Wednesday 1 April 2015

Ho halla !!!

दो -तीन दिनो से सोशल मिडिया में काफी हो -हल्ला मच रहा है। एक विडिओ और दो तस्वीरों को ले कर।वैसे तो ये रोज  का है।फिर भी मैंने सोचा देखा कि जाये ,क्योकि यह नारी सस्कतिकरण और उनकी आजादी के बारे में है।एक तो विडिओ दीपिका पादुकोण की है ,दूसरी  वो आजकल जो भी करती है उसपे हल्ला जरूर मचता है।विडिओ में उन्होंने अपने हिसाब से नारी स्वतंत्रता की बाते की है, "ईटस माय चॉइस "नाम से। विडिओ अच्छा है ,पर उसकी कुछ बाते मुझे पसंद नही आई  क्योकि "ईट्स माय चॉइस " ।हो सकता है नाईट आउट ,छोटी ड्रेस और शादी में रहते हुए दूसरे से रिश्ता ही उनकी आजादी के मायने हो ,पर ये सब चीज़े आज भी सचाई से कोसो दूर है। अगर छोटी ड्रेस या नाईट आउट से नारी ससक्त होती है तो भैया सभी माता -पिता से सादर अनुरोध है ,कि अपनी लड़कियों को ये सब सहूलियतें  दे। एक तो आपकी बेटी ससक्त बनेगी ,दूसरा हो सकता है नाईट आउट में कोई लड़का मिल जाय फिर तो आपकी दामाद ढूढने की भी चिंता खत्म। उसपे सोने पे सुहागा लव मैरेज तो दहेज़ की भी छुट्टी।फिर शादी में सीना ठोक कर हनी सिंह का गाना  बजवइये "छोटी ड्रेस में  बम लगती मैनु "।ऐसा नही लगता कि किसे क्या पहनना ,कहाँ जाना ,क्या करना है ,उसपे छोड़ देनी चाहिए।जरा उनकी भी सोचिये जो गाँवो में रहती है ,खेतो में काम करती है।उनके पास तो ढंग के कपडे नही उन्हें क्या छोटी ड्रेस की फ्रीडम का अहसास।चलो कोई ज्ञानी नेता गण नारी ससक्ति के नाम पे ड्रेस बटवां भी दे तो उसका क्या? स्कर्ट पहन कर मजदूरी करेगी तो और बवाल। मॉडर्न लोग सोच रहे होंगे की ,दीपिका ने वीडिओ में  जो बाते कही है  वही फ्रीडम  की असली परिभाषा होगी।फिर  तो यामी गौतम,ऎश्वर्या रॉय बच्चन ,प्रियंका चोपड़ा भी सही ही होंगी।खूब फेयर एंड लवली लगाइये,लॉरिअल इस्तेमाल करे और "स्कूटी पे बैठ के कहिये व्हाई बॉयज हव् आल फन " ।वो अलग बात है की गलती से स्कूटी पे किसी लड़के दोस्त को बिठा लिया और पड़ोस वाली ऑन्टी ने देख लिया ,फिर तो घर आने पे आपको फ्रीडम का अहसास हो ही जायेगा। मुझे  तो हँसी  आती है ये सोच के  की नारी सस्क्तिकरण और फ्रीडम के  कितने अलग अलग मायने है।तो भैया दिखावे पे मत जाओ अपनी अकल लगाओ ,वरना आपका हाल भी "आप "जैसा ही होगा।
दूसरी तस्वीर रुपी कौर ने  मासिक धर्म की ली थी और इंस्टाग्राम पे पोस्ट की थी।मुझे इसमें कुछ बुरा नही लगा। हाँ हो सकता है भारतीय होने के नाते हमारी  सभ्यता -संस्किृति हमारी पहचान है। शर्म हया भी कोई चीज़ है। लेकिन भैया जब मॉर्डन बने हो तो कहे का शर्म।या फिर लोगो को लगे ,(ध्यान दे मैंने लोगो लिखा है सिर्फ लड़को नहीं ) कि लड़की हो कर ऐसी बात करना ठीक नही।लेकिन इसमें गलत क्या है ,जिसके साथ बीतेगी वही बता सकता है न।जैसे एक प्रेग्नेंट औरत ही अपनी प्रेग्नेंसी की ख़ुशी या तकलीफ बता सकती है ,न की हम और आप।अपनी सोच को आजाद कीजिए फिर किसी को आजाद करने की जरुरत नही होगी।
तीसरी तस्वीर मंदार देवधर की " दिस मुंबई एंड दैट मुंबई "शीर्षक वाली एक नाबालिक लड़की की नहाते हुए तस्वीर है। बुरा क्या है इसमें ,ये तो साइनिंग इंडिया है ?क्या हमने नही देखा छोटी बच्चियों को रोड के किनारे फटेहाल ,भीख मांगते ,कचड़ा चुनते,और नंगे नहाते ? हो सकता है मंदार ने नंगे लड़के की तस्वीर ली होती ,तो इतना हंगामा नही होता।जहाँ तक महिलाओँ  की सम्मान की बात है  तो ,कभी -कभार बलात्कार ,जींस पहने पे पिटाई ,रिस्ता न कबूलने पे एसिड डालना,  और छेड़ना तो बहुत ही छोटी या यु कहो मामूली बात है। जिस छोटी बच्ची की नगी तस्वीर पे हंगमा है ,उन जैसी कितनो को ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार होना ,अपने से दुगने तिगने उम्र वालो से ब्याह कर देना होता रहता है। फिर भी हम गर्व से कहते है ,हमें नाज है की हम महिलाओ का सम्मान  करते है। वो अलग बात है की बीच -बीच में कुछ पढ़े लिखे नेता गण कहते है की, जितनी भी बद्तमीजिया महिलाओ के साथ होती है उसका कारण  महिलाये खुद है। वह रे मॉडर्न देश और मॉडर्न देशवाशी।

2 comments:

  1. Good observations.will make further insights in detail

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