Tuesday, 26 April 2016

KHATTI-MITHI: शाम की सैर और ग़ालिब का ख़ुमार !!!

KHATTI-MITHI: शाम की सैर और ग़ालिब का ख़ुमार !!!: तपस्या - हाथ खींचती हुई ,चलो तो कुछ नहीं होता।एक -आध बार तो जा ही सकते है। शतेश - देखो तो कौन जा रहा है उधर ?जिनको भी जाना होता है उस तरफ...

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