Wednesday, 5 August 2015

Aarav Ka Janmdin ,Desh ki yaad ,Chay ka cup or dher sara pyar !!!!!

बहुत हुई दुनियादारी फिर से आती हूँ ,अपने हल्के -फुल्के ब्लॉग पे।शुरुआत करती हूँ आरव के जन्मदिन से। इससे अच्छा कुछ हो भी नही सकता।आरव मेरा सुपर हीरो ,मेरा राजकुमार। मुझे पता है आरव ,तुम्हे राजकुमार कहलाना पसंद नहीं।वही अगर प्रिंस कहो तो खुश हो जाते हो।अरे बुद्धू काश तुम मेरे ब्लॉग पढ़ सकते तो हँसते ,कैसे पस्या ऑन्टी तुम्हे बेवकूफ बना रही है।आले मेरे प्रिंस, हिंदी में प्रिंस ही राजकुमार है।क्या करे आजकल के बच्चे।एक मेरा बचपन था,जब मेरी मौसी ने मेरा नाम लवली रखा।सब मुझे लबनी- लबनी कह कर चिढ़ाते।लबनी मिटटी का बर्तन होता है ,जिसमे ताड के पेड़ का रस यानि देसी दारू रखते है।मैं खूब रोती मेरा नाम लवली क्यों रखा ? माँ मुझे बहुत समझती बहुत प्यारा नाम है तुम्हारा।बच्चे तो तुमसे चिढ़ कर के चिढ़ाते है। उस वक़्त हमारे यहां डिक्सनरी नही थी।मैं कुछ 4 /5 वीं में पढ़ रही होंगी।माँ ने बगल वाले भईया से डिक्सनरी मांग के मेरा नाम का मतलब दिखाया ,तब जाके मैं खुश हुई।खैर मेरे राजकुमार जब तुम थोड़े बड़े होना ,तब ये ब्लॉग पढ़ के हँसना।वैसे तो आरव का जन्मदिन 30 जुलाई को था ,पर उस दिन गुरुवार की वजह से पार्टी शानिवार को रखी गई।गुरुवार को मैंने उसे कॉल किया था। उसकी तबियत ठीक नही थी। मैंने उससे पूछा क्या हुआ आरव ? कहता है ,कुछ नही पस्या ऑन्टी थोड़ा सर्दी -जुकाम हुआ है। मैं हँस -हँस  के लोट -पोट। इतना छोटा बच्चा और बड़ो जैसी बातें अपनी तोतली आवाज़ में।फिर मुझे याद दिलाता है ,मेरा जन्मदिन है ,गिफ्ट लेके आना। ये होता है बचपन जो दिल में हो बोल दो।वैसे आज कल बनते तो सब बच्चे है ,पर बच्चो वाली कोई बात कह दो तो ,बड़पन दिख जाता है।शानिवार मैं और शतेश सुबह सारा काम फटाफट कर के तैयार हो गये पार्टी में जाने को। मिस्टर पाण्डेय अरे हाँ भाई हाँ वही नायग्रा वाले पाण्डेय जी  ने हमें 5 बजे बुलाया था।दुबिधा में ना पड़े याद कीजिए नियाग्रा वाला ब्लॉग ,मिस्टर पाण्डेय ही आरव के पिताश्री है ,तो वही बुलाएँगे न।धूप बहुत थी ,सो हमने उन्हें कॉल करके कहा ,हमलोग 6 बजे तक पहुँचते है।हमलोग मिस्टर पाण्डेय के घर 6 बजे तक पहुँच गए। गाड़ी पार्क कर रहे थे ,तभी देखा मिस्टर जैन और मिसेस जैन (वाशिंगटन ट्रिप वाले ) अपने पडोसी होने का फ़र्ज़ अदा कर रहे थे :) मतलब वो डेकोरेशन में हेल्प कर रहे थे। साथ में शतेश के छपरा वाले भईया भी थे। मेरी उनसे पहली बार मुलाकात हुई। हाय /हेलो के बाद मिस्टर पाण्डेय ने बताया छपरा वाले भईया यानि मिस्टर प्रकाश भी मेरे सारे ब्लॉग पढ़ते है।मुझे बहुत खुशी हुई। मैं अंकिता ,आरव की माँ से मिली ,पूछा कुछ मदद चाहिए। उन्होंने कहा नही सब हो चूका है ,बस एन्जॉय करो। उन्होंने मेरा पसंदीदा काम मुझे सौप दिया :) थोड़ी देर में और भी मेहमान आने शुरू हुए। करीब 40 /45  लोगो को बुलाया गया था।इसी दौरान मैं आरव के बेस्ट फ्रेंड "कान्हा " से मिली। साथ में कान्हा की माँ यानि मिसेस प्रकाश से भी मिली।पार्टी बाहर लॉन में रखी गई थी।मिस्टर वर्मा और मिसेस वर्मा भी अविका के साथ आये।मैं सबको अंकिता की हस्त कला मेरे कहने का मतलब डेकोरेशन दिखा रही थी।गर्मी का मौसम बहार हल्की -हल्की हवा चल रही थी।ऐसे में इतने सारे भारतीय लोग। हल्की रौशनी। बहार ही नास्ता चल रहा था।तभी अविका ने प्लस्टिक की फोर्क तोड़ डाली अपने मुँह में।सब डर गए ,पर शुक्र है कुछ नही हुआ उसे।उल्टा उसने अपनी माँ को दर्द दे दिया ,उनकी ऊँगली काट के :)  ये सब भारत की याद दिला रही थी। ऐसा लग रहा था ,किसी भोज में आये हो। बस कमी थी पात में बैठने भर की।लगभग सब एक दूसरे को जान रहे थे।ज्यादतर लोग उत्तरप्रदेश /बिहार के थे।खाना पीना चल रहा था।हल्की आवाज संगीत भी बज रहा था,बेबी डॉल मैं सोने दी।हा -हा -हा संगीत शब्द और बेबी डॉल जम नही रहा।तो यूँ कहे म्यूजिक भी बज रहा था।मुझे डर था बीच में कोई चिल्ला ना पड़े ,आरे लाव ता दुनाली ,बेटा के जन्मदिन में गोली न दगाई त का बात भईल (ले आओ बंदूक ,लड़के के जन्मदिन पे गोली तो चलनी चाहिए ) शुक्र है ,किसी ने कहा नही ,वरना बेकार में फजीहत होती दुनाली कहाँ किसी के पास इहाँ भईया।एक तरफ बड़ो की महफ़िल तो दूसरी तरफ बच्चे ने  भी मार -काट मचायी थे।गिफ्ट आरव का और आरव के दोस्तों को उनको छीनने या खोलने की जल्दी।इसी बीच मिस्टर वर्मा आये। उनकी अभी डेढ़ महीने के एक बच्ची है।जैसे ही उन्होंने बच्ची की ट्रॉली नीचे रखी ,चारो तरफ से बड़े ,बच्चे उसे देखने लगे।बच्चे तो और गौर से देख रहे थे। शायद मन ही मन खुश हो रहे हो ,चलो हमसे भी छोटा कोई है।महिला मंडल अपना पति पुराण और कैसे बच्चो को संभाले शुरू की हुई थी।लड़को का पता नही कौन सी राजनीती ,खेल या वीसा रूल की बात कर रहे थे। कुछ तो ये भी सोच रहे होंगे इतनी सारी महिलाये ,पर एक भी ढंग की नही।हाँ ये तो भूल ही गई थी ,आरव तैयार होने का नाम नही ले रहे थे। उनको उस वक़्त डोरीमन की ब्लैक टी -शर्ट ही पहननी थी ,जो की घर में थी नही।जैसे तैसे अंकिता ने समझा कर उन्हें तैयार किया। फिर केक कटने का टाइम हुआ।पुरे पार्टी का सबसे मजेदार पल था वो ,   सारे बच्चे केक के पास ऐसे खड़े हो गए ,जैसे उनका ही जन्मदिन हो। एक दो ने तो केक कटने से पहले उसे साइड से चखना शुरू कर दिया था। जैसे तैसे उन्हें रोक गया ,की पहले केक तो कट हो।जैसे आरव मुम्बतियो को बुझाने गया ,दो /तीन बच्चे मिल कर बुझाने लगे।सबने बर्थडे सॉन्ग गाना शुरू किया ,तभी आरव का एक दोस्त जोर -जोर से हैप्पी बर्थडे टू यू गाने लगा ,जल्दी -जल्दी। उसको लगा होगा जैसे सांग ख़त्म होगा केक मिल जायेगा।सांग ख़त्म हो आरव को अंकिता केक खिलाये ,इससे  पहले वो बच्चा हाथ से ही ,बड़ा सा केक का टुकड़ा उठा के खा लेता है।सब हँसते -हँसते लोट -पोट।उसकी माँ थोड़ा झेंपते हुए हँस रही थी। पर उसकी माँ शायद ये भूल गई ,यही तो है बचपन।उसके बाद हमलोग खाने की तरफ गए।मेनू में पाव भाजी ,पुलाव -छोले ,रायता ,सलाद और कोम्प्लिमेंट्री अंचार और नीबू -मिर्च था। इससे मिसेस जैन और मिसेस शाक्या कुछ याद आया (वाशिंगटन ट्रिप ). खाना बहुत ही स्वादिस्ट था। मेरे हाथ में प्लेट शुरू से अंत तक था।मिसेस जैन कहती है ,कितना खाओगी तपस्या बस करो।डेजर्ट में मेरा पसंदीदा आइसक्रीम था ,पर जुकाम -खांसी की वजह से मैंने खाया नही।इसके बाद सब एक- एक करके जाने लगे। मैं ,मिसेस जैन और प्रियंका (मिसेस वर्मा की बहन ) अंकिता को थोड़ा किचेन में हेल्प किया। फिर रिटर्न गिफ्ट लिया और ,जाने को निकले। मिस्टर पाण्डेय हमें रोकने लगे ,हमलोग बाहर रुक कर बात ही कर रहे थे ,तभी आरव की आवाज आई। पस्या ऑन्टी अब जाओ। सब हँसने लगे। शतेश महाराज तेज बने उन्हें लगा आरव उनको जाने को नही कहेगा। पूछते है आरव मैं भी जाऊ ?आरव का तुरंत जबाब हाँ जाओ। फिर मिसेस जैन को भी ऊँगली दिखा के कहता है ,आप भी जाओ।आरव को शायद गिफ्ट खोलने की जल्दी थी, या वो अपनी माँ को आराम से बैठे देखना चाहता था।मिस्टर पाण्डेय ने शतेश को कहा अबे कहाँ जाओगे ,चाय पीके जाना। फिर शुरू हुआ चाय का खेल ,हम कहे हमें नही पीना है ,मिसेस जैन कहती है मेरे घर चल लो वही पी लेना। मिसेस प्रकाश कहती है ,मेरा घर पास में है ,मैं बना के लाती हूँ। तभी अंकिता कहती है ,छोड़ो यार मैं नही थकी ,चलो घर के अंदर मैं बनती हूँ चाय।इस चाय के चक्कर में 10 मिनट तक हुआ की पिए या नही ,अगर पिए तो कहाँ ? खैर चाय अंकिता के घर पे ही बनी। आरव बेचारा सोच रहा होगा ,हद हो गई। अभी तो जाने को कहा ये लोग फिर आके बैठ गए। मिस्टर प्रकाश हँसते हुए कहते है ,तपस्या तुम्हारे ब्लॉग के लिए मसाला मिल गया। अंकिता और मिसेस प्रकाश मज़ाक में कहती है ,तपस्या कृपया आरव की तुम्हे भागने वाली बात मत लिखना। हमारा बच्चा छोटा है आगे इसकी शादी -ब्याह भी तो करनी है :) लेकिन मई कैसे इस मजेदार पल को भूल जाऊ और ना लिखूँ। थोड़ी देर चाय के साथ गपशप चलती रही। सबने चाय ख़त्म कर ली थी ,मैं अभी पी ही रही थी ,तभी अंकिता खाली कप्स इक्ठा करने लगी। मेरे हाथ से भी कप लेने लगी। मैंने कप को जोर से पड़ते हुआ कहा ,नही मैं अभी पी रही हूँ। एक बार फिर हँसी का माहौल बन गया। मैंने कहा भईया शतेश अब चलते है ,तुम तो कुर्सी छोड़ नही रहे। यहां पे सिग्नल पे सिग्नल मिल रहे है।मिस्टर जैन और मिस्टर प्रकाश भी हँसते हुए चलने को तैयार होते है। एक बार फिर से आरव और फैमिली और मिस्टर एंड मिसेस प्रकाश को अलविदा कह ,जैन दम्पति और हमदोनों पार्किंग तक आते है।पहले हमारा प्लान मिस्टर जैन के यहाँ रुकने का था ,लेकिन जल्दी में कपड़ो वाला बैग घर पे रह गया। कपडे तो फिर भी ठीक थे ,पर मेरे आँखों के लेंस की प्रॉब्लम थी।इसलिए ना चाहते हुए भी आना पड़ा।पीछे रह गया मेरा बॉक्स भरा पास्ता।मेरे जाते वक़्त फ्रीज़ के ऊपर बैठा दुःख में गा रहा होगा।चला भी आ ,आ जा रसिया ,ओ जाने वाले आजा तेरी याद सताए ,यादो का घरोंदा कही टूट ना जाये :) खूब सारी  मस्ती ,हँसी -मजाक ,अच्छे खाने ,प्यारे दोस्तों और उनके प्यारे -प्यारे बच्चों से मिल कर आरव का जन्मदिन और यादगार हो गया। कुछ लाइन सिर्फ आरव के लिए।
तुम्हारा जीवन चमके सूर्य की तरह 
निरंतर प्रयास ,प्रगति हेतु हो तुम्हारा। 
राह में पत्थर आएंगे परीक्षाओ के 
तुम्हारा लक्ष्य है ,पहुँचना उच्त्तम शिखर पर। 
शुभकामना है ,तुम्हे सदा हमारी 
पहुँचो तुम कार्य क्षेत्र के विश्व शिखर पर।
एक बार फिर से ढेर सारा प्यार मेरा बाबू ,मेरा राजकुमार ,मेरा आरव ,तुम हमेशा खुश रहो।   

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