"लव इन द टाइम ऑफ़ कॉलरा नावेल "नावेल प्राइज विजेता गेब्रियल गार्सीअ मार्क्वेज़ ने लिखी है।आखिर जैसे -तैसे मैंने ये नावेल पढ़ ही डाली।मेरे जैसे -तैसे कहने से ये मतलब है कि ,ये नावेल बहुत ही सुस्त,अजीबो गरीब और थका देने वाली है। ऐसे लगता है कोई मैराथन चल रहा हो।शुरू में स्लो ,फिर स्पीड ,फिर स्लो, हे भगवान !कई बार किताब उठा के रख देने का मन होता है ,तो कई बार दो -चार पन्ने पढ़ने के बाद।कभी कहानी बहुत ही रोचक लगती है , तो कभी लगता है अभी कितना पढ़ना बाकि है?
वैसे मेरे लिए ये काफी कठिन है ,ऐसे महान व्यक्ति के नावेल के बारे में कुछ कहना।लेकिन एक पाठक के तौर पे मैं अपना मत तो दे ही सकती हूँ।इस नावेल
को पढ़ने के पीछे दो कारण थे,एक तो ये "मस्ट रीड बुक लिस्ट" में थी ,और दूसरा मार्क्वेज़(लेखक ) का "नावेल प्राइज विनर" होना।
को पढ़ने के पीछे दो कारण थे,एक तो ये "मस्ट रीड बुक लिस्ट" में थी ,और दूसरा मार्क्वेज़(लेखक ) का "नावेल प्राइज विनर" होना।
कहानी फ्लोरेंटीनो अरिज़ा(नायक)और फ़ेर्मिना दज़ा (नायिका ) की है।कही पर भी आप नायक या नायिका से खुद को जोड़ नहीं पाते।किताब में नायिका बहुत ही सुस्त,एमोशनलेस और मुझे तो बेवकूफ भी लगी।वही दूसरी तरफ नायक सेक्स अडिक्ट ,रेपिस्ट,चाइल्ड मोलेस्टर।मेरे हिसाब से आलसी,निकम्मा और दिमागी तौर से पागल भी होता है।फ्लोरेंटीनो को फ़ेर्मिना से प्यार हो जाता है। फ़ेर्मिना भी उससे प्यार करने लगती है। फ़ेर्मिना के पिता ने बताया कि ये प्यार नही भ्रम है।फ़ेर्मिना ने पिता की बात मान कर फ्लोरेंटीनो को शादी के लिए मना कर देती है।फ़ेर्मिना फिर अपने पिता और खुद की भी पसंद से एक अमीर डॉक्टर शादी कर लेती है।शादी के बाद वो अपने परिवार और जिम्मेदारी में लग जाती है।उधर फ्लोरेंटीनो फ़ेर्मिना को भूल नहीं पता है। वो सोचता है कि कब फ़ेर्मिना का पति मरेगा?उसके बाद वो उससे फिर से पा लेगा।हद तो ये है कि वो उसका इंतज़ार करता है,और इस इंतज़ार बीच उसने 622 औरतो सेसम्बन्ध बनता है।मुझे समझ नही आया ये कैसे इंतज़ार था। सबसे बुरा तो तब लगा जब एक 14 साल की बच्ची के साथ उसने 76 सालकी उम्र में सम्बन्ध बनाया। वो भी तब जब वो उसका गार्डियन था।बाद में उस लड़की ने आत्महत्या कर ली क्योकि फ्लोरेंटीनो उससे अपना नही रहा था।अपने से दोगुनी से भी काम उम्र की बच्ची के साथ शारीरिक सम्बन्ध ,ये कैसा प्यार था मालूम नही।आखिर कर उसका 51 साल ,9 महीने 4 दिन का इंतज़ार ख़त्म होता है। फ़ेर्मिना के पति की मौत होजाती है। जिस दिन उसका अंतिम संस्कार होता है ,उसी दिन वो फ़ेर्मिना को वापस से प्रोपोज़ करता है। फ्लोरेंटीनो फ़ेर्मिना से झूठ कहता है कि अब तक मैंने अपनी वर्जिनिटी तुम्हारे लिए बचा के रखी है।और जैसा की मैंने पहले कहा था की फ़ेर्मिना बेवकूफ औरत है। वो फ्लोरेंटीनो को हाँ कह देती है,और बुढ़ापे में ही सही दोनों मिल जाते है।
इस किताब में बहुत तरह के प्रेम को दिखाया गया है। लेकिन पढ़ने के बाद आप एक बार ये जरूर सोचते है कि , क्या वाकई ये प्यार है ? मार्क्विज़ की तारीफ करनी होगी की फ्लोरिनटिनो के इतने बुरा होने पे भी कभी - कभी लगता है उसे फ़ेर्मिना मिल जाये। किताब का नाम भी बहुत सही है एक तरह से फ्लोरेंटीनो का प्यार एक तरह की बीमारी ही है।वैसे किताब का नाम लव इन द टाइम ऑफ़ --- भी हो सकता था।
इस किताब में बहुत तरह के प्रेम को दिखाया गया है। लेकिन पढ़ने के बाद आप एक बार ये जरूर सोचते है कि , क्या वाकई ये प्यार है ? मार्क्विज़ की तारीफ करनी होगी की फ्लोरिनटिनो के इतने बुरा होने पे भी कभी - कभी लगता है उसे फ़ेर्मिना मिल जाये। किताब का नाम भी बहुत सही है एक तरह से फ्लोरेंटीनो का प्यार एक तरह की बीमारी ही है।वैसे किताब का नाम लव इन द टाइम ऑफ़ --- भी हो सकता था।
No comments:
Post a Comment