नैनीताल आने से पहले हमने यह नही सोचा था कि यहाँ टी गार्डेन भी होगा। नैनी झील में नाव की सवारी के दौरान नाविक मुकेश ने ही इसके बारे में बताया था। कहा था, गोलू महाराज के मंदिर से होते हुए चाय बाग़ान चले जाना।
गोल्जू महाराज के दर्शन के बाद शाम की चाय का लगभग वक्त हो ही आया था। हम निकल पड़े नैनीताल के भवाली में, “श्यामखेत टी गार्डेन” की ओर। मंदिर से यह ज़्यादा दूर नही है। यहाँ पहुँच कर हमने टिकट लिया। पर पर्सन टिकट का मूल्य, 40 रुपया है।
यह बागान सैनिक स्कूल घोड़ाखाल की जमीन पर है। जिसे टी बोर्ड ने 30 साल के लिए लीज पर लिया हुआ है।बाग़ान 155 हेक्टेयर में फैला हुआ है पर इसका अधिकांश हिस्सा लोहे की पतली जाली द्वारा घेर दिया गया है। पर्यटन के लिए एक ही हिस्सा खुला है। यहाँ चाय की पत्तियाँ तोड़ना भी मना है। बाग़ान में एक दो स्टाफ़ घूमती रहती हैं थोड़ी बहुत जानकारी देने के साथ कॉस्ट्यूम लेने को कहती हैं। महिलाओं के एक-दो कपड़े है जिन्हें पहन कर आप तस्वीरें ले सकती हैं। पर हमने कोविड को ध्यान में रखते हुए मना कर दिया। थोड़ी देर उनसे चाय की बात की और घुस पड़े चाय के बाग़ान में। कुछ तस्वीरें ली और फिर बाग़ान में ही स्थित एक रेस्टोरेंट जा घुसे। सोचा यहाँ तक आए है तो शुद्ध चाय पिया जाए। बाग़ान में इकलौता चाय की दुकान होने से चाय की क़ीमत भी ज़्यादा थी। पर साज-सज्जा सुंदर थी। इसकी बालकनी में बैठ कर चाय बाग़ान निहारते हुए चाय पीना अच्छा लगता। और हमने चाय मँगा ली।
सच कहूँ तो मुझे चाय बिल्कुल पसंद नही आयी। बड़ा तेज स्वाद लगा। फिर अदरक वाली चाय की बात ही कुछ और। पर मुझे छोड़ कर बाक़ी तीन लोगों को चाय ठीक ही लगी।
चाय के साथ थोड़ी देर और बैठा जा सकता था पर जाना था कैंची धाम और रास्ता थोड़ी दूर था। हम निकल पड़े चाय के बाग़ान को विदा करते हुए।
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