नियाग्रा फॉल की यात्रा से पहले मैं आपलोगो को नियाग्रा फॉल के बारे में बता दूँ।नियाग्रा फॉल दुनिया का सबसे तेज गिरने वाला जलप्रपात है।ये तीन जलप्रपात के मिलने से बना है।ये तीन कमशः हॉर्सशू फॉल ,अमेरिकन फॉल और ब्राइडल वैल फॉल है।नियाग्रा फॉल के एक तरफ न्यू यॉर्क (यूनाइटेड स्टेट )और दूसरी तरफ ओंटारियो (कनाडा) है। एक तरह से ये एक इंटरनेशनल बॉडर का काम करता है।कनाडा और नियाग्रा फॉल न्यू यॉर्क को एक रेनबो ब्रिज जोड़ती है।अगर आपके पास वैलिड वीजा है तो आप कनाडा भी जा सकते है :) अब आती हूँ मैं अपनी यात्रा पर।
नियाग्रा फॉल जाने के लिए मैं और शतेश काफी दिनों सोच रहे थे।पर किसी न किसी वजह से जाना रह जाता था।वैसे तो नियाग्रा फॉल सालो खुला रहता है।पर ऑक्टूबर से अप्रैल तक एक तरह से बंद ही रहता है।कारण भयंकर ठण्ड और ठण्ड की वजह से जलप्रपात का जम जाना।ऐसे में आपको सिर्फ बर्फ की चादर दिखेगी।वो भी कम मनोरम नही होगा ,लेकिन कौन ठण्ड में जाये :) इस बार हमने प्लान बनाया पर, जब भी जाने का सोचा बारिश का प्रिडिक्शन।आखिर शतेश ने ऐसे ही बातो -बातो में वहां के लिए होटल बुक कर ली।जब हॉटेल बुक की थी ,वहां बारिश का प्रिडिक्शन नही दिखा। मतलब बारिश नही होगी आराम से जा सकते है। हमारे साथ शतेश के कॉलेज फ्रेंड मिस्टर पाण्डेय, उनकी वाइफ तिवारी जी और उनका 3 साल का बेटा ,प्यारा आरव भी जा रहे थे।अब आपलोग कंफ्यूज होंगे पाण्डेय की वाइफ तिवारी कैसे ?वो तो मिसेस पाण्डेय हुई ना ? कही लव मैरिज तो नही ?अरे दोस्तों लव तो है ,पर मैरिज ऑरेन्ज हुई थी।ओ हो तो पहले प्यार फिर घरवालो ने ऑरेन्ज मैरिज करवा दी थी ?अरे नही बात ये है कि ,पाण्डेय ,तिवारी एक ही जाती में आते है ,सिर्फ सरनेम (उपनाम ) अलग -अलग है। हुआ यूँ कि मिस तिवारी ने शादी के बाद अपना सरनेम बदला नही।जैसे की मैंने नही बदला। वरना तो आज कल शादी से पहले लोग तपस्या चौबे होते है ,शादी के बाद तपस्या चौबे शतेश शुभ्रांशु उपध्याय। उफ़ नाम लेने में ही दम फूल जाये। बात करनेवाला भूल ही जाये की क्या बात करनी है :P इसका ब्लॉग के शीर्षक में मैंने " हम पांच " का जिक्र किया है। अगर आप मे से किसी ने भी हम पांच सीरियल देखि हो तो उसकी कॉमेडी कौन भूल सकता है ?हम पांच भी वैसे ही थे।रास्ते भर हंसी मजाक ,आरव की प्यारी शैतानी आपको आगे मालूम होगी।प्लान के मुताबिक हमलोग को सुबह 7 :30 मिस्टर पाण्डेय के यहाँ पहुँचना था।फिर वहाँ से नाश्ता करके नियाग्रा फॉल निकलना था। हमलोग उठे ही लेट।कभी भी आलसी लोगो को सुबह जाने का प्लान नही बनाना चाहिए :) मिस्टर पाण्डेय का कॉल 7 ओ क्लॉक आया। हमलोग तभी रेडी ही हो रहे थे। मैंने उनको कहा भईया अभी आने में 45 मिनट लगेंगे। हमलोग फटाफट तैयार हुऐ और निकल पड़े घर से। जब हमलोग मिस्टर पाण्डेय के यहाँ पहुंचे आरव गेट पे ही खड़ा था।मुझे देख खुश हो के बोला पस्या (तपस्या ) ऑन्टी देखो मैंने नए कपडे पहने है। मुझे इतनी ख़ुशी हुए बेचारा सा बच्चा मुझसे कम से काम दो वीक बाद मिल रहा है,और मेरा इतना कठिन नाम (उसके लिए ) उसने याद रखा है।मेरी गोद में आके अपनी थोड़ी सी तोतली जुबान में शतेश को हाय हाउ आर यू पूछता है।मैं खुद को रोक नही पाती और दो -चार चूमियाँ जड़ देती हूँ।मुझे मिसेस पाण्डेय कम तिवारी जी मुझे बाहर जाती हुई दिखी थी ,पर मैं आरव के साथ मस्त थी ,तो बस थोड़ा हाय -हेलो हुआ।वो भी बची -खुची पैकिंग में लग गई।मिस्टर पाण्डेय ने नाश्ता शुरू करने को कहा।हालंकि हमलोग घर से थोड़ा खा के निकले थे ,क्योंकि शतेश महाराज के अनुसार सुबह -सुबह खाली पेट कही नही जाते।सामने पूरी -छोले देख कर हमने फिर से खा लिया। उसपे सोने पे सुहागा चाय भी मिल गई। मिस्टर पाण्डेय ने कहा जब तक मैं नास्ता ख़त्म करती हूँ ,वो शतेश को अपने एक दोस्त से मिलवा लाते है। उनका वो दोस्त छपरा का रहने वाला है ,मिस्टर शतेश उससे मिलने को फटाफट तैयार हो गए ,कारण शतेश जी भी छपरा के है।दुनिया के किसी भी कोने में चले जाओ पर छेत्रवाद कम नही होता ,भारतवाशियों का।वो अलग बात है ,सारे उत्तर भारतीय दोस्त बन जाते है ,वरना दक्छिन वालो या बंगाल वालो से आपकी दोस्ती बस काम की होती है।सबसे बड़ा कारण इसका लैंग्वेज है।मैंने नास्ता खत्म कर लिया था ,पर शतेश बाबू और मिस्टर पाण्डेय जी का कोई अता -पता नही।मिसेस पाण्डेय कम तिवारी कहती है ,रुको मै बुला लाती हूँ उनलोगो को ,वरना लेट हो जायेंगे।इनलोगो के आने के बाद हमलोग निकल पड़े अपनी यात्रा की ओर।इतना अच्छा मौसम ,पेट भरा हुआ ,साथ में मजेदार साथी और एक प्यारा बच्चा और क्या चाहिए था ? बस भगवान से यही प्रार्थना थी ,की ज्यादा बारिश न हो।रास्ते भर मैं और मिसेस पाण्डेय कम तिवारी ,अरे बस करो मिसेस पाण्डेय तिवारी पका डाला तपस्या तुमने तो उनका नाम ही बता दो क्या आफत आ जायेगी ?माफ़ी दोस्तों , अंकिता नाम है, मिसेस पाण्डेय कम तिवारी का।तो मैं और अंकिता रास्ते भर मजेदार बाते करते रहे। कुछ अपनी शादी ,कुछ अपने घरवालो की ,कुछ अपने भाई की ,कुछ कॉलेज की जॉब की। ऐसा लग रहा था, दो सखी अपना दुःख -सुख बाँट रही हो।वही दूसरी ओर शतेश और मिस्टर पाण्डेय अपने कॉलेज की दुनिया में खोये हुए थे। आरव बीच -बीच में पस्या ऑन्टी को पुकार रहा था।न्यू जर्सी से नियाग्रा 6 घंटे का सफर है।जाते वक़्त हमने गाने लगाये थे ,की सुनते हुए जायेंगे ,पर बाते ख़त्म हो तो कोई गाना सुने। इसलिए गाने को बंद गया।रास्ते में आरव को बाथरूम जाना था, और २ बज जाये थे। हमलोगो ने सोचा कहि गाड़ी रोक के खा भी लेंगे और आरव का काम भी हो जायेगा।आरव को पिज़्ज़ा खाना था ,बस क्या था मैंने भी सपोर्ट किया।गाड़ी पिज़्ज़ा हट के सामने रुकी।हमलोग शॉप के अंदर गए।एक बहुत ही मोटी औरत हमारा आर्डर लेने आई।उसको देख पाण्डेय जी कहते है ,सारा पिज़्ज़ा यही तो नही खा जाती।मेरी तो हंसी रुकने का नाम नही ले रही थी।बस ये सिचुएशनल मज़ाक था, कोई इससे दिल पे न ले।खाने के बाद फिर से शुरू हुआ मजेदार सफर।
नियाग्रा फॉल जाने के लिए मैं और शतेश काफी दिनों सोच रहे थे।पर किसी न किसी वजह से जाना रह जाता था।वैसे तो नियाग्रा फॉल सालो खुला रहता है।पर ऑक्टूबर से अप्रैल तक एक तरह से बंद ही रहता है।कारण भयंकर ठण्ड और ठण्ड की वजह से जलप्रपात का जम जाना।ऐसे में आपको सिर्फ बर्फ की चादर दिखेगी।वो भी कम मनोरम नही होगा ,लेकिन कौन ठण्ड में जाये :) इस बार हमने प्लान बनाया पर, जब भी जाने का सोचा बारिश का प्रिडिक्शन।आखिर शतेश ने ऐसे ही बातो -बातो में वहां के लिए होटल बुक कर ली।जब हॉटेल बुक की थी ,वहां बारिश का प्रिडिक्शन नही दिखा। मतलब बारिश नही होगी आराम से जा सकते है। हमारे साथ शतेश के कॉलेज फ्रेंड मिस्टर पाण्डेय, उनकी वाइफ तिवारी जी और उनका 3 साल का बेटा ,प्यारा आरव भी जा रहे थे।अब आपलोग कंफ्यूज होंगे पाण्डेय की वाइफ तिवारी कैसे ?वो तो मिसेस पाण्डेय हुई ना ? कही लव मैरिज तो नही ?अरे दोस्तों लव तो है ,पर मैरिज ऑरेन्ज हुई थी।ओ हो तो पहले प्यार फिर घरवालो ने ऑरेन्ज मैरिज करवा दी थी ?अरे नही बात ये है कि ,पाण्डेय ,तिवारी एक ही जाती में आते है ,सिर्फ सरनेम (उपनाम ) अलग -अलग है। हुआ यूँ कि मिस तिवारी ने शादी के बाद अपना सरनेम बदला नही।जैसे की मैंने नही बदला। वरना तो आज कल शादी से पहले लोग तपस्या चौबे होते है ,शादी के बाद तपस्या चौबे शतेश शुभ्रांशु उपध्याय। उफ़ नाम लेने में ही दम फूल जाये। बात करनेवाला भूल ही जाये की क्या बात करनी है :P इसका ब्लॉग के शीर्षक में मैंने " हम पांच " का जिक्र किया है। अगर आप मे से किसी ने भी हम पांच सीरियल देखि हो तो उसकी कॉमेडी कौन भूल सकता है ?हम पांच भी वैसे ही थे।रास्ते भर हंसी मजाक ,आरव की प्यारी शैतानी आपको आगे मालूम होगी।प्लान के मुताबिक हमलोग को सुबह 7 :30 मिस्टर पाण्डेय के यहाँ पहुँचना था।फिर वहाँ से नाश्ता करके नियाग्रा फॉल निकलना था। हमलोग उठे ही लेट।कभी भी आलसी लोगो को सुबह जाने का प्लान नही बनाना चाहिए :) मिस्टर पाण्डेय का कॉल 7 ओ क्लॉक आया। हमलोग तभी रेडी ही हो रहे थे। मैंने उनको कहा भईया अभी आने में 45 मिनट लगेंगे। हमलोग फटाफट तैयार हुऐ और निकल पड़े घर से। जब हमलोग मिस्टर पाण्डेय के यहाँ पहुंचे आरव गेट पे ही खड़ा था।मुझे देख खुश हो के बोला पस्या (तपस्या ) ऑन्टी देखो मैंने नए कपडे पहने है। मुझे इतनी ख़ुशी हुए बेचारा सा बच्चा मुझसे कम से काम दो वीक बाद मिल रहा है,और मेरा इतना कठिन नाम (उसके लिए ) उसने याद रखा है।मेरी गोद में आके अपनी थोड़ी सी तोतली जुबान में शतेश को हाय हाउ आर यू पूछता है।मैं खुद को रोक नही पाती और दो -चार चूमियाँ जड़ देती हूँ।मुझे मिसेस पाण्डेय कम तिवारी जी मुझे बाहर जाती हुई दिखी थी ,पर मैं आरव के साथ मस्त थी ,तो बस थोड़ा हाय -हेलो हुआ।वो भी बची -खुची पैकिंग में लग गई।मिस्टर पाण्डेय ने नाश्ता शुरू करने को कहा।हालंकि हमलोग घर से थोड़ा खा के निकले थे ,क्योंकि शतेश महाराज के अनुसार सुबह -सुबह खाली पेट कही नही जाते।सामने पूरी -छोले देख कर हमने फिर से खा लिया। उसपे सोने पे सुहागा चाय भी मिल गई। मिस्टर पाण्डेय ने कहा जब तक मैं नास्ता ख़त्म करती हूँ ,वो शतेश को अपने एक दोस्त से मिलवा लाते है। उनका वो दोस्त छपरा का रहने वाला है ,मिस्टर शतेश उससे मिलने को फटाफट तैयार हो गए ,कारण शतेश जी भी छपरा के है।दुनिया के किसी भी कोने में चले जाओ पर छेत्रवाद कम नही होता ,भारतवाशियों का।वो अलग बात है ,सारे उत्तर भारतीय दोस्त बन जाते है ,वरना दक्छिन वालो या बंगाल वालो से आपकी दोस्ती बस काम की होती है।सबसे बड़ा कारण इसका लैंग्वेज है।मैंने नास्ता खत्म कर लिया था ,पर शतेश बाबू और मिस्टर पाण्डेय जी का कोई अता -पता नही।मिसेस पाण्डेय कम तिवारी कहती है ,रुको मै बुला लाती हूँ उनलोगो को ,वरना लेट हो जायेंगे।इनलोगो के आने के बाद हमलोग निकल पड़े अपनी यात्रा की ओर।इतना अच्छा मौसम ,पेट भरा हुआ ,साथ में मजेदार साथी और एक प्यारा बच्चा और क्या चाहिए था ? बस भगवान से यही प्रार्थना थी ,की ज्यादा बारिश न हो।रास्ते भर मैं और मिसेस पाण्डेय कम तिवारी ,अरे बस करो मिसेस पाण्डेय तिवारी पका डाला तपस्या तुमने तो उनका नाम ही बता दो क्या आफत आ जायेगी ?माफ़ी दोस्तों , अंकिता नाम है, मिसेस पाण्डेय कम तिवारी का।तो मैं और अंकिता रास्ते भर मजेदार बाते करते रहे। कुछ अपनी शादी ,कुछ अपने घरवालो की ,कुछ अपने भाई की ,कुछ कॉलेज की जॉब की। ऐसा लग रहा था, दो सखी अपना दुःख -सुख बाँट रही हो।वही दूसरी ओर शतेश और मिस्टर पाण्डेय अपने कॉलेज की दुनिया में खोये हुए थे। आरव बीच -बीच में पस्या ऑन्टी को पुकार रहा था।न्यू जर्सी से नियाग्रा 6 घंटे का सफर है।जाते वक़्त हमने गाने लगाये थे ,की सुनते हुए जायेंगे ,पर बाते ख़त्म हो तो कोई गाना सुने। इसलिए गाने को बंद गया।रास्ते में आरव को बाथरूम जाना था, और २ बज जाये थे। हमलोगो ने सोचा कहि गाड़ी रोक के खा भी लेंगे और आरव का काम भी हो जायेगा।आरव को पिज़्ज़ा खाना था ,बस क्या था मैंने भी सपोर्ट किया।गाड़ी पिज़्ज़ा हट के सामने रुकी।हमलोग शॉप के अंदर गए।एक बहुत ही मोटी औरत हमारा आर्डर लेने आई।उसको देख पाण्डेय जी कहते है ,सारा पिज़्ज़ा यही तो नही खा जाती।मेरी तो हंसी रुकने का नाम नही ले रही थी।बस ये सिचुएशनल मज़ाक था, कोई इससे दिल पे न ले।खाने के बाद फिर से शुरू हुआ मजेदार सफर।
No comments:
Post a Comment