Tuesday, 19 April 2016

बिहार ,बियाह अ हमार ब्लॉगस्कोप !!!

बाइस्कोप तो नहीं है मेरे पास,पर ब्लॉगस्कोप के द्वारा ले चलते है ,आपको बिहार के बियाह में।चले से पहलइहे बता देत बानी बियाह से हसी -मजाक के उम्मीद रखेम सभनी।ना त बाद में कह देम भाक तेरी कुछु सिखहूं के ना मिलल।त चली सभनी के "इन्द्राणी निवास" बियाह के खट्टा -मीठा बात के मजा लेवे।मेरे देवर की शादी थी।बिहार के हर प्रान्त में लगभग एक जैसे ही रीति -रिवाज़ होते है।जो मुख्य रस्मे है वो बताती हूँ।बियाह की शुरुआत -सत्यनाराण की पूजा या फिर पार्थिव पूजा से होती है।फिर "हल्दी कुटाई" -जिसमे शादीशुदा औरतें कच्ची हल्दी को कूटने के बाद दूल्हे /दुल्हन को लगाती है।फिर होता है "चुमावन " इसमें दूल्हा /दुल्हन के अँजुली में पीला चावल रखा जाता है।फिर घर की औरते उसमे से चावल लेकर दूल्हा /दुल्हन के ऊपर छिड़कती है।एक फोटो चुमावन की
 ये रस्म लगभग बार -बार होता है।शादी खत्म होने तक।फिर बारी आती है "तिलक" की -इसको तो आप सभी भली -भाती जानते होंगे।कहते है ,सीता जी को उनके पिता ने गिफ्ट के तौर पे सोने -चाँदी ,हीरे -जवाहरात दिए थे।वही से ये प्रथा शुरू हुई और तिलक के नाम से समाज में स्थापित हो गई।ये राम -सीता की कहानियों ने समाज में कुछ ज्यादा ही छाप छोड़ा है।राम जी तो आये दिन मार-काट करवाते रहते है।माने कह रहे है।इस बात को दिल से नहीं दिमाग़ से लगाइए।चलिए तिलक में पहुँचते वरना खाना ख़त्म हो जायेगी।तिलक में गिफ्ट रूपी दहेज़ वधू पक्ष वाले वर पक्ष को देते है।हाई टेक जमाना है भाई ,हम सोने चाँदी के अलावा ,फ्रिज ,कूलर ,टीवी ,सोफा बेड सब देते- लेते है।समझिए अगर आपने नया घर बनवाया है ,और ब्याह लायक लड़का है, तो किसी चीज़ की खरीदारी में पैसा ना लगाए।बस बेटे का ब्याह तय कर दे।लीजिए घर सेट।बेटा का क्या है ,वो भी सेट ही समझिए।आगे बढ़ते है "मटकोर" की तरफ -इस रस्म में मिट्टी कोडने जाते है।कुछ बोने के लिए क्या ? अरे नहीं यार हर बात में लॉजिक क्यों घुसेड़ रहे हो ? मिटटी को लाके मण्डप में रखने के लिए।इस रस्म में तो भगवान् कसम औरतो की लाज लाश में बदल जाती है।ये गाली की बौछार।माने मिट्टी कोडए की समय जो गाने के रूप में गलियाँ दी जाती है पूछो मत।औरतो को इसी बहाने एक से एक गाली देने का मौका मिलता है।जिसको गाली दी जा रही होती है ,वो लड़के /लड़की की माँ ,बहन ,भाभी ,चाची ,बुआ,मौसी कोई भी हो सकती है।ये देखो चाची ने बुआ को गाली गाई तो बुआ भी कहाँ कम जबाबी गाली शुरु।कुछ औरते इधर से तो कुछ उधर से दोनों का साथ देती हुई।हँसी -ठहाकों -गालियों के बीच शायद सबके मन में यही भाव रहता हो -व्हाई शुड मेन्स हैव ऑल द फन ओ वुमनिया ओ  ओ वुमनिया।पहले बड़े घर की बहू -बेटियाँ भी शादी -ब्याह में गीत के रूप में गालियाँ गाती थी।हँसी -मजाक,छेड़ -छाड  के तौर पर।हर रस्म के बाद गीतों के रूप में एक दो गारी गई जाती थी।पर अब पढ़े -लिखे परिवार की आड़ में ये सब लुप्त होते जा रहा है।गारी तो छोड़िए अब तो लोक गीत,शादी के गीत भी लुप्त हो रहे है।मुझे खुद नहीं आता दूसरों को क्या कहूँ ? जाने दीजिये जो लुप्त हो रहा है ,होने दे।किसे फरक पड़ता है।इससे शादी तो नहीं रुक जायेगी ? तो बढ़िए आगे।पहुँचते है ,"मण्डपछाधन /मड़वा" बनाने के लिए।मंडप बाँस ,मूंज (झोपडी की घास),केले के पेड़ ,आम की पत्तियों से बनाया जाता है।ये दुल्हन के घर बनता है।जहाँ ब्याह की रस्मे होंगी।मंडप के बीच हरीश (हल जोतने के काम आता है ) लगाया जाता है।शायद इसका कारण हो दोनों का जीवन हरे -भरे खेत जैसा हो।फिर बात आती है "परिछावन" की।बारात निकल रही है।घर की औरते दूल्हे को बुरी नज़र से बचाने के लिए परिछावन करती है।होता क्या है -आटे के छोटे -छोटे टुकड़े रखे होते है ,उसके साथ कुमकुम ,हल्दी ,दियाऔर एक लोढ़ा रखा रहता है।लोढ़ा मसाला पीसने के काम आता है।अरे वही जो सिलबट्टे के सिर पे चढ़ा रहता है,देखा नहीं क्या ? हाँ तो ,बारी -बारी से धकामुकी के बीच औरते दूल्हे को टीका करती है।आरती दिखती है।आटे के गोले को तोड़ कर दूल्हे के सिर के ऊपर से फेंकती है।अब बारी आती है लोढ़े की ,उसे दूल्हे के दोनों गालों से छुआया जाता है।मुझे इसका लॉजिक नहीं मालूम।हो सकता हो इस लोढ़े का गुण सामने खड़े लोढे को ट्रांसफर किया जाता हो :P जा तू आज से लोढ़ा बन ,पत्नी के सिर पर बैठे रहना :) दोनों एक दूसरे की खुशी ,दुःख में एक साथ पीसते रहना।एक के बिना दूसरा किसी काम का नहीं चलेगा।खाली पत्थर रह जायेगा।परछावन की बात हो तो नेग भला क्यों पीछे रहे।सच मानिये तो बियाह नेग ,गीत -संगीत ,हँसी -मजाक़और लोगो के बिना फीका ही लगता होगा।आप किसी काम में हो तभी कोई चिल्लाएगा ,अरे भाभी कहा बाड़ी जी ? काहे लुकाइल बाड़ी नेग दी।अभी तो ये आर्केस्ट्रा वाले की आवाज थी।हजामीन (ठाकुर की पत्नी ,शोले के ठाकुर की नहीं बाबा ,अंग्रेजो बार्बर की वाइफ ) को अगर आपने गलती से 50 /100 का नोट दिया ,हजामीन हाथ चमका कर बोलेगी राखी रउरे।कहाए के लईका के भाभी अउरी 50 /100 रुपया दे तानी।हजामीन के तो इतने नेग थे कि, मैंने और दीदी ने उसे पटा लिया था।मैंने कहा बार -बार का लेम ? शादी के अंत में एके बार दुनो के तरफ से 1000 रूपये ले लेम।दीदी मुझे बोलती है ,तपस्या तुम सच में पागल हो 500 बोलना था ना।मैंने कहा वही तो किया 500 आपकी तरफ से 500 मेरी तरफ से।दीदी ने सिर पकड़ लिया :) फिर आई विडिओ ग्राफी वाले के बारी -मुझसे कहता है ,भाभी है ना जी आप।आपसे तो 1000 से कम नहीं लूँगा।इनलोगो को लोग बता देते है ,कौन भाभी है ,कोन माँ कौन मौसी।मैंने दीदी की तरफ देखा और 100 रूपये दिए।वो बोला आपसे तो 1000 के नीचे नहीं लूँगा।आप तो अमेरिका रहती है।मेरा एक तो अमेरिका -अमेरिका सुन के दिमाग का दही हुआ था।इसने फिर से साँप के बिल में हाथ दाल दी।मैंने 100 रुपया भी पर्स में रख लिया।बोला आप ही थे ना ,मेरे शादी के विडिओ कैसेट बनाने वाले ? इतना बेकार वीडिओ कैसेट मैंने देखा नहीं।वो थोड़ा सकपकाया बोला ,हुआ क्या था कैसेट में ? मैंने कहा हर जगह आप मुझसे दुश्मनी निकाल रहे है।कही मुझे झरने से गिरा रहे है ,कही दिल बना कर चक्कर लगवा रहे है।कभी फूल के बीच में कैद कर दिया ,तो कही शतेश के आगे पीछे -ऊपर -नीचे करवा रहे है।ये बताइए शादी बिहार में हुई थी ना ? तो कैसेट में कंगारू ,मैपल ट्री ,बर्फ ,एयरोप्लेन कहाँ से आ गया ? ऊपर से गाने तो आपने ऐसे डाले है ,कि सुन कर कैसेट बंद करने को जी चाहता है।आपको ढंग का एक भी भोजपुरी गीत नहीं मिला ? भोजपुरी शादी और भर -भर के फ़िल्मी गाने ठूस दिया।गाने भी वही ,आज मेरे यार की शादी है ,पापा मै छोटी से बड़ी हो गई , सात फेरो के सतो बचन।इसकी जगह आप जबतक पुरे ना हो फेरे सात नहीं डाल सकते ? भाई वो तो घबड़ा गया।बोला देखिये ये सब मिक्सिंग वाले की गलती है।आप गुस्साये मत।मत दीजिये पैसा।और भाग गया।बारात चली गई।वर पक्ष के यहाँ रात को खाने -पीने के बाद "डोमकच" होता है।जिसमे औरते ,लड़कियाँ लगभग रात भर नाचती -गाती है।मुझे नहीं मालूम इसका नाम डोमकच क्यों पड़ा ? शायद डोम जाती के शोर शराबे से जोड़ा गया हो।वो क्या है ना ,बिहार में पहले नीची जाती वाले शाम को शराब पी के या यूँ भी हल्ला -हंगामा करने लगते थे।सो किसी ने इसी से जोड़कर नाम रख दिया होगा।कृपया इसे ऑफेंसिव ना समझे।उधर वधू पक्ष के यहाँ मंत्री पूजन होता है ,बारात के पहुँचने पर।जिसमे दुल्हन के घर के बुजुर्ग पूजा पर दूल्हे के साथ बैठते है।फिर होता है "जयमाला "जो आप सब अच्छी तरह से जानते ही है।ये रस्म कम फोटोसेशन ज्यादा होता है।इसके बाद "गुरहथनी या भसुर निरक्षण" होता है।पहले तो ये बता दूँ ,ये भसुर कोई दैत्य लोक का नहीं ,दूल्हे का बड़ा भाई होता है।मुझे सारे रिश्तों के नाम में ये मज़ेदार लगता है।मानो भैसासुर :) ये रस्म दूल्हे का बड़ा भाई अपना या चचेरा कोई भी कर सकता है।बस उम्र में दूल्हे से बड़ा होना चाहिए।इस रस्म में वो दुल्हन को गिफ्ट के रूप में गहने ,कपड़े ,श्रृंगार के सामान आदि देता है।साथ ही जहाँ लड़का लड़की को मंगलसूत्र पहना है ,वैसे ही एक ताग -पात ढ़ोलना होता है ,जो भसुर दुल्हन के सिर पर रखता है।भसुर का नियम बड़ा ही कठोर है।उसे अपनी भावे यानि दुल्हन से दूर -दूर रहना होता है।माने एक दूसरे से टच नहीं होना चाहिए ,एक बेड पर बैठना नहीं और भी बहुत कुछ।थैंकफूली मेरे भसुर यानि बड़े भईया बहुत कूल है।कहते है जिस कमरे में है उसकी जमींन तो एक ही है ,इसका क्या करें।अब आते है दो दुश्मन आमने -सामने ढंग से।माने दूल्हा -दुल्हन।3 /4 घंटे की फुर्सत।बाकी लोग खा -पी आर्केस्टा देखते है ,या सोते है।ये दोनों और कुछ औरते रात जगा करती है ,विवाह सम्पन होने तक।  "कन्यादान" होता है ,सबसे इमोशनल समय।पिता अपने दायां में लड़की की माँ का दायां हाथ लेता है ,उसके ऊपर दूल्हे का दायां हाथ और सबसे ऊपर दुल्हन का दायां हाथ सबको कवर किये हुए।औरते भी इस वक़्त इतने रुलाने वाले गीत गाती है कि कोई भी रो दे।ओह! मै इमोशनल हो रही हूँ।पिता और माँ अपनी बेटी का दान कर मंडप से चले जाते है।विवाह आगे फेरो और सिंदूर दान से सम्पन होता है।फेरा तो आप सब को मालूम ही होगा।इसमें 7 वचन होते है जो मुझे ठीक से याद नहीं।फिल्मों में दिखाते रहते है ना देख लीजिएगा।मुझे बस एक ही याद है ,जिसकी हामी के लिए शतेश मान नहीं रहे थे -मैं कोई लेन -देन ,अपने घर के कार्यो में या किसी को कुछ देने या खर्च से पूर्व अपनी पत्नी से सलाह लूँगा।पंडित जी ने जब ये बोल तो शतेश बोले सब के लिए हाँ है ,पर ये थोड़ा मुश्किल है।मुझे कुछ लेना हो और तपस्या ने मना कर दिया तो ? पंडित हैरान हँस के बोले अरे बाबू अभी बोल दीजिये ना।मेरे मामा का लड़का ,मेरे चचेरे भाई और मेरा भाई बोले ना पंडित जी जब ले ठीक से हाँ ना कहिये आगे के वचन ना होइ :) बेचारे शतेश को बहुमत और मेरे भाईयो के आगे झुकना पड़ा।सिंदूरदान हुआ ,बियाह ख़त्म।कुलदेवता का आशीर्वाद ले ,कोहबर घर में (पूजा घर ) बड़ो का आशीर्वाद ले।दुल्हन की विदाई हुई।मायका सुनसान हो गया और ससुराल में रौनक आ गई।फिर ससुराल में मुँह दिखाई सबसे अनकम्फर्टेबल रस्म।जिसमे सब दुल्हन को देखते है ,और गिफ्ट देते है।लास्ट बट नॉट लिस्ट चौठारी -इसमें अपने कुलदेवता ,ग्राम देवता सबको जाके लड़के की माँ प्रणाम करती है ,कि हे देव लोग आपकी कृपा से ब्याह संपन्न हुआ।हे देवताअपना आशीर्वाद बनाए रखना।



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