Monday, 21 December 2015

मेरा इन्कॉउंटर !!!!

मैं और शतेश आज बसंतपुर जा रहे थे।सुबह से बारिश हो रही थी।हमलोग तैयार होके बैठे थे ,कि कब बारिश ख़त्म हो ,हमलोग निकले।मम्मी हँस रही थी।बोली लगता है तपस्या तुम्हारी माँ का बनवाया खाना ,वैसे ही रह जायेगा।भाई का कई बार कॉल आ गया था।नास्ते से लेकर खाने तक पर वो मेरा इंतज़ार कर रहा था।पर ये दुस्ट बारिस रुक ही नही रही था।हमलोग शाम के 4 बजके 30 मिनट पर घर से निकले।रोड तो अच्छा था ,पर लोग रोड को अपनी निजी सम्पति मान कर चल रहे थे।किसी ने रोड पर ही ठेला लगा रखा था।तो किसी की गाड़ी रोड पर पार्क थी।लोग बीच रोड पर साइकिल ,मोटर साइकिल चला रहे थे।बच्चे -बड़े रोड को फुटपाथ समझ कर खेल रहे थे ,चल रहे थे।हॉर्न की उनको कोई परवाह नही थी।मनो कह रहे हो ,बड़ा गाड़ी वाला बनतारह ,ना हटम का करबअ? शतेश सम्भल-सम्भल के गाड़ी चला रहे थे।मैंने हँसते हुये कहा ,टक्कर हो ना हो तुम खेत में जरूर गाड़ी ढुला दोगे।हमलोग 5 ;30 तक बसंतपुर पहुंचे।कॉलोनी का गेट बंद था।मैं छोटे गेट से दौड़ती हुई अंदर पहुँची।बाहर कॉलोनी की कुछ औरते -बच्चे बैठे थे।मुझे दौड़ते हुए देख कर बच्चे भी दौड़ते हुए मेरे पास आये।औरते आई बाप आई बाप करने लगी।मैंने उनको प्रणाम किया।तो मिसेस सिंह बोली जा हो लभली बियाह हो गईल लेकिन अभीहो उहे बुद्धि बा।दूल्हा के बाहर छोड़ के दौड़ैते आगइलु।मैं थोड़ा झेप गई।तब तक भाई भी बाहर आया।गेट खुलवा कर शतेश को अंदर लेकर आया।मुझे मारते हुए बोला और रात को आती।माँ मेरे आने की उम्मीद छोड़ शाम की पूजा की तैयारी कर रही थी।मुझे देख कर थोड़ी शॉक हुई ,फिर थोड़ा इमोशन दिखाया।मुझे बोली सुबह से सिर्फ खाना बनवा रही हूँ,और तुम आ ही नही रही थी।मैंने माँ को गले लगाया और थोड़ा रोना गाना हुआ। फिर माँ की नज़र मेरे कपड़ो पर गई।बोली अरे साड़ी और गहने क्यों नही पहने ? सब क्या सोच रहे होंगे।मैंने कहा छोडो ना ,जाओ शतेश भी आये है ,मिल लो उनसे।मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।रोज लोगो का मिलना-जुलना लगा रहता था।सुबह की चाय एक कॉलोनी के ही भईया के यहाँ से आती थी ,तो ब्रेकफास्ट किसी चाचा के यहाँ से,तो खाने की दावत कही और से।माँ परेशान की घर का भी खाना खाओ।ये ऐसा पहली बार नही था मेरे साथ। मैं जब भी बाहर से घर जाती, कॉलोनी के सब लोग ऐसा ही वर्ताव करते।बच्चे दिन भर हमारे यहाँ ही रहते।कोई स्कूल की छुट्टी ले लेता ,तो कोई टिफिन के बाद नही जाता।मुझे ख़ुशी थी कि ,वो सिलसिला आज भी मौजूद था।बस एक चीज़ का दुःख था कि ,अब लोग थोड़ा दिखावा कर रहे थे।थोड़े प्रैक्टिकल हो गए थे।मसलन कही जाओ ,जाते ही चाय नास्ता।उसके बाद आपने आस -पास के लोगो की बुराई।फिर मुझे बच्चा कब होगा और अमेरिका की बाते।ये तीनो बाते मुझे इरिटेट कर रही थी।पहले सब औरते एक साथ बैठती थी।अब लोगो का एक दूसरे के यहाँ आना -जाना बंद।बच्चे भी केवल मोबाइल या सीरियल ,फिल्म की बात कर रहे थे।क्या हो गया है सब को ? सबसे बड़ा ट्रेजेडी तो उस दिन हुआ ,जब मेरे यहाँ काम करने वाली बबिया की माँ एक लड़की को मेरे यहाँ लेकर आई।बबिया की माँ को भी दिखावे की बीमारी है।वो अपने पड़ोस की लड़की को सिर्फ ये दिखाने लाई थी ,की उसकी बेटी ठीक -ठाक घर में काम करती है।मैं ,भाई ,शतेश और भाई के एक -आध दोस्त आपस में बात कर रहे थे।तभी वो आई मुझसे बोली दीदी आपसे माँ किसी को मिलवाना चाहती है।मैं अंदर गई। देखा तो कोई 22 /23 साल की एक लड़की उसके साथ एक 15 /16 की दूसरी लड़की और बबिया की माँ बैठी थी।मुझे देख कर बबिया की माँ बोली यही इनकी बेटी है।माँ बोली लवली तुमलोग बाते करो मैं शाम का तुलसी जी को दिया दिखा देती हूँ।अब मेरा इन्कॉउंटर शुरू हुआ।बबिया की माँ मुझे बोली बबी तनी कुछ नास्ता (उस लड़की को) दे दी।मैंने बिस्कूट ,मिक्चर और थोड़ी मिठाई प्लेट में दे दी।तभी वो बोली अरे तनी नारंगिया आ सेउआ (सेब )भी काट के दे दी।तभी माँ तुलसी जी को दिया दिखा के वापस आई।ये सुनते ही माँ गुस्सा गई।बोली ये क्यों देगी ?आप दीजिये या बबिया को बोलिए।मेरी बेटी से मैं कभी पानी तक नही माँगती।बबिया की माँ शरमा गई बोली ,अरे नही हम खुद ले लेते है।माँ तो चली गई।पर इसका बदला उस लड़की ने मुझे पका कर लिया।उसके कुछ अंश।लड़की को आप इंटरभिवअर मान ले और मैं कैंडिडेट।
     लड़की ;अच्छा तो शादी के कितने साल हुए ?
लवली ;दो साल।
लड़की ; शादी कहाँ हुई ? हसबेंड जी क्या करते है ?
लवली : शादी मढ़ौरा में हुई है। हसबेंड नौकरी करते है।
लड़की :मतलब क्या काम करते है ?
लवली :इंजीनियर है।
 लड़की : इंजीनियर तो है।पर करते क्या है ?कोन से फील्ड में है ? पाइप फिटिंग की या बिजली- विजली का काम ?
लवली :(मन में कुढ़ते हुए अरे मेरी माँ) कुछ तो करते है कम्प्यूटर पर।
लड़की :अच्छा कम्प्यूटर। तो ये सब ठीक करते होंगे क्या जी ?
लवली : हम्म्म। सवाल से बचने के लिए छोटा हम्म्म।
लड़की :आपने सिंदूर क्यों नही लगाया ?पैर भी नही रँगे ? सुहागन को ये सब करना चाहिए।बाकी आजकल लोग कम ही करते है ,फैशन में।और भी कुछ बेतुके शादी से जुड़े सवाल।
लवली : थोड़ा हँसते हुए ,तुम्हारी तो शादी नही हुई ना ,बड़ा एक्सपीरियंस है।
लड़की :शादी की बात से खुश होते हुए।अरे नही महराज हम तो ऐसे ही पूछे। हमारी होगी तो हम भी करेंगे। (बातो से लग रहा था शादी के लिए मरे जा रही हो।)फिर सवाल- दो साल हो गए बच्चा क्यों नही हो रहा जी?
लवली :शर्म से लाल। (हे भगवान !अच्छा फ़साया।पहली बार मिल रही है।एक तो छोटी और देखो कितने कॉन्फीडेंट के साथ मेरे पर्सनल सवाल पूछ रही है) बोली अभी सोचा नही है।
तभी मेरी माँ फिर से आती है।ये सवाल सुन कर वो भी बोलती है ,उस लड़की से।अब तू ही पूछअ हम त पूछ के थाक गायनी।
मेरा गुस्सा सातवे आसमान में।मैंने गुस्से में माँ से पूछा ,पूजा के लिए देर नही हो रही ? लड़की खुद को तीसमार खान समझ कर।माँ के सामने ही दूसरा सलाह दे डाला।देखिए दवाई -वावई मत खाईयेगा।लोगो को उससे बच्चा नही होता।मैं वहाँ से बिना कुछ बोले ही उठ रही थी ,कि माँ समझ गई।अब तो होगा बिस्फोट।बोली अरे नही अभी ये लोग घूम- फिर रहे है।कोई बात नही आराम से सोच लेंगे।माँ उस लड़की को क्लैरिफिकेशन दे रही थी।मैं फिर बैठ गई।मन में सोच रही थी ,चलो कम से कम इसे दवा का तो मालूम है।वरना ये तो बच्चो की लाइन लगा देगी।इस लड़की को क्या समझाऊ।यहाँ तो शादीशुदा जिनको 3 /4 बच्चे है।उन्हें भी सेल्फ प्रोटेक्शन के नाम पर सिर्फ दवा ही मालूम है।हर कोई मुझे वहाँ यही सलाह दे रहा था।बच्चे करो ,दवा मत खाना।छोटे जगह रहते हुए भी सबको फैशन का मालूम है।सारे दिन टीवी से चिपके रहती है।सीरियल का एक -एक कैरेक्टर याद है।सारे विज्ञापन की चीज़े आपके घर में है।पर क्या कभी "कॉन्डोम" का ऐड नही देखा ? मामला गर्म देख कर उसने सवाल बदला।
लड़की ;तो कहाँ रहती है ,आप ?
लवली ; गुस्से को शान्त करते हुए ,अमेरिका।
लड़की :आपकी तो माँ बोल रही थी ,बिदेश।
लवली : हँसते हुए ,तो आपके अनुसार विदेश कहाँ-कहाँ  है ?
लड़की :बिदेश त सउदिया में है ना।
लवली :ज्यादा दिमाग ना खपाने के चकर में ,हाँ।अमेरिका भी विदेश ही है।
लड़की :कितना तनखाह मिलता होगा ?
लवली :( बेटा आज तो तेरा मानसिक बलात्कार हो गया )खाने -पीने का खर्च निकल जाता है।
लड़की :दादी माँ की तरह आशीर्वाद देती हुई।अच्छा भगवान सबकी रोजी- रोटी बनाये रखे।खाने पीने तक हो जाता है और क्या चाहिए ? बाहर झाँकती हुई ,आपके हसबेंड कौन है ,बाहर बैठे लोगो में?
बबिया की माँ :अरे ऊ जे कुर्सिया पर हाफ पाइंट में नईखन बईठल इनका भाई के लगे उहे।
  लवली :उसको भगाने के इरादे से ,बबिया की माँ को बोलती है। चाची इनके घर फ़ोन कर दीजिये ? शाम 7 :30 हो रहे है। घर वाले कही परेशान होंगे ?
लड़की :समय का जान कर।अरे नही- नही अब हमलोग जायेंगे। (दिमाग तो आपका चाट लिया ,पेट नास्ते से भर लिया और क्या चाहिए ?) आप भी आइये कभी हमारे यहां। हमारे यहाँ भी कमी नही है ,किसी चीज़ की।भगवान की दया से आटा चक्की है।सेवई पेरने की मशीन भी है।जाते -जाते उसे लगा होगा अरे इसने तो मेरे बारे में कुछ पूछा ही नही ?मैं ही बता देती हूँ।तभी बबिया की माँ बोली ये लोग सिर्फ कॉलोनी में रहते है।ज्यादा किसी के यहाँ आते- जाते नही।मुझे मिलने का फिर से वादा देकर वो प्रौढ़ ज्ञान की देवी गई।मैं भुनभुनाती हुई भाई के पास गई।सारा गुस्सा उसपर निकला।वो हँस कर बोला तो वहाँ से आ जाती या मुझे बुला लेती।मैं भी बबिया के माँ की वजह से मजबूर थी।जब थोड़ा गुस्सा शांत हुआ।मन में सोचा कितनी कम उम्र में लड़कियाँ/लड़के बड़े हो जा रहे है ,आजकल।या फिर उनको बड़ा बनने का शौख हो गया है?


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