Sunday, 19 April 2015

Cheery blossom adventure part-2

जैसा कि आपसब ने पहले पढ़ा ,हमलोग गाड़ी की पार्किंग की तरफ जा रहे थे।पहले तो पढ़ने के लिए दिल दे धन्यवाद।तो चलिए मेरे साथ इस अचानक एडवेंचर पे।जीपीएस को बहुत बाद में न फॉलो करने का फैसला लिया गया,और अनुमान वाले रस्ते पे सब चले जा रहे थे जहां पडेस्ट्रियन नही था।सब परेशान क्या करे ?मुझे तो बहुत कोफ़्त हो रही थी लड़को से।लड़के चाहे शादी- शुदा हो या कुँवारे बस किसी लड़की की प्यारी सी आवाज सुनी और फॉलो करना शुरु।ये मैंने जीपीएस वाली लड़की के बारे में कहा :) ,भईया एक अनजान लड़की के बताये रास्ते पे जाना मंजूर लेकिन बीबी की बात नही मानेंगे।खैर अब लेट बात मानने से क्या फायदा ?अब तो और सबकी हालत ख़राब क्या करे आगे चलने का रास्ता नही।सबको थोड़ी भूख भी लग गई थी।वापस लड़को ने जीपीएस महारानी को फॉलो करने को कहा।हमलोग भी कुढ़ते हुए बताये रस्ते पे चलने लगे।लड़के लीड कर रहे थे। मैं और मिसेस शाक्या एक साथ चल रहे थे।हमसे दो चार कदम पीछे मिसेस बंसल और जैन चल रही थी।इसका कारण एक तो पेडेस्ट्रियन ज्यादा चौड़ी नही थी ,दूसरा मिसेस जैन को जूती की वजह से दिकत हो रही थी।मेरी इस ब्लॉग को पढ़ने वाली सारी महिलाओ को ये सुझाव है ,कभी भी ज्यादा घूमने वाली जगह पे हील या बिना मोज़े वाली जूती पहन के न जाये।चलने में तकलीफ के साथ पैर छिल भी जाते है।वैसे अगर आप फैशन से कोम्प्रोमाईज़ नही कर सकती तो बहुत अच्छा ,सुन्दर दिखना हर औरत अधिकार है :),हाँ तो हम चले जा रहे थे ,तभी मिसेस शाक्या को एक एक बिल्डिंग के आगे "यूनाइटेड स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीस"लिखा दिखा।देखा तो मैंने भी था ,लेकिन मंजिल तक पहुचने के चक्कर में क़ुछ कहा नही।तभी वो बोली हद है ,यहाँ तो पीस (शांति ) का भी इन्स्टिटूट खोल रखा है।हमारे इंडिया में तो रिक्से वाला भी ज्ञान देता है।हमसब उनकी बातो से हँस पड़े।चलो इसी बहाने मूड थोड़ा ठीक हुआ।मैं चलते हुए सोच रही थी कि ,मिसेस शाक्या ने ठीक ही तो कहा ,फिर क्यों कभी -कभी यही रिक्शे वाले सब भूल के सारी हदे पार कर जाते है।दोस्तों फिर मै कहानी भटक गई।थोड़ा भटकना भी चाहिए आखिर हम इंसान है :), अंततः हमलोग जे एफ कैनेडी आर्ट सेंटर पहुंचे जहाँ गाड़ी पार्क थी।लेकिन सबके होश ग़ुम,पता तो सही था ,लेकिन वहां पार्किंग नही थी।सबलोग शतेश को बोलने लगे कि ,कही पार्किंग वाली लड़की ने पार्किंग के बदले तुम्हे अपने घर का पता तो नही दिया।मिस्टर जैन ने कहा तपस्या मैंने तभी तुमको कहा था ,जब शतेश अड्रेस लेने में इतना टाइम ले रहा था। मैंने भी मुश्कुरा दिया उनकी बात सुन के।लड़के मजाक बे बिजी थे ,दिस इज़ कॉल्ड बॉयज स्पिरिट ,कहि भी फन ढूंढ लेते है।लड़कियों का चल -चल के हालत ख़राब था ,क्या करे नाजो वाली लडकियाँ बस थक चूर हो जाया करती है।माँ -बाप के प्यार की वजह से लडकिया थोड़ी नाजुक हो जाती है :),मजाक के बीच में मिस्टर शाक्या ने सुझाव दिया बिल्डिंग के गार्ड से पूछते है।अमेरिका में किसी से पता पूछना थोड़ा अटपटा है ,सब जीपीएस महारानी को ही फॉलो करते है।लेकिन कर भी क्या सकते थे महारानी ने एड्रेस तक तो पंहुचा ही दिया था।वो अलग बात थी, पार्किंग नही दिख रही थी।इस वक़्त इंडिया की याद आ गई।सबने मिस्टर शाक्या को बोला ठीक है ,पूछ के आओ हमलोग बिल्डिंग के पास इंतज़ार करेंगे।गॉर्ड ने बताया पता सही है ,थोड़ा आगे जाने पे पार्किंग है।हमारी जान में जान आई।हमलोग उत्साहित होक आगे बढ़ने लगे।लड़के तेज चल रहे थे।तभी मिस्टर नटखट जैन हसते बोले तुमलोग आगे मत आओ वरना हमलोग को मर डालोगी।बहुत शर्म के साथ कह  रहा हूँ ,कि आगे डेड एंड (कोई रास्ता नहीं ) है।वो हँसे जारहे ,हमें लगा अदतनुसार जैन जी मजाक कर रहे है। सो हमलोग भी पहुंच ही गए देखने।सच में रास्ता बंद था।वहां पे दुभ लगी थी।लड़कियों ने तय किया वो अब कहि नही जाएँगी ,लड़के गाड़ी ढूँढ के लए।आर्ट सेंटर मैं प्रोग्राम चल रहे थे ओपरा टाइप।हुमलोगो ने उसके आस -पास देखा लेकिन कहि पार्किंग नही दिखी।थक के हमलोग आर्ट सेंटर के पीछे बने स्लैब पे बैठ गए। लड़कियों ने ना हिलने का प्लान बनया और लड़को को गाड़ी ढूंढने भेज दिया। लड़को ने मोबाइल ऑन रखने को बोल कर, दो अलग दिशा में गाड़ी ढूंढने निकल पड़े।

क्रमशः ----

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