जैसा की मैंने वोट काउंटिंग के दिन बताया था कि स्वामी का मन बड़ा प्रसन्न है, यात्रा हमारी सुखद होने वाली है और ऐसा ही हुआ। तीन दिन की छुट्टी थी। हमने “फ़्लॉरिडा के पेंसाकोला बीच “ जाने का प्लान किया। हमारे यहाँ से पेंसाकोला की दूरी 750 माइल है। इतनी दूरी गाड़ी से तय करने में कुछ साढ़े दस से ग्यारह घंटे लगते। हमने ने रुकते-रुकाते जाने का प्लान बनाया था।
शुक्रवार की दोपहर से यात्रा प्रारम्भ हुई। बीच में एक -आध छोटे कोफ़ी -पानी ब्रेक के बाद, हमलोग छः घंटे की दूरी पर “हनट्सविल अलबमा” में रात को रुकें। हमने होटेल और आस-पास घूमने की जगह पहले से हीं बूक और तय करके रखा था।
नश्विल में रुक कर हमने खाना पैक करा लिया था। होटेल का गुजराती मालिक जबतक खाना पैक होता तबतक मोदी का गुणगान करने लगा। बिहार की राजनीति जाननी चाही और स्वामी शुरू हो गए। मैं इसी बीच सत्यार्थ को वाशरूम से लेकर आ गई। वार्ता अभी चल हीं रहा था, खाना आया नही था तो माँ-बेटा रेस्टरों के बाहर टहलने लगें। थोड़ी देर में खाना लेकर स्वामी प्रकट हुए और आगे की यात्रा प्रारम्भ हुई।
हनट्सविल होटेल पहुँच कर फ़्रेश हुए, खाना खाया और सो गए। हाँ एक और बात बतानी रह गई इस होटेल का मालिक एक इंडियन ही था। रेसेप्शन काउंटर पर एक गुजराती भाई था। अपने परिवार यानी एक बेटे और पत्नी के साथ होटेल के एक कमरे में हीं रहता था। हमें देख कर बड़ा ख़ुश हुआ। अपने बीबी-बच्चे से मिलाया। उसका बेटा सत्यार्थ से दो मन्थ हीं बड़ा था पर देखने में चार साल के बच्चे जैसा था। सत्यार्थ के बाल को देख साह भाई ने बताया कि दो दिन पहले हीं उन्होंने अपने बेटे का मुंडन किया था। घर पर हीं साह भाई ने बाल को सफ़ाचट कर दिया था। बड़ा हीं प्यारा बेटा था उनका। पर हम थके थे तो ज़्यादा समय उन्हें नही दे पाए।
रूम में जाने से पहले हमने सत्यार्थ के लिए मिल्क माँगा ( अमूमन यहाँ के सभी होटेल में छोटे बच्चे के लिए मिल्क मिल जाता है। कुछ जगहों पर आप पे करके ले सकतें है पर लगभग कई बार फ़्री हीं मिल जाता है) मिल्क के साथ वे सेब और ओटमिल का एक पैकेट लेते आए। साथ ही कोई ज़रूरत हो तो बताने को कहा।
होटेल का कमरा ठीक-ठाक ही था पर नल में दिक्कत थी। अभी वे हमारे कमरे के नल को ठीक हीं कर रहें थे कि, किसी दूसरे कमरे से स्मोक लाइट की प्रोब्लम आई। उनको आता हूँ कह कर साह भाई हमारे बाथरूम का नल ठीक करने लगे। साथ हीं अपनी व्यथा बताई की पूरे होटेल की ज़िम्मेदारी उनके ज़िम्मे हीं है। रेस्पशन से लेकर मेंटेंस तक। लोग रात को तीन-तीन बजे जगा देते हैं।
उनके जाने के बाद हमने थोड़ी देर उनके बारे में खाते हुए चर्चा की कि, यहाँ रहने के लिए लोग कई तरह के प्रयोग , तिडकम अपनाते हैं । उसमें भी ज़्यादा संख्या गुजराती, साउथ इंडियन और पंजाबियों की है। सोचिए होटेल के एक रूम में कैसे साह भाई अपने परिवार के साथ जीवन बिता रहें है।
सुबह जब हम नास्ते के लिए गए तो साह भाई की पत्नी ढोकला बना रही थी। होटेल के किचन का उपयोग वो अपने घर के काम के लिए भी करती थी। कारण रूम में तो गैस कनेक्शन है नही।फिर पता चला कि किसी इंडियन दुकान में वे ढोकला , थेपला और नमकीन बना कर देती है। पर हमें तो वही वेफल और ओट मिला। नास्ता के बाद हम निकल पड़े “यू एस स्पेस रोकेट साइन्स सेंटर” होटेल से ये दस मिनट की दूरी पर था।
स्पेस रोकेट साइन्स सेंटर , अलबमा और नासा ह्यसटन के बारे में फिर कभी लिख कर तस्वीरें लगाऊँगी। आज की तस्वीर पेंसाकोला बीच की। जो यहाँ से चार घंटे की दूरी पर है। इस बीच हमलोग एक और जगह गये जो अगले पोस्ट में दिखेगा। फ़िलहाल आज आपलोग समुन्दर तट की सैर करें ,काहे की गरमी बहुत है:)
तस्वीरें देखें आगे मैं यहाँ के बारे और लिखूँगी।
शुक्रवार की दोपहर से यात्रा प्रारम्भ हुई। बीच में एक -आध छोटे कोफ़ी -पानी ब्रेक के बाद, हमलोग छः घंटे की दूरी पर “हनट्सविल अलबमा” में रात को रुकें। हमने होटेल और आस-पास घूमने की जगह पहले से हीं बूक और तय करके रखा था।
नश्विल में रुक कर हमने खाना पैक करा लिया था। होटेल का गुजराती मालिक जबतक खाना पैक होता तबतक मोदी का गुणगान करने लगा। बिहार की राजनीति जाननी चाही और स्वामी शुरू हो गए। मैं इसी बीच सत्यार्थ को वाशरूम से लेकर आ गई। वार्ता अभी चल हीं रहा था, खाना आया नही था तो माँ-बेटा रेस्टरों के बाहर टहलने लगें। थोड़ी देर में खाना लेकर स्वामी प्रकट हुए और आगे की यात्रा प्रारम्भ हुई।
हनट्सविल होटेल पहुँच कर फ़्रेश हुए, खाना खाया और सो गए। हाँ एक और बात बतानी रह गई इस होटेल का मालिक एक इंडियन ही था। रेसेप्शन काउंटर पर एक गुजराती भाई था। अपने परिवार यानी एक बेटे और पत्नी के साथ होटेल के एक कमरे में हीं रहता था। हमें देख कर बड़ा ख़ुश हुआ। अपने बीबी-बच्चे से मिलाया। उसका बेटा सत्यार्थ से दो मन्थ हीं बड़ा था पर देखने में चार साल के बच्चे जैसा था। सत्यार्थ के बाल को देख साह भाई ने बताया कि दो दिन पहले हीं उन्होंने अपने बेटे का मुंडन किया था। घर पर हीं साह भाई ने बाल को सफ़ाचट कर दिया था। बड़ा हीं प्यारा बेटा था उनका। पर हम थके थे तो ज़्यादा समय उन्हें नही दे पाए।
रूम में जाने से पहले हमने सत्यार्थ के लिए मिल्क माँगा ( अमूमन यहाँ के सभी होटेल में छोटे बच्चे के लिए मिल्क मिल जाता है। कुछ जगहों पर आप पे करके ले सकतें है पर लगभग कई बार फ़्री हीं मिल जाता है) मिल्क के साथ वे सेब और ओटमिल का एक पैकेट लेते आए। साथ ही कोई ज़रूरत हो तो बताने को कहा।
होटेल का कमरा ठीक-ठाक ही था पर नल में दिक्कत थी। अभी वे हमारे कमरे के नल को ठीक हीं कर रहें थे कि, किसी दूसरे कमरे से स्मोक लाइट की प्रोब्लम आई। उनको आता हूँ कह कर साह भाई हमारे बाथरूम का नल ठीक करने लगे। साथ हीं अपनी व्यथा बताई की पूरे होटेल की ज़िम्मेदारी उनके ज़िम्मे हीं है। रेस्पशन से लेकर मेंटेंस तक। लोग रात को तीन-तीन बजे जगा देते हैं।
उनके जाने के बाद हमने थोड़ी देर उनके बारे में खाते हुए चर्चा की कि, यहाँ रहने के लिए लोग कई तरह के प्रयोग , तिडकम अपनाते हैं । उसमें भी ज़्यादा संख्या गुजराती, साउथ इंडियन और पंजाबियों की है। सोचिए होटेल के एक रूम में कैसे साह भाई अपने परिवार के साथ जीवन बिता रहें है।
सुबह जब हम नास्ते के लिए गए तो साह भाई की पत्नी ढोकला बना रही थी। होटेल के किचन का उपयोग वो अपने घर के काम के लिए भी करती थी। कारण रूम में तो गैस कनेक्शन है नही।फिर पता चला कि किसी इंडियन दुकान में वे ढोकला , थेपला और नमकीन बना कर देती है। पर हमें तो वही वेफल और ओट मिला। नास्ता के बाद हम निकल पड़े “यू एस स्पेस रोकेट साइन्स सेंटर” होटेल से ये दस मिनट की दूरी पर था।
स्पेस रोकेट साइन्स सेंटर , अलबमा और नासा ह्यसटन के बारे में फिर कभी लिख कर तस्वीरें लगाऊँगी। आज की तस्वीर पेंसाकोला बीच की। जो यहाँ से चार घंटे की दूरी पर है। इस बीच हमलोग एक और जगह गये जो अगले पोस्ट में दिखेगा। फ़िलहाल आज आपलोग समुन्दर तट की सैर करें ,काहे की गरमी बहुत है:)
तस्वीरें देखें आगे मैं यहाँ के बारे और लिखूँगी।
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