सही ना सही
सूटिंग शर्टिंग नहीँ ना सही ना सही
इनकी हमको क्यूँ हो फ़िकर
जी लो जैसे मस्त कलंदरपर लड़की यहाँ इन तर्कों से ख़ुश नही होती और कहती है “ना भाई ,सब हो तो कितना अच्छा हो ।”
लईका राम फेर में पड़ जातें है की ऐसे में इससे पूछा तो ये पक्का मना कर देगी ।सोच में पड़ जातें हैं कि,
“क्या करे क्या ना करें ये कैसी मुश्किल हाय
कोई तो बता दे इसका हल ओ मेरे भाई
की एक तरफ़ तो उससे प्यार करें हम और उसको हीं ये कहने से डरे हम ।”
कुछ दिन देवदास बनने के बाद अगला गाना गाने लगते है ,
“प्यार ये जाने कैसा है
क्या कहें ये कुछ ऐसा है
कभी दर्द ये देता है, कभी चैन ये देता है
कभी ग़म देता है, कभी ख़ुशी देता है”
इधर लड़की से लईका की हालत देखी नही जाती ।पूछती है ,
“माँगता है क्या वो बोलो ,हाँ बोलो
माँगता है चाँद ये ले लो हाँ लेलो ।लईका को फुसलाती है की चाँद लेकर मेरा पीछा छोड़ो पर लईका भी कम कहाँ ?
लईका कहता है -माँगता है दिल वो दे दो ।
लईकी सोच में पड़ जाती है ।कुछ ऐसा सोचती है ,
तनहा तनहा यहाँ पे जीना ये कोई बात है
कोई साथी नहीँ तेरा यहाँ तो ये कोई बात है
किसी को प्यार दे-दे किसी का प्यार ले-ले
इस सारे ज़माने में यही प्यारी बात है
सोच विचार कर लईकी लईका को “हाँ “ कह देतीं है और अंततः सुखद ,प्रेम पूर्ण कथा सम्पन्न होती है ,आख़िरी गाने के साथ
“हाय रामा ये क्या हुआ
क्यों ऐसे हमें सताने लगे
तुम इतनी प्यारी हो सामने
हम क़ाबू में कैसे रहें”