'हूँ?' शिवानी कौतुक से मुस्कुराई।
'जब किसी की स्मृति नींद ला देने में समर्थ होने लगे तो इसे व्यावहारिक रूप से प्रेम कहा जा सकता है।'
शिवानी उदास चपलता से मुस्कुराई - 'और जब किसी की स्मृति से नींद उड़ने लगे तो, क्या यह भी प्रेम की उतनी ही सार्थक परिभाषा नहीं होगी...?
प्रेम में डूबी दो स्त्रियाँ, प्रेम की ही वजह से एक दूसरे की सखी बन जाती है यह जानते हुए भी कि दोनों का प्रेमी एक ही है। यह मुझे स्वीकारने में वक्त लगा पर लम्बी कहानी है तार ऐसे लेखक ने जोड़े की बाद में ठीक ही लगा।
इस किताब में एक और अलग सी बात है। लोग वर्षा को समझने में हर्ष को भूल जाते है पर इस किताब में हर्ष ही है जो वर्षा के प्रति एकनिष्ठ है। उसे कई मौक़े मिलते है पर वह ना अपनी कला से समझौता करता है ना अपने प्रेम से।
वही वर्षा का किरदार मानसिक रूप से मज़बूत होते हुए भी भावनात्मक रूप से कई बार कमजोर पड़ जाता है। चाहे कमल को लेकर उसका पहला प्यार हो या फिर हर्ष, हर्ष से कुछ दूरी हुई तो सिद्धार्थ से प्रेम या कह सकते है कुछ समय के लिए भावनात्मक लगाव।
वर्षा का मानना है कि चेखव को भी कभी सम्मानित नही किया गया था और वह इस मामले में उनसे अधिक भाग्यशाली थी। इस तरह यह किताब नकारत्मकता में भी उम्मीद और साहस की तरह लिखा गया है।
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