Friday 13 September 2019

मिलवाकी आगे की यात्रा !!!

पितरपक्ष शुरू हो इससे पहले मैं अपनी मिल्वॉकी का सफर आपके साथ पूरा कर लूँ। कारण इस ट्रिप पर भी हमने साईकिल की सवारी की और इसे करते समय आचानक मैं गुनगुनाने लगी “ पिया मेंहदी लिया द मोती झील से जाके साईकिल से ना”
पिया मेरे, मुझ नादान पर हँसे की,
 “सुनअ हमरी तपस्या ! रानी हमरी तपस्या, माँग बड़ा बा जी राउर अजीब जी, ई त लेक मिशिगन जी ना “

तो भादो की मेंहदी के साथ आगे बढ़ते हैं। आर्ट म्यूजियम से निकल कर हमलोग डाउनटाउन की तरफ़ चल पड़े। पैदल चल सकतें हों तो, सबकुछ क़दम नापने की दूरी भर था। आर्ट म्यूजियम के ठीक सामने “बरुइंग हाउस” था जो आज बंद था। यहाँ का डाउनटाउन पुराने नए बिल्डिंग और कुछ आर्ट पिसेज से सज़ा था। साथ हीं यहाँ के बैंक की बिल्डिंग बड़ी ख़ूबसूरत-ख़ूबसूरत थी। कई तो महल जैसी।

डाउनटाउन के बाद हमलोग “पब्लिक मार्केट” गए। एक छत के नीचे तमाम खाने-पीने की चीज़ें पर वेज के आइटम काफ़ी कम। यहाँ हमने बहुत कम समय गुजारा। बस एक चक्कर भर मुश्किल से लगा पाए, कारण सत्यार्थ भीड़ और कम जगह की वजह से परेशान कर रहा था। बाहर निकल कर हम डंकीन डोनट पहुँचे। वहाँ फिर से कॉफ़ी और हैस ब्राउन लिया। थोड़ा सिर दुखने लगा था। एक छोटे से कॉफ़ी -पान के ब्रेक के बाद हम आगे की ओर निकल पड़े।
घड़ी पर नज़र गई तो स्मार्ट रानी आज अभी हीं, सोलह हज़ार कुछ क़दम बता चुकी थी। सत्यार्थ भी थक कर सो गया था।

हमलोग  “समरफ़ेस्ट” के लिए रास्ता ले चुके थे। ये एक सालाना होने वाला म्यूजिक फ़ेस्टिवल था। जैसा कि कल मैंने बताया था। यहाँ टिकेट $23 पर पर्सन। बच्चे की इंटरी फ़्री थी पर उनका स्ट्रोलर लेना था अलग से । जिसका रेंट अलग से  $20 लग रहा था।
मैं टिकेट काउंटर से कुछ दूर खड़ी थी। शतेश मुझसे पूछने आए कि क्या करना है स्ट्रोलर का ?  तभी एक पतला -दुबला अफ़्रीकन-अमेरिकन आदमी आया “क्या आपको इंटरी टिकेट चाहिए ? “
इन्होंने पूछा कितने का ?
जबाब मिला बीस डॉलर का। और इस तरह हमने अमेरिका में पहली बार ब्लैक टिकेट ख़रीदा। साथ ही इंटरी गेट पर हमने अपने स्ट्रोलर का साईज छोटा बता कर उसे अंदर ले जाने की अनुमति भी ले ली।

 अंदर लोग हीं लोग। कई जगह स्टेज बने थे। खाने-पीने के स्टोल के साथ बच्चों के कुछ गेम भी थे। सामने लेक में एक बड़ी सी गुलाबी यूनिकॉर्न तैर रही थी। आज शुक्रवार होने की छः बजे तक हीं संगीत का प्रोग्राम था। उसके बाद आप यूँ ही मेला घूमिए। कुछ लोकल आर्टिस्ट को सुनिए। हमने डेढ़-दो घंटा यहाँ बिताया और फिर निकल पड़े गाड़ी पार्किंग की तरफ़।
बाहर निकलने कर पैदल जाते समय एक आदमी इसी मेला का $14 का टिकेट बेच रहा था :)
हम लेक के किनारे बने पवमेंट से गुज़रते हुए यहीं बात करते जा रहें थे की आख़िर इस मेला का सही टिकेट कितने का होगा? इस आदमी ने कितने में लिया होगा ? उसे इस कम क़ीमत पर क्या फ़्यादा होगा वैगरा -वैगरा...
तभी हमारी नज़र इस पवमेंट से गुज़रती कुछ साईकिल पर पड़ी।

अभी अंधेरा नही हुआ था। साथ हीं हमारे पास समय भी था तो सोचा होटेल जाने से अच्छा साईकिल की सवारी कर लिया जाए। हालाँकि जब हम साईकिल रेंट करने पहुँचे तो मालूम हुआ की ये लास्ट ट्रिप है और 45 मिनट के अंदर हमें साईकिल लौटानी होगी। कारण आठ बजे इनका दुकान बंद हो जाता है।
मज़े की बात ये कि ये दुकान सिर्फ़ तीन लड़कियाँ संभाल रही थी। साईकिल निकालना, स्टैंड में लगाना, दुकान में रखना सब यहीं कर रही थी।

वैसे अंतिम यात्री होने की वजह से हमें साईकिल आधे क़ीमत पर रेंट पर मिल गई। पूरे दिन का किराया कुछ $28 था। हमें $14 में मिली गई।
वैसे हर तरह की साईकिल की रेंट अलग थी। इनके पास पाँच लोगों को एक साथ चलाने वाली तक साईकिल थी।

और इस तरह साईकिल से उतर कर हम कार तक पहुँचे। डाउन टाउन से थोड़ी दूर एक हिंदुस्तानी रेस्तराँ में ज़बरदस्त खाना खाया और होटेल पहुँच गए। अब आप भी आराम कीजिए। तस्वीरों के साथ आँखों से सैर कीजिए:) 

No comments:

Post a Comment