Thursday, 30 July 2015

Abdul Kalam or(and) Yakub memon aaye !!!!!

मैं " बासु चटर्जी " की एक फिल्म " एक रुका हुआ फैसला " देख रही थी।ये  "12 एंग्री मेन " फिल्म का हिंदी में रूपांतरण है। वैसे तो इसमें 12 कलाकार है ,लेकिन मैं दो का ही नाम जानती हूँ। एक पंकज कपूर दूसरा अन्नू कपूर। फिल्म जब आप देखेंगे बाकी कलाकार आपको देखे हुए लगेंगे।कहानी कुछ यूँ है ,एक नौजवान लड़के के ऊपर उसके पिता के क़त्ल का इल्ज़ाम है।सारी दलीले उसके खिलाफ है।कोर्ट ने 12 लोगो को इस विषय पे चर्चा करके ,अपना मत रखने को कहा है।ताकी उसको फांसी मिले या रोक दिया जाय।सभी लोग बिना विचार किये हुए कहते है ,सारी सबूते लड़के के खिलाफ है ,तो लड़का दोषी है। विचार करके क्यों समय बरबाद करना दोषी मान कर फांसी के हक़ में जबाब दे देते है। उसमे (11वा आदमी )एक शख़्स होता है ,जिसको ये बात सही नही लगती। वो बोलता है उस नौजवान की जिंदगी हमारे हाथ है।हमें ऐसे बिना सोचे समझे कोई निर्णय नही लेना चाहिए। हमें एक बार केस के सारे पहलुओ को देख कर अपना -अपना मत देना चाहिए।उसकी बातो से एक दो लोग सहमत होते है , और केस पे चर्चा शुरू करते है।जैसे ही चर्चा शुरू होती है।मेरा गेट खटखटाता है।मुझे फिल्म में दिलचस्पी आ गई है ,इसलिए गेट बजने से थोड़ा अनमने मन से गेट खोलने जाती हूँ।मुझे गेट पर  "कलाम साहब " और  "याकूब मेमन " दिखते है।दोनों पूछते है ,हमें जानती हो या पहचानती हो ? मैंने खुश होके कहा अरे ! सादर प्रणाम कलाम सर मैं आपको जानती तो नही ,पर पहचानती जरूर हूँ।आपके साथ में कौन है ? इन्हे भी कही देखा है ,पर याद नही।कलाम साहब कहते है ,हम सबके पास जा के लोगो का मन जाँच रहे है। वैसे भी याकूब कहता है ,हम दोनों लगभग एक से है।इस बार हम तुम्हारे मन को जाँचने आये है तपस्या।उम्मीद करता हूँ तुम अपने मन का सच कहोगी ,और हमदोनो का  इंसाफ करोगी।मैं तो खुश हो जाती हूँ और उन्हें अंदर बुलाती हूँ।दोनों को आमने -सामने के सोफे पर बिठा कर मैं बीच में  बड़े सोफे पर बैठ जाती हूँ।जज की तरह नकल करते हुए ,उन्हें अपना मत रखने को कहती हूँ।मैं याकूब को अनदेखा कर कलाम साहब से कहती हूँ ,मुझे आपकी बुक " विंग्स ऑफ़ फायर " और " इग्नाइटेड माइंड "बहुत अच्छी लगी।तभी कलाम साहब कहते है ,तपस्या तुम पछ्पात ना करो मुझे भी आम इंसान समझो। मैंने माफ़ी मांगी।याकूब से कहा ,आप बताइये क्या कहना चाह रहे है ?

याकूब -मैं एक भारतीय हूँ ,जाति मुस्लिम , मैं एक चार्टड अकाउंटेट बना।
कलाम -मैं भी एक भारतीय हूँ ,मेरी भी जाती मुस्लिम ,कठीन परिश्रम के बाद एक वैज्ञानिक बना।

याकूब - मैं मुम्बई 1993  में  257 लोगो की मौत और 700 लोगो के घायल होने का सबब बना ,पर ये मैंने खुद नही किया था।इन कामो में मदद की वजह से मैं आतंकवादी हुआ।
कलाम -मैंने मिसाइल्स बनाने और ,पोखरण न्यूक्लिअर  टेस्ट 1998 में महत्वपूर्ण योगदान दिया।मैंने भी ये खुद नही वैज्ञानिको के सहयोग से किया।मुझे भारत की सारी बड़ी उपाधियाँ मिली।मुझे राष्ट्रपति बनाया गया।
तपस्या - फिर तो मामला साफ़ है, याकूब आप बुरे और कलाम साहब अच्छे ये तो साफ़ दिखता है।याकूब कहते है ,इतनी जल्दी ना करो फैसला सुनाने में मेरा दूसरा पक्ष भी तो सुन लो।
याकूब -कलाम साहब और तपस्या ,मैंने किन परस्थितियों की वजह से ये दोज़ख (नरक ) का काम किया मुझे भी नही मालूम। वो अयोध्या कांड /गोधरा का असर था ,या मेरे भाई की मदद करना या मैं जातिवाद के बहकावे में था। बस इतना पता है मेरी वजह से मासूमो की जान गई।उनकी चीखे मुझे सोने नही दे रही थी।मैं पकड़ा गया या समर्पण था ये भी नही जनता। बस इतना पता है ,कि मैंने गलती की जिसकी कोई माफ़ी नही।मुझे सजा मिली 21 साल घुटा -मरता रहा।कभी लोगो की रूह का डर कभी फांसी का।मुझे शुरू में ही फांसी दे दी जानी चाहिए थी।मर तो मैं उसी दिन गया था ,जिस दिन इस पाप में भागी बना।ये तो मेरा जिश्म है जो ,रोज- रोज मरता है , और उम्मीद है की मरने नही देती।
तपस्या - तो मैं इसमें क्या करू ?करनी का फल तो मिलता है।
 कलाम -तपस्या पहले याकूब की बात तो पूरी सुन लो। तुम यंग जेनरेशन के बच्चों का यही प्रॉब्लम है।हर वक़्त जल्दीबाज़ी ,गुस्सा ,जजमेंटल होना ,दुसरो की बातो में आना ,हताश होना।अपनी कमजोरी को अपना हथियार बनाओ।कभी भी दूसरे के बातो में आने से पहले अपने मन की ,दया की ,सचाई की राह चुनो।कम से कम तुम्हरी आनेवाली नस्ले तो सुख -शांति से रहे।तुमलोगो ने बहुत कुछ देखा ,सुना।भविष्य में ऐसा ना हो इसलिए याकूब की पूरी बात सुनो।
याकूब -तपस्या मैंने साथ दिया या नही दंगे में वो अलग बात है ,मैंने ब्लास्ट करवाये या नही वो भी अलग है। पर कम से कम ये तो पक्का है मैंने नही कहा ,अल्ला मियाँ मुझे मुस्लिम बना कर भारत में भेजो। अगर भेजा भी तो मुझे ,कलाम के घर क्यों नही भेजा ? मेरे भाई के मन में भारत के प्रति नफरत क्यों भरी ?या आपने हथियार  बनाने वाले लोगो को क्यों बनाया ? जिस सवाल के जबाब के लिए हम आये है वो ये है , मेरे हिसाब से कलाम भी दूसरे देशवाशी के लिए आतंकवादी है।उन्होंने ने भी न्यूक्लिअर बम  बनाये है। कल को किसी देश से ख़ुदा न करे युद्ध हो, और बम  गिरना पड़ जाये।सोचा है कितने लोग मरेंगे ? तो क्या उस वक़त इन्हे भी कैद /फाँसी होगी ?
तपस्या -तुम पागल हो गए हो ,देशद्रोही। कलाम ने देश की सुरक्षा के लिए अविष्कार किये है। तुम अपनी तुलना ,कलाम से तो बिल्कुल न करो।तुम्हे सजा होनी चाहिए।तुमने लोगो की जाने ली है।
कलाम -मैं तुमसे पहले ही कह रहा था याकूब ,तुम लोगो का मन न टटोलो।लोगो ने जितनी भी गीता /कुरान /बाइबिल पढ़ी हो उनमे आज भी सच और गलत की परख कमहै   ,दया नही ,माफ़ी नही।तुम जी कर भी रोज मरोगे तो अच्छा ये कि मर ही जाओ।जहाँ तक मेरा विचार है ,मैं अपने जीते -जी कोई युद्ध नही चाहता। मुझे आज भी अपने अविष्कार पे शर्म महशुस होती है ,जब हिरोशिमा /नागासाकी के अपाहिज बच्चो को देखता हूँ।मैं कर भी तो कुछ नही सकता।पूरा विश्व घ्रीणा की आग में जल रहा है ,सबको चाँद -सूरज पर पहुचने की जल्दी है। उसके लिए लाखो लोगो की जान जाती है तो जाये।
  तपस्या कोई भी उपलब्धि /तरक्क़ी/घृणा /प्यार/जाति /समाज मानव जीवन से बढ़ के नही।ना कोई जाति से आतंकवादी बनता है न वैज्ञानिक।किसी एक की मौत से कभी न तो आतंकवाद ख़त्म होगा न बढ़ेगा।जब तक तुम जैसे युवा इसमें साथ न दे।तुम लोग उगते सूरज हो ,जात -पात की राजनीती से बहार आओ। माफ़ी माँगना और क्षमा करना सीखो।मेरा क्या है ,उम्र हो गई है।सदा तुम्हे दिशा दिखने को न रहूंगा। कल को मेरी मौत के एक /दो दिन बाद याकूब को अगर फांसी मिलती है ,तो दुनिया मुझे भूल कर याकूब के पीछे लग जाएगी।यही नया युग है।पर याद रखना याकूब को फांसी देने वाला भी कही न कही एक खून का मुजरिम है।अब तुम बताओ क्या फैसला है तुम्हारा ,तुम एक "रुका हुआ फैसला का 11  किरदार हो "। याकूब और कलाम साहब मुझसे बार-बार मेरे मन की बात पूछ रहे है।मैं उनसे रोते हुए कहती हूँ माफ़ करो मुझे।मैं कोई जज नही।मैं किसी के मौत पे खुश नही हो सकती। मैं किसी के मौत पे खुश नही।तभी शतेश मुझे झिकझोड़ते है ,क्या हुआ तपस्या कोई बुरा सपना देखा क्या ?मैं पसीने से तर रोती हुई कहती हूँ।कलाम साहब और याकूब मेमन मेरे सपने में आये थे। शतेश बोलते है ,इसलिए कहता हूँ न्यूज़ पढ़ के ना सोया करो।दोनों ही मर चुके है।आह दोनों ही  मर चुके है !!!!!!!

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