आज पिछले साल की मेमेरी आई की आज “निखल बनर्जी “ का जन्मदिन है। इनके बारे मे नया क्या ही कहूँ बस यू टूब पर जाइए ढूँढिए और संगीतलहरी मे डूब जाइए।
आज जो मै वीडीयो लगा रही हूँ वो बस इसलिए की आप देख सके की बाजा के साथ कैसे किसी के भाव बदलते है और कैसे बाजा किसी के हाथ मे नाचने लगती है। कई बार रूप और गुण सामने वाले की प्रकृति पर भी निर्भर करता है।
इस वीडीयो क्लिप को देख कर मेरे भी भाव कई बार बदले। पहली बार मैंने निखिल बनर्जी को इतने क़रीब से देखा। हर एक भाव सुर के साथ बह रहे थे। एक-आध जगह मेरी साँसे रुकी तो कही एक मुस्कान होंठों पर बिखर गई। उनके माथे पर आए पसीने के बूँद देख कर मन बेचैन हो उठा की काश उस वक़्त मै वहाँ होती। हौले से उन्हें मोर पंख से पंखा करती।
इतनी हौले से जैसे साँसे चलती हो और जीवन सींचता जाता हो......
आज जो मै वीडीयो लगा रही हूँ वो बस इसलिए की आप देख सके की बाजा के साथ कैसे किसी के भाव बदलते है और कैसे बाजा किसी के हाथ मे नाचने लगती है। कई बार रूप और गुण सामने वाले की प्रकृति पर भी निर्भर करता है।
इस वीडीयो क्लिप को देख कर मेरे भी भाव कई बार बदले। पहली बार मैंने निखिल बनर्जी को इतने क़रीब से देखा। हर एक भाव सुर के साथ बह रहे थे। एक-आध जगह मेरी साँसे रुकी तो कही एक मुस्कान होंठों पर बिखर गई। उनके माथे पर आए पसीने के बूँद देख कर मन बेचैन हो उठा की काश उस वक़्त मै वहाँ होती। हौले से उन्हें मोर पंख से पंखा करती।
इतनी हौले से जैसे साँसे चलती हो और जीवन सींचता जाता हो......
No comments:
Post a Comment