Tuesday 4 April 2017

किशोरी अमोनकर जी की यादें !!!!

"किशोरी अमोनकर "जी हमारे बीच नही रही।ये दुखद खबर सुनते ही सबसे पहले भाई का ख़्याल आया। सोच रही थी , दुःखी होगा ख़बर सुनकर।बात करती हूँ, पर मीर मस्ताना की वजह से कॉल नही कर पाई।देर रात उसको कॉल लगाया पर लगा नही।फ़ोन हाथ में था ,और मन नेहरू पार्क में। हाँ वहीं दिल्ली का नेहरू पार्क।जहाँ पहली बार मुझे किशोरी अमोनकर जी को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हुआ यूँ था ,"स्पीक मैके " की तरफ से "म्यूजिक इन पार्क " आयोजित किया गया था। इस प्रोग्राम में काफी बड़े -बड़े कलाकार अपनी प्रस्तुति दे रहे थे।पर नौकरी और  महरौली से नेहरू पार्क की दुरी ,इनके चक्कर में हम भाई -बहन कुछ ही प्रोग्राम के साक्षी बने।नेहरू पार्क के लिए मेहरौली से कोई डायरेक्ट बस भी नही थी।ऑटो वाले हमारी मज़बूरी का फायदा उठाने की कोशिश करते। कहते भाई साहब शाम का समय है ,उधर से सवारी नही मिलेगी।खाली आना होगा ,ज्यादा नही माँग रहे। हमलोगों ने तय किया कि कोई बात नही हम जायेंगे बस बदल -बदल कर। आते समय ऑटो कर लेंगे।इन प्रोग्राम में आने -जाने की स्टोरी भी बहुत मज़ेदार है। कभी और लिखूंगी ,अभी किशोरी जी के बात की जाय।हमलोग  नेहरू पार्क पहुँच गए। पार्क के एक कोने में एक स्टेज बना था।स्रोतागण के लिए एक तरफ दरी और दूसरी तरफ कुर्सी लगी थी।स्वेक्षा से कोई कही भी बैठ सकता था। हमलोग थोड़ी देर से पहुंचे थे। आगे की लाइन भर गई थी।कुछ कुर्सियां खाली थी ,पर भाई बोला नही दरी पर ही बैठते है।हमलोग पीछे जा के बैठ गए।अब तक किशोरी जी स्टेज पर नही आई थीं।थोड़ी देर बाद अनाउंस हुआ -जानी मानी ख़्याल ,ठुमरी भजन गायिका  किशोरों अमोनकर  जी स्टेज पर आ रही है।इनके बारे में जितना कहा जाय कम होगा। और भी बहुत कुछ जो और अंत में स्वागत कीजिये पद्म भूषण किशोरी अमोनकर हमारी किशोरी ताई जी का। मैं बहुत एक्ससिटेड हो गई।पहली बार किसी कलासिकल प्रोग्राम को लाइव सुनने जा रही थी।बहुत -बहुत प्यार मेरे भाई ,तुम्हारी वज़ह से मैंने कितने अच्छे पल जिए है।ख़ैर किशोरी जी ने गाना शुरू किया।हमलोग तक आवाज़ ठीक से पहुँच नही रही थी।शायद उनको भी माइक्रोफोन में कुछ गड़बड़ी लग थी थी।उन्होंने प्रोग्राम अरेंज कराने वाले को माइक ठीक करने को कहा। तबतक मेरा भाई उठकर आगे कुछ जगह ढूंढ आया बैठने के लिए।आकर बोला चलो दीदी ,आगे जगह है।हमलोग आगे जाके बैठ गए।इसी बीच  माइक भी ठीक हो गया था ,पर किशोरी जी झल्ला गई थी। बोली समय बर्बाद कर दिया। खैर उन्होंने पानी पिया और गाना शुरू किया।सच बताऊँ तो मुझे कुछ समझ नही आ रहा था।आवाज़ भी इतनी कुछ ख़ास नही लग रही थी।मैंने भाई से धीरे से कहा -इनकी तुम इतनी तारीफ करते हो। मुझे तो कुछ ख़ास नही लग रहा। भाई बोला लगता है "ताई " की आवाज़ थोड़ी ख़राब है आज।राग भी कठिन छेड़ा है इसलिए तुम्हे अच्छा नही लग रहा। सुनो बाद में बताऊंगा।हमलोग सुनने लगे।किशोरी जी को गाते कुछ समय ही हुआ होगा ,कि उन्होंने सामने लाइव वीडियो बनाने वाले को डाँटा। विडियो शायद प्रोग्राम की मेमोरी के लिए बनाया जा रहा था।वीडियो वाला बोला -मैडम ये प्रोग्राम कराने वाले बनवा रहे है। किशोरी जी ने कहा ,मुझे इससे कोई मतलब नही। विडियो बंद करो ,वरना मैं गाऊँगी नही।कुछ लोग आवाज़ सुनकर ,बैक स्टेज से आगे आये।वीडियो बंद किया गया।तब जाके किशोरी जी ने गाना शुरू किया।इसी बीच मैंने भाई को कहा -गाती तो कुछ ख़ास नही। ड्रामा कितना है।बात -बात पे झल्ला जा रहीं है। ड्रामा शब्द सुनकर मेरा भाई मुझपर बिगड़ गया। बोला चुपचाप सुनो।समझ नही आता क्या बोलना चाहिए। किशोरी जी थोड़ा गुस्सा कर जाती है ,पर हर आर्टिस्ट का अपना स्वभाव होता है। इनको चलता - फिरता ऑडियंस नही पसंद। रास्ते में इनके बारे में बताऊँगा।फिलहाल प्रोग्राम शुरू हो गया।सुनो ध्यान से ,और वो सुनने लगा। जानकारी के आभाव में काफी देर बाद मुझे अच्छा लगना शुरू हुआ। या यूँ कहे तो प्रोग्राम ख़त्म होने के  20 /25  मिनट पहले से। घर आते वक़्त भाई ने किशोरी जी की कई बातें बताई। मसलन -उनकी आवाज़ चली गई थी जो  बाद में काफी ईलाज़ के बाद आई। किशोरी जी कई प्रोग्राम को बीच में छोड़ के चली गई है ,अगर ऑडिशन्स उनके मन लायक नही हो तो।हर प्रोग्राम में भी नही जाती। अपनी माँ जो उनकी पहली गुरु थी ,उनकी वज़ह से इन्होंने फिल्मों में गाना बंद कर दिया। वैसे तो किशोरी जी की शुरुआत तो जयपुर घराने से हुई थी ,पर उन्होंने ख़ुद को किसी घराने से नही बाँधा।वो कहती थी घराना कुछ नही है। बस संगीत ही सब कुछ है। इसे किसी बंधन में ना बाँधा जाय। आज आप हमारे बीच नही रही ,पर आपका संगीत हमेशा -हमेशा हमारे बीच रहेगा ताई। नेहरू पार्क की अपनी अज्ञानता के लिए मैं शर्मिंदा हूँ। माँ सरस्वती की कृपा ही रही जो मुझे आपको सुनने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। कोटि-कोटि प्रणाम आपको।

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