गाय माता कल न्यूज़ में पढ़ा ,आपके डकार से पृथ्वी को खतरा है।आपके डकार से कुछ गैस -गुस निकलता है। वहीं है खतरे का कारण। हे गाय माता ! माफ़ करना ,आपने तो हर तरफ से खलबली मचाई हुई है।क्या आपको मालूम है इस बात का ? आप क्यों भोली -भाली गाय बनी है ? अपना मरखाह वाला रूप दिखाना शुरू कीजिये ना।जो मारे आपको उसको भी मारिये और जो बचाने का खेल खेल रहे है उन्हें भी ।आपको याद है ,बचपन में खेलते हुए हमलोग कहते थे -गाय हमारी माता है ,हमको कुछ नहीं आता है।आज ये बात कितनी सार्थक लग रही है ना। आपके बारे में सच में हमें कुछ नहीं आता।खैर मरना तो सबको है ,पर माँ कहके जरिया आपको बना रहे है। वही धक से लगता है। माँ और मौत का खेल आह । खैर जो है सो तो है ही। राम जी गाड़ी वाले तो गाड़ी हाँक ही रहे है। सब देख रहे है। चलिए माता कबीर जी को सुने।आपको भी शांति मिलेगी।
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