इधर कई महीनों से मैं अकेली हीं घूम रही हूँ आपलोग पीछे छूटते जा रहें है। तो चलिए आज “विस्कॉन्सिन राज्य” के “मिल्वॉकी” शहर की सैर पर चलते है।
लेक मिशिगन के पश्चमी छोर पर बसा ये शहर मुझे बड़ा ख़ूबसूरत लगा। इसकी ख़ूबसूरती मुझे सबसे अलग इस मामले में लगी कि, शहर का एक भाग बहुत पुराना है तो दूसरा चमचमता। मानो दो सदी को आप एक साथ देख रहे हो। सड़के यहाँ की उतनी ठीक नही कारण यहाँ बर्फ़ बहुत पड़ती है। साथ ही कई इमारतों की मरम्मत भी हो रही थी जो कि, ठंड आने के पहले की तैयारी जैसी लग रही थी।
हमलोग यहाँ “जुलाई पाँच” को गए थे। उस वक़्त यहाँ सालाना होने वाला म्यूज़िक फ़ेस्टिवल चल रहा था। जिसने मानो शहर भर में रौनक भर दिया हो। ग्यारह दिन चलने वाला ये फ़ेस्टिवल पूरे दिन चलते रहता है। शाम को छः बजे इसका समापन होता है। तो हमने सोचा पहले बाक़ी की चीज़ें जैसे “आर्ट म्यूजीयम” “हार्ली डेविड्सॉन म्यूजीयम ” और “मिल्वॉकी पब्लिक मार्केट” घूम ले फिर आराम से संगीत का आनंद लिया जाए।
शिकागो से हमलोग हार्ली- डेविड्सॉन म्यूज़ीयम का अड्रेस लगाकर निकले। क़रीब डेढ़ घंटा का सफ़र था। शहर में पहुँच कर हमने सबसे पहले एक गुजराती रेस्ट्रोरेंट में पेट पूजा की। पर ना तो इसमें पूजा का कही पता था ना पेट का। खाना बड़ा बेकार । पानी पी -पी कर कुछ कौर अंदर भेजा और निकल पड़े मोटर साईकिल की भीड़ में।
हार्ली- डेविड्सॉन म्यूज़ीयम में तीन तरह की टिकेट मिल रही थी। पहला ऑडीओ गाइड $4 , दूसरा हाइलायट टूर $8 पर पर्सन और तीसरा पूरे म्यूज़ीयम का टूर $22 पर पर्सन।
हमारे पास सिर्फ़ एक दिन था घुमने को तो हमने तीन घंटा यही ना बिताना का सोच कर हाइलायट टूर किया। अंदर कुछ गाड़ी और उसके अस्थि -पंजर , कुछ तस्वीरें, कुछ ड्राइवर के कपड़े और कई सारी पुरानी नई गाड़ी रखी थी। यहाँ कुछ हमने डेढ़ घंटा बिताया और फिर निकल पड़े आर्ट म्यूज़ीयम की तरफ़।
आर्ट म्यूज़ीयम यहाँ से बाई कार कुछ बीस मिनट की दूरी पर है। इसकी पार्किंग आज म्यूज़िक फ़ेस्टिवल को लेकर बड़ी महँगी थी। $35 पूरे दिन की। हमारा तो लगभग आधा दिन कट गया था। आधे के लिए इतना देना मुझे ठीक नही लग रहा था। मैंने शतेश को गाड़ी मुड़ाने को कहा। ये थोड़े झल्लाए कि ये भी पार्किंग चली जाएगी तुम्हारी बचत के फेर में। पर मैंने कहा कोई बात नही थोड़ा आस-पास देख तो ले, नही कहीं पार्किंग मिला तो ठीक है दूर हीं कहीं पार्क करके आयेंगे। और देखिए हमारी ख़ुशक़िस्मती की, ठीक इस म्यूज़ीयम के पीछे $10 की पार्किन मिल गई। थोड़ा पीछे होने से शायद लोगों को इस पार्किंग का मालूम कम था। यहाँ कई जगह भी ख़ाली थी। मेरा तो मन कर रहा था मैं उस पार्किंग के गेट के पास खड़े होकर लोगों को बताऊँ की पीछे चले जाओ। उधर जगह भी है और सस्ता पार्किंग भी।
ख़ैर यहाँ से गाड़ी पार्क कर हमलोग पीछे के रास्ते आर्ट म्यूज़ीयम पहुँचे। चिड़िया के पंख सा बना ये म्यूज़ीयम बड़ा हीं सुंदर था अंदर से। वैसे ऐसी ठीक आकृति न्यू यॉर्क के 9/11 मेमोरीयल की भी बनी है। इसका टिकेट पर पर्सन $19 है। तीन-साढ़े तीन घंटा काफ़ी है इसे देखने के लिए। बाक़ी आप कला प्रेमी है तो पूरा दिन भी गुज़ार सकतें है।
मुझे यहाँ के “ग्लास वाले आर्ट “ ज़्यादा अच्छे लगे। साथ हीं ऐसा मैंने यहाँ बहुत कम हीं देखा था। बाक़ी सब दूसरे आर्ट म्यूज़ीयम जैसा हीं था। कुछ पेंटिंग, कुछ लोहे के ड्रेस या मुखौटा, कुछ लकड़ी और पत्थर के आर्ट, कुछ रेड अमेरिकन कल्चर की चीज़ें आदि।
इस बिल्डिंग की ख़ास बात ये थी कि, इसके अंदर की दीवारें बिल्कुल सफ़ेद दूधिया सी और इनसे जुड़े शीशे सी ग्रीन से। साथ ही बाहर लेक का नज़ारा एक अद्भुत वातावरण बना रहा था। ऐसा लग रहा था अंदर और बाहर आप समुन्दर के बीच खेल रहे हो।
यहाँ पर खाने-पीने की अच्छी सुविधा थी। बक़ायदा ऊपर नीचे फ़्लोर पर रेस्ट्रोरेंट खुले थे। हमने तो सिर्फ़ कॉफ़ी और ओनियन रिंग ली। आराम से कॉफ़ी को चाय समझ चुस्की लेते रहे और बाहर देखते रहें। सत्यार्थ सामने सोफ़ा पर कूदता रहा, ओनियन रिंग कुतरता रहा......
आज आप लोग भी यहीं आराम करें, कल आगे.....
लेक मिशिगन के पश्चमी छोर पर बसा ये शहर मुझे बड़ा ख़ूबसूरत लगा। इसकी ख़ूबसूरती मुझे सबसे अलग इस मामले में लगी कि, शहर का एक भाग बहुत पुराना है तो दूसरा चमचमता। मानो दो सदी को आप एक साथ देख रहे हो। सड़के यहाँ की उतनी ठीक नही कारण यहाँ बर्फ़ बहुत पड़ती है। साथ ही कई इमारतों की मरम्मत भी हो रही थी जो कि, ठंड आने के पहले की तैयारी जैसी लग रही थी।
हमलोग यहाँ “जुलाई पाँच” को गए थे। उस वक़्त यहाँ सालाना होने वाला म्यूज़िक फ़ेस्टिवल चल रहा था। जिसने मानो शहर भर में रौनक भर दिया हो। ग्यारह दिन चलने वाला ये फ़ेस्टिवल पूरे दिन चलते रहता है। शाम को छः बजे इसका समापन होता है। तो हमने सोचा पहले बाक़ी की चीज़ें जैसे “आर्ट म्यूजीयम” “हार्ली डेविड्सॉन म्यूजीयम ” और “मिल्वॉकी पब्लिक मार्केट” घूम ले फिर आराम से संगीत का आनंद लिया जाए।
शिकागो से हमलोग हार्ली- डेविड्सॉन म्यूज़ीयम का अड्रेस लगाकर निकले। क़रीब डेढ़ घंटा का सफ़र था। शहर में पहुँच कर हमने सबसे पहले एक गुजराती रेस्ट्रोरेंट में पेट पूजा की। पर ना तो इसमें पूजा का कही पता था ना पेट का। खाना बड़ा बेकार । पानी पी -पी कर कुछ कौर अंदर भेजा और निकल पड़े मोटर साईकिल की भीड़ में।
हार्ली- डेविड्सॉन म्यूज़ीयम में तीन तरह की टिकेट मिल रही थी। पहला ऑडीओ गाइड $4 , दूसरा हाइलायट टूर $8 पर पर्सन और तीसरा पूरे म्यूज़ीयम का टूर $22 पर पर्सन।
हमारे पास सिर्फ़ एक दिन था घुमने को तो हमने तीन घंटा यही ना बिताना का सोच कर हाइलायट टूर किया। अंदर कुछ गाड़ी और उसके अस्थि -पंजर , कुछ तस्वीरें, कुछ ड्राइवर के कपड़े और कई सारी पुरानी नई गाड़ी रखी थी। यहाँ कुछ हमने डेढ़ घंटा बिताया और फिर निकल पड़े आर्ट म्यूज़ीयम की तरफ़।
आर्ट म्यूज़ीयम यहाँ से बाई कार कुछ बीस मिनट की दूरी पर है। इसकी पार्किंग आज म्यूज़िक फ़ेस्टिवल को लेकर बड़ी महँगी थी। $35 पूरे दिन की। हमारा तो लगभग आधा दिन कट गया था। आधे के लिए इतना देना मुझे ठीक नही लग रहा था। मैंने शतेश को गाड़ी मुड़ाने को कहा। ये थोड़े झल्लाए कि ये भी पार्किंग चली जाएगी तुम्हारी बचत के फेर में। पर मैंने कहा कोई बात नही थोड़ा आस-पास देख तो ले, नही कहीं पार्किंग मिला तो ठीक है दूर हीं कहीं पार्क करके आयेंगे। और देखिए हमारी ख़ुशक़िस्मती की, ठीक इस म्यूज़ीयम के पीछे $10 की पार्किन मिल गई। थोड़ा पीछे होने से शायद लोगों को इस पार्किंग का मालूम कम था। यहाँ कई जगह भी ख़ाली थी। मेरा तो मन कर रहा था मैं उस पार्किंग के गेट के पास खड़े होकर लोगों को बताऊँ की पीछे चले जाओ। उधर जगह भी है और सस्ता पार्किंग भी।
ख़ैर यहाँ से गाड़ी पार्क कर हमलोग पीछे के रास्ते आर्ट म्यूज़ीयम पहुँचे। चिड़िया के पंख सा बना ये म्यूज़ीयम बड़ा हीं सुंदर था अंदर से। वैसे ऐसी ठीक आकृति न्यू यॉर्क के 9/11 मेमोरीयल की भी बनी है। इसका टिकेट पर पर्सन $19 है। तीन-साढ़े तीन घंटा काफ़ी है इसे देखने के लिए। बाक़ी आप कला प्रेमी है तो पूरा दिन भी गुज़ार सकतें है।
मुझे यहाँ के “ग्लास वाले आर्ट “ ज़्यादा अच्छे लगे। साथ हीं ऐसा मैंने यहाँ बहुत कम हीं देखा था। बाक़ी सब दूसरे आर्ट म्यूज़ीयम जैसा हीं था। कुछ पेंटिंग, कुछ लोहे के ड्रेस या मुखौटा, कुछ लकड़ी और पत्थर के आर्ट, कुछ रेड अमेरिकन कल्चर की चीज़ें आदि।
इस बिल्डिंग की ख़ास बात ये थी कि, इसके अंदर की दीवारें बिल्कुल सफ़ेद दूधिया सी और इनसे जुड़े शीशे सी ग्रीन से। साथ ही बाहर लेक का नज़ारा एक अद्भुत वातावरण बना रहा था। ऐसा लग रहा था अंदर और बाहर आप समुन्दर के बीच खेल रहे हो।
यहाँ पर खाने-पीने की अच्छी सुविधा थी। बक़ायदा ऊपर नीचे फ़्लोर पर रेस्ट्रोरेंट खुले थे। हमने तो सिर्फ़ कॉफ़ी और ओनियन रिंग ली। आराम से कॉफ़ी को चाय समझ चुस्की लेते रहे और बाहर देखते रहें। सत्यार्थ सामने सोफ़ा पर कूदता रहा, ओनियन रिंग कुतरता रहा......
आज आप लोग भी यहीं आराम करें, कल आगे.....
No comments:
Post a Comment