Monday 10 August 2015

pahli camping in lack placid , barish, khana or chabhi !!!!!

लॉन्ग वीकेंड था, हमने बॉस्टन जाने का सोचा रहे थे ।तभी मिस्टर जैन का कॉल आता है।अबे भाई कैंपिंग चलेगा।शतेश का मन बॉस्टन जाने का था।कारण इन्होने अपने दोस्तों को आने का बोल रखा था।मैंने कहा शहर तो हम हमेशा घूमते है ,इस बार कुछ अलग करते है।कैंपिंग ही चलते है।शतेश ने बॉस्टन वाले दोस्तों को अगले लॉन्ग वीकेंड आने का प्रोमिस किया ,और कैंपिंग के लिए हाँ किया।इस बार भी हम वही चार कपल जो वाशिंगटन गए थे, कैंपिंग के लिए गए।ऐसे में कुछ गड़बड़ न हो :) आगे पढियेगा क्या -क्या हुआ।न्यू जर्सी से लेक प्लेसिड 6 की दूरी पर है ,लगभग कनाडा बोडर।एक गाड़ी में मिस्टर & मिसेस शाक्या और हम दोनों। दूसरी में मिस्टर & मिसेस जैन और मिस्टर &मिसेस बंसल।प्लान हुआ हमलोग शाक्या जी के घर पहुंचे ,वहां से  रास्ते में कही बाक़ी के लोगो से मिल लेंगे।हमलोगो को कुछ सामान भी लेना था ,इसलिए मिलने का जगह वॉलमार्ट रखा गया। सभी वॉलमार्ट में मिलते है।पहले सोचते है कुछ खा ले फिर शॉपिंग करेंगे, कारण 1 बज गया था।फिर खाने के लिए गाड़ी रोकनी पड़ती।मैंने पिज़्ज़ा का ऑप्शन लिया।सामने पिज़्ज़ा शॉप पे मिसेस और मिस्टर शाक्या के साथ खाने चले गए।मिस्टर ,मिसेस जैन और बंसल ने कुछ हल्का खाना वॉलमार्ट के सबवे से ले लिया।हमलोग खा कर जब पहुंचे।सब मिलकर सामान ढूंढने लगे।मसलन ग्रिल के लिए सब्जियाँ ,चिप्स ,पानी की बोतल,पेपर प्लेट ,ग्लास ,लकड़ी ,तेल , कोक ,ब्रेड ,दूध और भी कुछ स्नैक्स।इनसबके के बीच हमें पता ही नही चला ,हमने 3 घंटे शॉपिंग और खाने में लगा दिए।बाहर निकल कर सामान गाड़ी के ट्रंक में रखना शुरू किया।एक तो दोनों का ट्रंक पहले से भरा था ,स्लीपिंग बैग ,कंफ्टर और बैग से ,उसपे इतना सामान।जैसे -तैसे  ठूस -ठूस के भरा गया। कुछ पैर के नीचे ,तो कुछ आगे पीछे करके।इसके बाद हमारी असली जर्नी शुरू हुई।गाने सुनते ,बाते करते हमलोग जा रहे थे। तभी मिस्टर शाक्या ने बताया ,मिसेस शाक्या बहुत अच्छा गाती है। हमने उनको गाने को बोला।एक दो बार रिवाज की तरह ना कहने के बाद वो गाने लगी।सच में इतनी सुरीली आवाज ,मेरे रोंगटे खड़े हो गए।मैंने शक्या जी को बोला आप इतना अच्छा टैलेंट ,अमेरिका की चक्कर में बरबाद कर रहे है।इन्हे इंडिया ले जाइये ,थोड़ा और सीखे और इसके बारे में सीरियसली सोचे।ऐसे ही गीत -संगीत और हंसी -मजाक के साथ ,हमलोग लगभग अपने गंतव्य तक पहुँच चुके थे।रास्ते में हमे एक बहुत बड़ा पहाड़ ,पेड़ो से ढका और उसके सामने लेक दिखी।बहुत ही सुन्दर व्यू था।हमने थोड़ी देर के लिए गाड़ी रोकी और थोड़ा फोटोसेशन किया।फिर निकल पड़े।करीब आधे घंटे बाद हम कैंपिंग साइट पर पहुंचे।वहाँ पहले से मिस्टर जैन और कम्पनी पहुंचे हुए थे।सामान निकाल कर रात की तैयारी कर रहे थे।हमलोग भी गाड़ी पार्क कर उतरे।बाहर काफी ठण्ड थी।हमारी गाड़ी में से भी जो जरुरी सामान था निकला और जहाँ ग्रिल की जगह थी ,पहुंचे।मिस्टर जैन & बंसल ने एक टेंट लगा दिया था।हमारी गाड़ी से दूसरा टेंट निकाल कर उसे लगाने में मदद करने लगे।लड़कियों के जिम्मे ग्रिल और खाने की जिम्मेदारी थी। हमलोग लोग उसमे लग गए।लड़को के जिम्मे टेंट और ड्रिंक थी ,जो वो शुरू कर दिए।ग्रिल में ही काफी टाइम लग गया। मिसेस जैन ने कहा तबतक चावल -दाल बना लेते है।रात हो गई थी और बाहर सारी दुकाने भी बंद होती।हमलोग खाते -खाते गेम्स भी खेल रहे थे।ठण्ड थी सो आग भी जलाया गया था। सब उसके चारो तरफ बैठ के मजे ले रहे थे।एक तस्वीर उस यादगार पल की। 
बीच में एक मशाल जलाई गई थी। वैसे वहां दूर -दूर पे रौशनी का इंतज़ाम था।मुझे सबसे ज्यादा डर बाथरूम का था।पर यहाँ पर वो भी अच्छे ढंग से बना हुआ था।हर कैंपिंग साइट के पास एक नल ,चार्जिंग पॉइंट ,ग्रिल की जगह थी।इसी बीच लड़के बेडिंग भी टेंट में लगा रहे थे।शतेश और मिस्टर शाक्या ने एयर बेड ख़रीदा था।उसको एक इलेक्ट्रॉनिक /बैटरी वाले पंप से भरना होता था। हमलोग उसे चार्ज करके ही नही ले गए थे। उसे कम से कम 24 घंटे चार्ज करने थे। अब क्या करे ? कैंपिंग साइट के स्टाफ ने बताया यहां पर बहुत लोग आये है ,किसी के पास तो होगा। माँग लो उनसे।शतेश और शाक्या जी किसी से पंप माँग कर लाये।बेड काम लायक फूल गया।फूलने के बाद बेड थोड़ा बड़ा होगया था।तय हुआ एक टेंट में दो लोग और एक में 6 सो जाते है।मिसेस शाक्या को सर्दी से थोड़ी दिक्क्त थी।इसलिए एक में मिस्टर & मिसेस शाक्या सोने चले गए। दूसरे में बाकी लोग।सोने से पहले जब हमलोग आग के चारो तरफ थे ,हल्की बारिश होने लगी।हमलोगो ने फटाफट सामान बंद करके कुछ गाड़ी में ,कुछ टेंट में रखी।मशाल जलते रहने दिया ,ताकी कोई जानवर ना आ जाये।दूसरा टेंट जिसमे हम 6 थे ,वो काफी बड़ा था।हमलोग को कोई दिक्क्त नही हुई।थके होने की वजह से थोड़ा बात चीत करके हमलोग जल्दी सो गए।रात को अचानक तेज हवा के साथ बारिश होने लगी।मुझे थोड़ा डर लगा ,पर देखा सब आराम से सो रहे है।टेंट हिल रहा था ,मैंने मुँह पे कंबल डाली और मैं भी सो गई।सुबह बारिश बंद हो गई थी।शतेश और मिसेस जैन राइस कूकर में चाय और टोस्टर में ब्रेड टोस्ट कर रहे थे।बाकी लोग भी फ्रेश होक धीरे -धीरे आ रहे थे।सबने चाय ,टोस्ट खाया। मैंने और बसल जी ने दूध कंफ्लेक्स खाया।मिस्टर बंसल बोले मैं रात भर नही सोया।कमीनो तुममे से कोई नही जगा।मैं रात को टेंट पकड़ के बैठा था ,कि कही गिर न जाये। मिस्टर जैन  हँसते हुए कहते है ,अबे उठा क्यों ?गिरता तो उससे चोट तो लगती नही ,पड़ा रहता शरीर पर वैसे ही :) नास्ता के बाद सब तैयार हुए ट्रैकिंग पे जाने के लिए।कैंप साइड से पास में ही "हाई जॉर्ज फॉल" और ट्रैकिंग साइट था। हमलोग वहां पहुंचे टिकेट्स कुछ 15 /19 डॉलर की थी ,पर पर्सन।फॉल को देखते फोटो लेते हुए हम ट्रैकिंग कर रहे थे।2/3  घंटे बाद सब थक गए। एक जगह आराम किया और राफ्टिंग के लिए प्लान बनाने लगे।राफ्टिंग का टाइम देखा तो निकल चूका था । हमलोग लेट हो गए थे।वापस गाड़ी में सवार हो के खाने के लिए चल पड़े।लेक प्लेसिड का एक छोटा सा डाउनटाउन भी था।हमलोग वहां पहुंचे ,एक थाई रेस्त्रां में।फिर से  हमारे साथ वाशिंगटन जैसी घटना घटी।जैसे -तैसे सबने खाना पूरा किया।मिस्टर शाक्या पहली बार थाई फ़ूड खाए थे।उन्होंने कान पकड़ा फिर नही जायेंगे कभी थाई रेस्तरॉ।उसके बाद हमने डाउनटाउन के चक्कर लगाये।पार्किंग की यहां भी बहुत दिक्क्त थी।मिस्टर जैन ने कहा हमलोग लेक देख लेते है।उनके बताये रास्ते से सब लेक साइड तो पहुंचे ,पर ये प्राइवेट प्रॉपर्टी थी :) थोड़ा रुक के हमलोग वहां से निकल लिए।वहाँ से सब लोग आइसक्रीम शॉप पहुंचे।मिस्टर जैन और बंसल ने पहले पहुंच कर आइसक्रीम खा ली थी।उनको मिसेस जैन ने आज के राशन के लिए वालमार्ट चलने को कहा। हमलोग आइसक्रीम खा के डाउनटाउन में ही घूमने लगे।पास में एक म्यूजिक शो हो रहा रहा लेक के किनारे। बहुत सुन्दर व्यू था।हमलोग थोड़ी देर वहाँ रुक गए।मिस्टर जैन का कॉल आया सामान ले लिया है ,साइट पे पहुंचे सबलोग।हमलोग वापस कैंप आये।आज थोड़ी कम ठण्ड थी।टाइम भी ज्यादा था ,सबलोग आराम से गपशप करते हुए ,खाना पका रहे थे।आज लड़को को खाना पकाना था।फिर से ग्रिल हुआ ,पर आज उतना स्वादिस्ट नही बना था :) खाते हुए हमलोग कल का प्लान बना रहे थे।मिस्टर शाक्या को गाड़ी से कुछ निकलना था।पर उनकी गाड़ी की चाभी नही मिल रही थी।सारे मिल कर उनकी गाड़ी की चाभी ढूंढने लगे।रात थी तो कम रौशनी की वजह से थोड़ी दिक्क्त आ रही थी।शाक्या जी परेशान 2 क्या करे ? वहाँ फ़ोन का नेटवर्क भी नही मिल रहा था ,की गाड़ी के इन्सुरेन्स वाले को बुलाया जाये। इसी बीच मैं चाभी ढूंढते वाशरूम पहुँची।मुझे वहाँ चाभी टिशू पेपर के निचे रखी मिली।मैंने शाक्या जी को जब चाभी दी खुशी से मुझे गले लगाते हुए कहते है ,शतेश तेरी वाइफ बहुत लकी है।मुझे पार्टी देने का वायदा किया ,जो अब तक बाकी है :) गाड़ी ,ट्रैफिक ,खाना हमेशा से कॉमन रहा जब भी हम चार कपल साथ गए :P  इनसब में लेट हो गया था।इसलिए जल्दी सोने का तय किया गया  , कल थोड़ा घूम के वापस घर भी आना था।रात को मिस्टर बंसल ने हमे बहुत हँसाया।सुबह 5 /6 बजे से लड़के जग कर वाक कर थे।शतेश ने आज फिर चाय चढ़ा दी थी ,जो की प्लान में नही था।प्लान था कही भी बाहर नास्ता करने का।सब फ्रेश होक आ गये।चाय देख सब खुश ,की नास्ता का टेंशन ख़त्म ,ब्रेड ,बिस्कुट ,नमकीन बस हो गया।सारा सामान गाड़ी में लड़के रखने लगे ,तबतक हमलोग तैयार हो गए।मिस्टर शाक्या ने रास्ते में "हॉवे केव" देखने को कहा।सब वहाँ पहुंचे।टिकट पर पर्सन 25 डॉलर था। केव के अंदर बहुत ठंढ थी।बोट टूर भी था।थोड़ी देर के लिए केव  की सारी रौशनी बंद करके हमे घुप अँधेरे का अहसास भी कराया गया। 90 मिनट का पूरा टूर था।मिस्टर & मिसेस जैन ने अपनी गाड़ी मिस्टर बंसल के यहां लगाई थी। हमलोग को उधर जाना उल्टा पड़ता।हुमलोगो ने सबको फिर मिलने का वादा दे ,अलग -अलग रास्ता लिया।वहाँ से वापस हमलोग गपसप ,हँसी -मजाक ,कॉफी पीते शाक्या जी के घर पहुंचे। उन्होंने हमे बहुत रोका पर शतेश के ऑफिस का कॉल था,10 बजे रात को।इसलिए हमने अपनी गाड़ी ली वहाँ से और विदा लिया। 

No comments:

Post a Comment