आज का ब्लॉग रश्मि मौसी और मुकेश मौसा जी के लिए।लिखने से पहले मैं आप सभी दोस्तों को शुक्रिया करना चाहूंगी की, आप हमेशा मुझे सलाह देते रहते है ,और आपलोग ने मुझे शादी के बारे में लिखने वाला बना दिया।मुझे ये सोच -सोच के हंसी आ रही है ,कि कल को मेरा ब्लॉग का विज्ञापन करना हो तो क्या लिखे ? शादी के बारे में लिखवाने के लिए हाज़िर हो :) उफ़ ये शादी भी क्या -क्या करवाती है।इतने काम साल के तजुर्बे में भी मुझे एक्सपर्ट बना दिया।इसका सारा श्रेय मैं सिर्फ और सिर्फ शतेश शुभ्रांशु को देना चाहूंगी।वरना इससे पहले तो मैं शाहरुख़ वाली ही दुनिया सही समझती थी।अब समझ आया फिल्मे शुरू होने से पहले ये चेतावनी क्यों देते है ,की इस फिल्म की सारी बाते काल्पनिक है, इसका किसी जीवित या किसी मृत वयक्ति से कोई सम्बन्ध नही:) , इनसबके बीच मैं आप सब को ये बता दूँ कि, सिर्फ शादी वास्तविक है ,इसके बाद की घटनाये ओह मेरा कहने का मतलब अच्छी घटनाये सब काल्पनिक और मोह -माया है।इनके चकरो में न पड़े।अगर बहुत ही दुखी ,परेशान है ,तो आपके लिए है तनु वेड्स मनु रिटर्न टॉनिक। इसको अपनी पति /पत्नी के साथ ले जब भी परेशान हो :) मैं अपने सारे दोस्तों को जो विवाहित उनसे यही कहना चाहूंगी ,भाई सबका हाल एक सा है।जो अविवाहित है उनसे ये कहूँगी बस कर पगले हमे रुलाओगे क्या ? शादी न करके कौन सी तीर मार ली ?घरवालो का ताना ,पड़ोसियों ने तो बाहर भी निकलना दुबर किया होगा।ऊपर से जब हम जैसे लोग फेसबुक पे अपनी छणिक प्यारवाली तस्वीर लगाते है ,तुम सोचते होगे यार गलती कर दी।अब तो ढंग़ की लड़की /लड़का भी नही मिल रहा।भईया इंडिया में तो 30 की उम्र ही एक्सपाइरी होती है।तो सोच लो अभी भी टाइम है रास्ते पे आ जाओ। वैसे भी कभी न कभी तुम्हे भी आना इसी गली है।सारी महिला मित्रो से आग्रह है ,शाहरुख़ को छोड़ सलमान की फिल्मे देखना शुरू करे।इसका कारण की आधी से ज्यादा तो मसाला मूवी बन रही है, तो क्यों बेकार किसी और की मूवी देखना।एक तो सलमान की फिल्मो में ज्यादा प्यार-व्यार नही होता, तो आप अपने पति देव पे दया करेंगी :) दूसरा वो ज्यादा हैंडसम है, तो थोड़े देर के लिए ही सही आप आपने अनुपम खैर या अमरीश पूरी को भूल सकती है :)
आज के इस सारे उपदेश का तात्पर्य ये है, की शादी कर ही लेनी चाहिए ,जो होगा सो देख लेंगे।एक मिसाल भी बनेगी कि ,कैसे दो दुश्मन कितने अच्छे से एक छत के नीचे रहते है :)वो एक गाना है न ,हमी से मोहब्बत हमी से लड़ाई ,अरे मार डाला दुहाई -दुहाई की ये लाइन विवाहित लोगो के नाम।अब आते है रश्मि और मुकेश पर।
रश्मि जैसा नाम वैसे ही उनका व्यक्तित्व और मुकेश तो शिव जी का ही दूसरा नाम है।जैसे आपलोगो को मालूम हो ही गया होगा इनसे मेरा रिस्ता क्या है?मौसी का जिक्र आते ही दिमाग में ख्याल आता है माँ सी ,और कही न कही ये सच होता भी है या होगा।भाइयो ये 2015 अब सब कुछ बदल रहा है।मौसी मेरी दोस्त ही रहे तो अच्छा है।माँ एक ही काफी है ,ओवरलोडेड प्यार और ओवरलोडेड इमोशनल अत्याचार के लिए :) इसमें मौसी भी आजाये तो बच्चे पागल ही हो जाये हा-हा -हा।खैर आम मौसियों से बिपरीत है, मेरी रश्मि मौसी इंटेलिजेंट ,समझदार थोड़ी नटखट।उनकी शादी मेरी शादी से 3 साल पहले हुई।मै उनकी शादी में जा नही पाई कारण मै पुणे थी ,और कुछ टिकट का पंगा था। भगवान इंडिया में ट्रैन से जाना भी किसी उपलब्धि से कम नही।शादी के बाद वो दोनों लंदन चले गए और मैं कभी उनसे मिल नही पाई।पर जब उनकी शादी पक्की हो गई थी ,तब मै रश्मि मौसी से मिली थी ,तो मौसा जी की तस्वीरें देखी थी।सबने बताया लड़का बहुत इंटेलीजेंट है, रीसर्च कर रहा है। घर में सब यही कहते रहते कि लड़के(मुकेश ) को स्कोलरशिप मिली है ,लंदन में पढ़ रहा है ।लड़का शांत -सुशील है।एक तो मुझे ये नही समझ आता जब शादी की बात होती है तबी से लड़का, लड़का ही रहता है। जबतक शादी न हो कोई उसे उसके नाम से नही पुकारता :)खैर मैंने सोचा हे भगवान अब रश्मि मौसी का क्या होगा ? मुझे टीचर ,प्रोफेसर और ये रिसर्च वाले थोड़े बोरिंग लगते है।हमेशा पढाई की बात ,अरे बस करो जान लोगे क्या ?कोई सेन्स ऑफ़ हयूमर नही।लेकिन मौसी से बात करके उनकी ख़ुशी देख के अच्छा लगा।फिर लगा एक पढ़ाकू को दूसरा पढ़ाकू मिल जाये इससे अच्छा क्या।दोनों मिल के क्वेश्चन ही पूछा करते रहेंगे।आज उनकी शादी की पांचवी सालगिरह है।मेरी एक प्यारी सी बहन यानि की उनकी बेटी आंशी भी है। अब देखिये मेरी कल्पना और उनकी बात-चीत ,साथ में हमारी भी हमेशा की तरह:)
रश्मि :- मुकेश क्या प्लान है वीकेंड का ?
मुकेश :-तुम बताओ या लाईब्रेरी चले ?
रश्मि :- ओ ग्रेट मै आंशी को रेडी करती हूँ ,तुम बुक्स ले लो जो रिटर्न करनी है।
तपस्या :- शतेश मैंने नॉवेल आर्डर कर दी है ,ये रहा तुम्हे क्रेडिट कार्ड।
शतेश :- अच्छा, मै सोच रहा हूँ मै भी कुछ पढ़ूँ।कोई एक नॉवेल तो देना।
रश्मि :-मुकेश मुझे पीएचडी करनी है।
मुकेश :-ओह रश्मि तुम कितनी अच्छी हो।तैयारी शुरू कर दो।मै आंशी को संभालने में मदद करूँगा।
रश्मि :-मुकेश मै तो पहले से ही पढ़ाकू थी ,उसपे तुम मिल गए। लाइफ में कोई एडवेंचर ही नही। बस किताबे ही किताबे।
मुकेश :-ओह प्यारी रश्मि ये भी तो किसी एडवेंचर से काम नही कि ,दो पागल एक साथ मिल गए (सॉरी मौसी )
अलग -अलग शादी हुई होती तो ,बेचार ,बेचारी वो :)
तपस्या :-यार शतेश हमारी लाइफ में कोई एडवेंचर नही है।मै जो कहती हूँ , मान लेते हो शॉपिंग छोड़ कर।
शतेश :-माफ़ करो माँ ,एडवेंचर के लिए डिस्नी या रोलरकोस्टर है।यहां तो बिना कुछ किये डर रहता है ,कि तुम अब क्या एडवेंचर करने वाली हो :)
मुकेश :-रश्मि मै जो रिसर्च कर रहा हूँ ,उसके लिए इंडिया में प्रोजेक्ट लगाना चाहता हूँ,क्या कहती हो ?
रश्मि :-मुकेश मै तुम्हारे साथ हूँ ,और मै जानती हूँ तुम अच्छा ही करोगे।
शतेश :-तपस्या मै सोच रहा हूँ ,कुछ सालो बाद प्रोफेसर बन जाऊ ,मेरा जी.आर.ई में भी हुआ था।
तपस्या :-तुम पागल तो नही हो गए हो।अच्छा हुआ तुम प्रोफ़ेसर नही बने वरना शादी भी नही होती हमारी रश्मि :-मुकेश आज हम शॉपिंग चले ?
मुकेश :-चलो।
रश्मि :-आधे घंटे बाद चलो होगया शॉपिंग ,घर जाके एसाइनमेंट भी करनी है।
मुकेश :-मन में सोच के हँस रहे होते है ,अच्छा है पीएचडी करने लगी। बिना लड़ाई शॉपिंग काम हो गई।
रश्मि :-यार मुकेश शादी के पहले हम कितनी बाते करते थे।अभी तो बस आंशी और पढाई।
मुकेश :-वही तो सारी बेकार की बाते तो हो गई ,अब अच्छा है पढाई -लिखे पे थोड़ा ध्यान है।
रश्मि :-ठीक है इतने ही रिसर्च करते हो तो ये बता दो ,क्यों कोई महिला अपने पति से पूरी तरह खुश क्यों नही?ये क्या केमिकल लोचा ही शादी से पहले शाहरुख़ शादी के बाद अमरीश पूरी हो जाता है ?
मुकेश :-माफ़ करो रश्मि कितनी किताबे लिख दी गई इसपे ,पर आज भी ये रहस्य ही है।मै तो क्या भगवान शिव सती को समझा नहीं पाये ,और देखा जली न सती।
रश्मि :-तो तुम्हारे कहने का क्या मतलब है ?सारी प्रॉब्लम महिलाओ की है ? शिव जी कौन से महान थे ,जब उनको मालूम था ,तो पहले ही आके आग बुझाते। बाद में तांडव क्यों ?
शतेश :-यार तपस्या हमने शादी से पहले काफी काम बात की थी ,अब समझ आया चुलबुल तुम्हे गाय क्यों कहता था :)
तपस्या :-अच्छा तो अब ज्यादा होती है क्या :)गनीमत कहो गाय मिली ,भैंस ,शेरनी मिली होती तो क्या होता :P
तो इस तरह ये सिलसिला चलता रहेगा।रश्मि मौसी और मौसा जी को शादी के पांचवे साल की ढेर सारी बधाइयाँ। वैसे मैंने किसी से सुना है ,शादी के पांच साल के बाद पति -पत्नी नार्मल बिहेव करने लगते है।शायद झेलते हुए आदत पड़ जाती होगी।एक बार फिर से आपलोग हमेशा खुश रहे।मैंने कुछ उल्टा -सीधा लिखा हो तो मौसा जी माफ़ी। मौसी से तो डर नही लगता ,मालूम है बिना कहे माफ़ कर देंगी।
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