Thursday 24 December 2015

क्योकि तुम माँ हो तुम कुछ भी कर सकती हो !!!

माँ !
क्या लिखूँ तुम्हारे जन्मदिन के अवसर पर ? यही कि अब मुझे अच्छा नही लगता तुम्हारा जन्मदिन। "पच्चीस दिसम्बर" पूरी दुनिया में क्रिसमस के लिए जाना जाता है।पर हमारे लिए तो सिर्फ तुम्हारा जन्मदिन होता है ।क्रिसमस तो एक छूटी भर था।वैसे भी छोटे जगह से होने के कारण हम कहाँ क्रिसमस ट्री लगाते या सांता का इंतज़ार करते ? हमारे लिए तो तुम्हारा जन्मदिन ही त्यौहार होता।और तुम हमारी प्यारी सांता।जन्मदिन तुम्हारा होता है ,नए कपडे हमलोग पहनते।मिठाई खाते ,कॉलोनी के लोगो में बाँटते।आज भी वो सिलसिला बरकार है।पर हमलोग साथ नही।तुम्हे जन्मदिन मानना पसंद नही।फिर भी हमेशा से ना चाहते हुए भी, तुम नए कपडे पहनती हो।हर बार कहती हो कि ,अब क्या जन्मदिन मानना।मैं बूढ़ी हो गई हूँ।हर बार हमारे लिए वो सब करती हो ,जो हमें अच्छा लगता है।तुम्हे याद है एक बार मैंने तुम्हारा बाल बनाया था।अपनी ड्रेस पहना दी थी।उस वक़्त भी तुम ना चाहते हुए ,मेरी ख़ुशी के लिए वो सब कर रही थी।तुम कितनी सुन्दर लगी थी। 
मेरी और चुलबुल की हमेशा लड़ाई होती कि ,तुम किसे ज्यादा प्यार करती हो ? तुम्हारा हमेशा का फेवरेट डायलॉग तुम दोनों मेरे दोनों आँख हो।किसी एक को भी तकलीफ होगी तो दूसरा आँख रोयेगा।और चुलबुल जोश में आकर कहता तो लाओ मेरा वाला आँख मैं निकाल लेता हूँ।तुम इतनी भोली हो की तुम्हे लगता कि, सच में वो तुम्हारी आँख निकाल लेगा।तब मासूम सा चेहरा बना कर कहती ,अच्छा ठीक है निकाल लो।तुम्हारी ही माँ अंधी हो जायेगी।तुम्हे तो याद ही होगा ये तस्वीर
चुलबुल हमेशा लड़ता कहता माँ तुम मुझे प्यार नही करती।अगर करती तो थोड़ा काजल मुझे भी लगा देती।तुम्हे कुछ नही सूझता तो कहती ,अरे तुम तो ऐसे ही सुन्दर हो।या फिर स्टूडियो वाले ने दीदी को लगा दिया था।और मै तुम्हारे इस सफाई पे हँस -हँस के लोट -पोट हो जाती।माँ तुम्हार बारे में क्या लिखूँ ? मैंने तुम्हे हर रूप में देखा है।कभी एकदम कड़क तो कभी मुलायम ,कभी चिंतित तो कभी ख़ुशी में झूमती ,कभी हमसे मिलकर रोना तो कभी ना मिलने पर रोना।तुम्हारे संघर्ष के ऊपर तो एक किताब भी कम पड़ जायेगी।मैं कभी नही समझ सकती कैसे तुमने मेरा 14 साल इंतज़ार किया होगा।वो कौन सी उम्मीद रही होगी या फिर पापा का प्यार रहा होगा? पापा के ना होने की हमें कभी कमी महसूस ना होने दी।हर ख्वाहिशे पूरी की।मुझे याद है ,चार दिन का मुझे गिटार बजाने का भूत सवार हुआ।तुमने बिना कुछ कहे गिटार खरीदी दी।कभी डाटा नही की ,लड़की केवल पैसे बरबाद करती है।चुलबुल को कुछ माना भी कर दो पर मेरे लिए तुम हमेशा खड़ी रही।तुमने हर वक़्त मेरा साथ दिया ,चाहे वो पढाई हो या मेरी पर्सनल लाइफ।कही मैं गलत भी होती तो तुम और चुलबुल मुझे संभाल लेते।मेरी शादी के वक़्त सब बोल रहे थे कि ,कन्या दान जोड़े को देना चाहिए।तुम थोड़ी उदास थी ,पर मेरी ख़ुशी के लिए वो भी करने को तैयार थी।पर शायद तुम ये भूल गई थी कि ,तुमने दो जिद्दी ,शैतान बच्चो को जन्म दिया है।हमने भी कन्यादान तुमने से ही कराया।जिनको जो कहना था कहते रहे।पता है मुझे अपने शादी के एल्बम से तुम्हारी एक फोटो मिली। देखो तो जरा कौन सी माँ अपनी बेटी की शादी में जम्हाई पे जम्हाई ले रही होगी :)
 वैसे एक बात बताऊ नींद तो मुझे भी आरही थी।शतेश तो बीच में सो भी गए थे :) कमबख्त इतने सारे रिवाज़ ही होते है ,कि इन्शान थक जाये।पर मुझे ये तस्वीर देख के बहुत हँसी आई।कमीना फोटोग्राफर मेरी माँ की जम्हाई पर नज़र डाले हुए था।मुझे नही पता मैं आज क्यों तस्वीरों ,ख़यालो में ही उलझी हूँ।रात के ढाई बज रहे है।हँस रही हूँ ,रो रही हूँ ,तुम्हे याद कर रही हूँ।इस वक़्त मेरी मन की क्या दशा है ,मै खुद नही जानती।मन कर रहा उड़ के तुम्हारे पास आ जाऊँ।अगर सच में कही सांता है।तो हे सांता ! मुझे और मेरे भाई को एक ही गिफ्ट दो।मेरी माँ की अच्छी सेहत ,ऐसा ही भोलापन ,और हमारा उम्र भर का साथ।माँ मै तुम्हारे साथ ही बूढ़ी होना चाहती हूँ।सोचो दोनों आराम कुर्सी पर बैठ कर अपने -अपने बच्चो की बुराई करेंगे।सामने हमारी बचपन की तस्वीर टंगी होगी।चुलबुल अपनी छड़ी के सहारे इधर -उधर घूमता तुमसे बहस कर रहा होगा कि ,तुम दीदी को ज्यादा प्यार करती हो।मै अपने टूटे दाँत के सहारे हँसती।और तुम अपनी काँपती उँगलियों  को होठ पर रख मुझे चुप होने का इशारा करती।माँ तुमने सब इक्षायें पूरी की है।ये भी कर देना। क्योकि तुम माँ हो तुम कुछ भी कर सकती हो। कुछ भी।!

No comments:

Post a Comment