Friday, 24 July 2015

Boston ,MIT, Harvard , kanuni Hasina And Friends part -2 !!!!!

पिछले ब्लॉग में आपने पढ़ा कि हमें पुलिस ने रोका और फाइन किया।शतेश थोड़े से दुखी थे,मुझसे कहते है ,तुम कैसे इस समय भी हँस रही हो ? मैंने कहा फाइन ही तो है पेय कर देना :) वैसे भी तुम्हे उससे बहस नही करनी चाहिए थी। ऐसे तो कोई महिलाओ से जीतता नही ,वो तो पुलिस वाली थी :P शतेश को मेरी बात से हँसी आ गई।सब भूल कर हमने अपनी यात्रा फिर शुरु की।मिस्टर बंसल का कॉल आया कितनी देर में पहुँचोगे ? ट्रैफिक देखते हुए हमने बताया 11:30 होगा पहुँचते -पहुँचते।हमलोग रात के 12 के आस -पास पहुंचे।शतेश ने पार्किंग के लिए मिस्टर बंसल को कॉल किया।देखा तो मिस्टर बंसल के साथ प्यारी तृषा भी हमारा बाहर इंतज़ार कर रही थी।मैंने उसको गोद में उठा लिया ,और वो भी बिना किसी हिचकिचाहट के मेरे पास आ गई।ऐसा लग रहा था जैसे हमलोग को पहचानती हो :) घर में जाने के बाद मिसेस बंसल से मिली।फ्रेश होने के बाद हमलोग खाने पे टूट पड़े। मिस्टर एंड मिसेस बंसल ने भी नही खाया था।वो लोग भी हमारा इंतज़ार कर रहे थे।खाना बहुत ही टेस्टी था।खाने के बाद बातो का सिलसिला शुरू।मैं और मिसेस बंसल तो रात के 3 बजे तक बात करते रहे। मेरी आवाज बिल्कुल ही चोक हो गई थी ,फिर भी दो महिलाये बिना बात के :) फाइनली हमलोग सोये। सुबह मुझे हल्का बुखार हो गया था। मैं आराम कर रही थी। मिसेस बंसल ने पूछा नाश्ते में पराठा खाओगे ? भईया इतनी ख़ुशी हुई सुन कर पूछो मत। नाश्ते के टेबल पर गरमा -गर्म पराठा ,ऊपर से बटर।ओहोहो मजा आ गया 2 साल में पहली बार नाश्ते में पराठा मिला था।शतेश कहते है पंजाबियों के घर पराठे न खाए तो क्या किया :) हमें लग ही नही रहा था कि घूमने आये है। आराम से नास्ता फिर चाय फिर गप शुरू।मैं भी फीवर की दवा लेके बातो में लग गई।तृषा बार -बार शतेश के गोद में बैठ जाती।शतेश सदमे में कि ऐसा इस बार कैसे ,अमूमन शतेश बच्चो से दूर और बच्चे शतेश से :) बातो -बातो में मिसेस बंसल हँसते हुए कहती है ,तपस्या पता है मैंने मिस्टर बंसल को कहा ठीक से रहने को ,वरना तुम अपने ब्लॉग में लिख दोगी। मैं भी अपनी हँसी रोक नही पाई। मिस्टर बंसल ने भी कहा तुम्हारे ब्लॉग से पता चलता रहता है ,तुमलोगो के बारे में।सच में मुझे बहुत खुशी हुई उस दिन।मैंने सोचा नही था ,ये दोनों मेरे ब्लॉग पढ़ते होंगे :P खैर इनसबके बीच दिन के 2 बज गए थे। मिस्टर बंसल ने कहा क्या- क्या देखना है ? शतेश ने कहा MIT और हार्वर्ड देख लेंगे। ज्यादा भागमभाग नही करनी।मैंने कहा 130 डॉलर का चुना लगा है ,आये है तो आराम से घूमते है :) हमलोग पहले हार्वर्ड गए।जैसा सोचा था वैसा कैंपस बिल्कुल नही था।हमने पूछा पक्का यही हार्वर्ड है ? मिस्टर बंसल ने कहा हाँ भाई यही है :) ये तो फिर भी ठीक है MIT का कैंपस तो है ही नही। हमलोग वहाँ पे कुछ फोटो लिए और ऐसे ही घूम रहे थे।सोच रहे थे कैंपस जैसा भी है ,पर एक बार इसमें पढ़ने का मौका मिल जाये।शतेश को अचानक रोहलखण्ड यूनिवर्सिटी का भूत चढ़ा। बोलते है हमारा जैसा भी कॉलेज था ,उसी की बदौलत आज हार्वर्ड देख रहे है :)हमलोग हार्वर्ड से निकल कर MIT पहुंचे। हे भगवान बीच में रोड दोनों साइड नॉर्मल बिल्डिंग।इससे अच्छा प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी का कैंपस है। पर बात वही है ,हर कुछ दिखावा ही नही होता।पहली तस्वीर हार्वर्ड  कैंपस की दूसरी MIT की।
MIT में हमने एक शादी भी देखी।क्रिस्टिन लोगो का कल्चर अच्छा है ,कही भी कभी भी आई डू बोल दो :) मैं मजाक नही उड़ा रही।सच में ऐसा सोचती हूँ।उसके बाद हमलोग MIT के अंदर पहुंचे। वहां पे अलग -अलग लैब देखे। तभी शतेश को याद आया पार्किंग का टाइम खत्म हो गया है।सो हमलोग भागे पार्किंग की तरफ।दोनों ही यूनिवर्सिटी में रोड साइड पार्किंग है 1 डॉलर की।लेकिन सिर्फ एक या दो घंटे की। वो भी आपकी किस्मत अगर मिल जाये तो। नही तो 10 पेय करो प्राईवेट पार्किंग में। वहां से निकने के बाद हमलोग एक पंजाबी ढाबे पे खाने को गए।6 डॉलर में प्रॉपर खाना।शायद स्टूडेंट एरिया की वजह से सस्ता रखा होगा।हमने फिर डाउन -टाउन देखने का प्लान किया। डाउन टाउन में ही क्विंसी मार्किट है ,वो भी एक अट्रैक्शन है। तो हम वहाँ भी पहुँच गए। यह एक इनडोर मार्किट है, और खाने के तो इतने ऑप्शन पूछो ही मत।मुझे फीवर लग रहा था ,मेरा मन अब बिल्कुल घूमने का नही था।बस आराम करना चाह रही थी।शतेश ने मेरी हालत देख मिस्टर एंड मिसेस बंसल से चलने को कहा।आज हमलोग को शतेश के एक दूसरे दोस्त मिस्टर पात्रा के यहां रुकना था।उनका  कॉल आया कब आ रहे हो ? डाउन टाउन से उनका घर लगभग 1 घंटे की दुरी पर था। मिस्टर एंड मिसेस बंसल ने हमे विदा किया।उनलोगो को ट्रैन से जाना था,तो वो थोड़ी देर के बाद वहां से निकलने का प्लान किया। हमलोग फिर मिलने का वादा करके गाड़ी की तरफ निकल पड़े।एक बात और मिसेस बंसल ने मुझे बहुत प्यारी ड्रेस दी :) मुझे इंडिया की याद आ गई।इंडिया में किसी के घर जाओ तो वापस खाली हाथ नही जाने देते।हमलोग रात के 10 बजे मिस्टर पात्रा के यहाँ पहुँचे। 4th जुलाई की वजह से डाउन टाउन में इतनी भीड़ की पूछो मत।उनके घर पहुचने तक मेरा गला बिल्कुल बैठ गया था।बाहर मिस्टर पात्रा हमारा इंतज़ार करते मिले।हमलोग पहले भी मिल चुके थे।मुझसे हँसते हुए कहते है क्या किया जो आवाज नही निकल रही है। हमलोग घर के भीतर पहुँचे। मिसेस पात्रा "सेरेन "उनकी बेटी को गोद में लेकर हमारे पास आई। मैं थोड़ा डर रही थी सेरेन को लेने में या मिसेस पात्रा से गले मिलने में। कारण मुझे सर्दी -खाँसी ,फीवर था। और कही बेबी को भी इन्फेक्शन न हो जाए। सेरेन अभी 5 /6  महीने की ही होगी।बच्चो को इन्फेक्शन जल्दी होता है।पर मिसेस पात्रा कहती है ,कोई बात नही तुम पकड़ो इसे।सर्दी -जुकाम तो होते रहता है बेबी को। इसे कहते है प्यार।वरना मैंने कितने इंडियन को देखा है ,जिनके बच्चो को बिना सेनिटीज़र आप गोद में नही ले सकते। मैं इसे बुरा नही मानती।बच्चो की सेफ्टी ज्यादा जरुरी है।मैंने मिसेस पात्रा से कहा मैं बात तो कर नही सकती।बेटर मैं खाना खा के दवा खा लूँ।फटाफट मैंने खाना खा के दवा ली। फिर शतेश और मिस्टर पात्रा बातो में लग गए। मिस्टर पात्रा ने बहुत ही प्यारा घर ख़रीदा है। उन्हें देख लगा अमेरिका में वे ही असली मस्ती कर रहे है :P थके होने के कारण हमलोग जल्दी क्या 1 बजे सो गए।सुबह आराम से 10 बजे उठे। नाश्ता किया और चाय के साथ उनके खूबसूरत पैटीओ में गपशाप शुरू हुआ।सेरेन को बस कोई बात करने वाला चाहिए वो खुश। दिन के 12 बज गए थे। बारिश भी हल्की -हल्की हो रही थी।हमरा भी कोई खाश कही जाने का मन नही था। बस लग रहा था आराम करो।फिर तय हुआ आये हो, तो कुछ तो देख लो। सो हमलोग फटाफट रेडी हुए। तबतक मिसेस पात्रा ने खाना लगा दिया था। इतना कुछ था खाने को लेकिन मेरा मन नही कर रहा था। मिस्टर पात्रा कहते है ,तुम तो बच्चो से भी कम खाती हो :) मुझे उनकी कल रात की चने की फ्राई बहुत अच्छी लगी। और वही खाने का मन भी कर रहा था। पर उसके लिए चने को 24 घंटे भिगोना जरुरी था :( वो चटपटा था और फीवर की वजह से मुझे वही टेस्टी लग रहा था।खाने के बाद हमलोग ओसन  ड्राइव न्यू पोर्ट गए।शाम को समंदर के किनारे बैठे और वापस रात में न्यू पोर्ट सिटी आये। बहुत ही अच्छा क्राउड था। हर तरफ सिर्फ यंग लोग ,इंडियन तो शायद सिर्फ हमी लोग थे।रोड के दोनों साइड रेस्तरॉ ,लाइव म्यूजिक ,पब हाउस फुल लाइवली क्राउड।बहुत अच्छा लगा मुझे ये जगह ,और रुकना चाह रही थी।लेकिन फायर वर्क्स के बाद काफी ट्रैफिक हो जाती।सो हमलोगो ने  सोचा खा के निकलते है।हमलोग थाई रेस्तरॉ में गए ,मैंने स्पेशली करी को हॉट बनाने को कहा था। जब खाना आया भगवान वेटर ने दिल पे ले लिया था ,उसने इतना तीखा बनाया की खाया ही नही जाय :) मिस्टर पात्रा मेरी हालत देख के हँसे जा रहे थे। मिसेस पात्रा ने नॉन वेज ऑर्डर किया था ,जिसमे पाइनएपल था ,बोली इसमें से खा लो :) भूख लगी थी सो जैसे -तैसे खा के घर लौटे।आने के थोड़ी बाद हमलोग सोने चले गए। हमलोग को अगले दिन वापस न्यू जर्सी भी आना था।अगले दिन मिस्टर एंड मिसेस पात्रा कहते रहे खाना खा के जाओ ,पर हमलोग नास्ता करके घर को निकल पड़े।डर था वापस ट्रैफिक न मिले। खैर जल्दी निकलने का भी कोई फायदा न हुआ हमे ट्रैफिक मिला ही।शाम 4 :30 को हम घर पहुंचे तृषा और सेरेन की प्यारी यादो के साथ :) 

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