बसंतपुर के चुनचुन हलवाई के यहाँ दो लड़के बैठे चाय पी रहे थे ।दोंनो की बारहवीं की परीक्षा है मगर परीक्षा से ज़्यादा चिंता वेलेंटाइन डे की है ।दोनो परेशान है कि कैसे अपनी गुलाब को गुलाब दें ।
प्यार में डूबे नए नवेले लड़के ,पहले गुलाब दिवस कैसे मनाए से राजनीति पर आ गए ।भाई विकास तो हुआ पर मोदी जीवा पार्क और चिड़ियाघर जैसा कुछ ना बनवा पाया बसंतपुर में ।उनकी बात सुनता एक लड़का जो बी कॉम करके प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहा है ,उससे रहा नही गया ।बेरोज़गार मोदी भक्त दहाड़ उठता है ,”सब काम मोदी हीं करीहे त नीतीश राम का करीहे ? “ इसी के साथ अपने ज्ञान का प्रदर्शन और अपनी वेलेंटाइन का इस जनवरी में ब्याह का दर्द लिए ,लाल आँखो से कई सवाल दाग़ दिए मासूमों के ऊपर ।
दोंनो नवेले प्रेमी बालक घबड़ा गए ।एक तो बसंतपुर में गुलाब का फूल नही मिल रहा दूसरा इनके सवाल से ,फ़ेल होने की पूरी सम्भावना दिख रही है ।ऐसे में दोनो ने सोचा यहाँ से भागने में हीं भलाई है ।
दोनो बालक चाय अधूरा छोड़ भाग खड़े हुए ।दुकानदार सब देख सुन रहा था ।बेरोज़गार लड़के के हाल को जानते हुए भी उससे पूछता है ,”भाई आज कौन सा दिन है ? बेरोज़गार लड़का कहता है क्या मर्दे “बियफे “इहो नेखे याद ?
दुकानदार दया भाव से लड़के को कहता है ,ई त मालूमे है ।हमारे पूछने का मतलब कौन से गुलाब का दिवस है ?
लड़का अपनी प्रेमिका को याद करके सोचता है क्या बताऊँ इसे ? उसके चेहरे वाला ,उसके होंठों वाला या गुलाब के फूलों वाला ।फ़ाइनली दिल पर पत्थर रख कर धीरे से कहता है लाल फूल वाला भाई ।
इधर दोंनो नवेले बालक प्रेमी लगभग हर गुलाब के झाड़ वाला घर घूम आए ।कल की बारिश ने सारे फूल धो दिए थे ।कुछ फूल थे पर पानी की मार से मरे हुए जैसे ।उन्मे से एक ने कहा इसे देने से तो अच्छा प्लास्टिक का फूल ख़रीद लें।
दोंनो पहुँचे बसंतपुर की एक मात्र गिफ़्ट की दुकान पर ।क़िस्मत देखो चाय की दुकान पर मिला बेरोज़गार यहाँ समय काट रहा था ।दुकान उसके मित्र राम की थी ।दोनो बालक एक दूसरे का मुँह देखने लगे ।अपने बसंतपुर में अब भी बड़ों का लिहाज़ बाक़ी है के साथ बेरोज़गार लड़के ने ,अपने दुकानदार दोस्त को कहा कि इन्हें गुलाब का फूल दे दो ।
दोनो बालक शर्म से गुलाब हुए जा रहे थे कि दुकानदार ने काँटा चुभोया ,फूल तो सारा बिक गया ।दोनो प्रेम के मारे बालक गुलाब से बैगन बने जा रहे थे ।ऐसे में बेरोज़गार युवक उनकी हालत देख कर अपने अनुभव का प्रदर्शन करता हुआ बोला ,” इधर आओ उदास क्यों हो रहे हो ? फूल नही मिला तो क्या हुआ ? अभी तो 14 तारीख़ बाक़ी है ।बीच में चोकलेट डे है ,खर-खेलवना डे तो है ना ।आज तुम लोग लड़की को एक गाना फ़ोरवाड कर दो ।साथ ही दो चार शायरी चिपका देना ।कहना फूल तो मुरझा जायेंगे साथ हीं घर में सौ सवाल होंगे इससे अच्छा आज गीत हीं सुनो।
दोनो युवा कोपल एक अनुभवी प्यार में जुदाई खाए बेरोज़गार की सलाह मान ख़ुशी -ख़ुशी चले गए ।सलाह अनुसार गाने के साथ शायरी भेज दी गई ।अब राम जाने उनकी हनी को हनी सिंह के अलावा कुछ और भाता भी है या नही या फिर अपने चार दिन के इस नाज़ुक दिल वाले बादशाह की बादशाहत ,बादशाह के गाने के ग़म में गिराने वाली हैं।
क्रमशः -
प्यार में डूबे नए नवेले लड़के ,पहले गुलाब दिवस कैसे मनाए से राजनीति पर आ गए ।भाई विकास तो हुआ पर मोदी जीवा पार्क और चिड़ियाघर जैसा कुछ ना बनवा पाया बसंतपुर में ।उनकी बात सुनता एक लड़का जो बी कॉम करके प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहा है ,उससे रहा नही गया ।बेरोज़गार मोदी भक्त दहाड़ उठता है ,”सब काम मोदी हीं करीहे त नीतीश राम का करीहे ? “ इसी के साथ अपने ज्ञान का प्रदर्शन और अपनी वेलेंटाइन का इस जनवरी में ब्याह का दर्द लिए ,लाल आँखो से कई सवाल दाग़ दिए मासूमों के ऊपर ।
दोंनो नवेले प्रेमी बालक घबड़ा गए ।एक तो बसंतपुर में गुलाब का फूल नही मिल रहा दूसरा इनके सवाल से ,फ़ेल होने की पूरी सम्भावना दिख रही है ।ऐसे में दोनो ने सोचा यहाँ से भागने में हीं भलाई है ।
दोनो बालक चाय अधूरा छोड़ भाग खड़े हुए ।दुकानदार सब देख सुन रहा था ।बेरोज़गार लड़के के हाल को जानते हुए भी उससे पूछता है ,”भाई आज कौन सा दिन है ? बेरोज़गार लड़का कहता है क्या मर्दे “बियफे “इहो नेखे याद ?
दुकानदार दया भाव से लड़के को कहता है ,ई त मालूमे है ।हमारे पूछने का मतलब कौन से गुलाब का दिवस है ?
लड़का अपनी प्रेमिका को याद करके सोचता है क्या बताऊँ इसे ? उसके चेहरे वाला ,उसके होंठों वाला या गुलाब के फूलों वाला ।फ़ाइनली दिल पर पत्थर रख कर धीरे से कहता है लाल फूल वाला भाई ।
इधर दोंनो नवेले बालक प्रेमी लगभग हर गुलाब के झाड़ वाला घर घूम आए ।कल की बारिश ने सारे फूल धो दिए थे ।कुछ फूल थे पर पानी की मार से मरे हुए जैसे ।उन्मे से एक ने कहा इसे देने से तो अच्छा प्लास्टिक का फूल ख़रीद लें।
दोंनो पहुँचे बसंतपुर की एक मात्र गिफ़्ट की दुकान पर ।क़िस्मत देखो चाय की दुकान पर मिला बेरोज़गार यहाँ समय काट रहा था ।दुकान उसके मित्र राम की थी ।दोनो बालक एक दूसरे का मुँह देखने लगे ।अपने बसंतपुर में अब भी बड़ों का लिहाज़ बाक़ी है के साथ बेरोज़गार लड़के ने ,अपने दुकानदार दोस्त को कहा कि इन्हें गुलाब का फूल दे दो ।
दोनो बालक शर्म से गुलाब हुए जा रहे थे कि दुकानदार ने काँटा चुभोया ,फूल तो सारा बिक गया ।दोनो प्रेम के मारे बालक गुलाब से बैगन बने जा रहे थे ।ऐसे में बेरोज़गार युवक उनकी हालत देख कर अपने अनुभव का प्रदर्शन करता हुआ बोला ,” इधर आओ उदास क्यों हो रहे हो ? फूल नही मिला तो क्या हुआ ? अभी तो 14 तारीख़ बाक़ी है ।बीच में चोकलेट डे है ,खर-खेलवना डे तो है ना ।आज तुम लोग लड़की को एक गाना फ़ोरवाड कर दो ।साथ ही दो चार शायरी चिपका देना ।कहना फूल तो मुरझा जायेंगे साथ हीं घर में सौ सवाल होंगे इससे अच्छा आज गीत हीं सुनो।
दोनो युवा कोपल एक अनुभवी प्यार में जुदाई खाए बेरोज़गार की सलाह मान ख़ुशी -ख़ुशी चले गए ।सलाह अनुसार गाने के साथ शायरी भेज दी गई ।अब राम जाने उनकी हनी को हनी सिंह के अलावा कुछ और भाता भी है या नही या फिर अपने चार दिन के इस नाज़ुक दिल वाले बादशाह की बादशाहत ,बादशाह के गाने के ग़म में गिराने वाली हैं।
क्रमशः -
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