Thursday, 30 April 2015

chulbul ke bahane aur poddar aunti :)

जैसे कोई लेखक अपनी किताब को अपने परिवार या फ्रैंड्स को समर्पित करता है,या उनके सहयोग के लिए धन्यवाद देता है। वैसे ही आज की मेरी स्टोरी "निक्की " और "आशीष " के लिए है। निक्की और आशीष कब हमारे दोस्त से फैमिली बन गए हमे मालूम ही नही चला। शायद परदेश में हम दोनों को और उन दोनो को भी अपने घर की याद आती रही होगी ,और हमारा रिश्ता खुद ही बन गया।निक्की और आशीष के बारे में कभी और लिखूंगी।फिलहाल निक्की के कहने पे चुलबुल की कहानी तो पूरी कर दूँ।मुझे मालूम है मैं बहुत अच्छा तो नही लिखती पर लिख लेती हूँ।उनकी तारीफ से मुझे और लिखने की प्रेरणा मिली।थैंक्स निक्की और आशीष जिन्होंने ने मुझे कॉल किया और ख़ास कर लिखने को प्रोत्साहित किया।

अब कहानी वही से शुरू होती है ,जहां पिछली बार ख़त्म किया था। नटखट चुलबुल के बहाने स्कूल न जाने के। जैसा आपने पहले पढ़ा कि,चुलबुल का एडमिशन तो हो जाता है ,लेकिन वो ज्यादातर स्कूल से बाहर होता है। टॉयलेट जाना और पानी पीना उसके सबसे पसंदीदा बहाने थे।लेकिन पिछली बार मदन सर से पकडे जाने के बाद ,उसने नए बहाने इज़ाद करने के सोचे।आज की सुबह तो चुलबुल के लिए और भी तकलीफदेह थी ,एक तो स्कूल में पुरे टाइम रुकना और दूसरा शाम में मदन सर का टूशन क्लास।रात भर ठीक से सो भी नही पाया था। सपने में मदन सर उसे किसी राक्षस की तरह डरा रहे होंगे।सुबह हुई माँ उसे जगाते हुए बोली उठ जाओ चुलबुल स्कूल भी तो जाना है।चुलबुल उठा बाथरूम से आकर वापस सो गया।माँ क्या देखती है ,स्कूल के लिए तैयार होने की जगह चुलबुल सो रहा है ।माँ ने फिर से डांटा और कहा स्कूल नही जाना ?चुलबुल बोला अभी तो 9 :00 बज रहे है स्कूल10 :00 से होता है।माँ ने भी ध्यान नही दिया।थोड़ी देर के बाद माँ फिर से बोली तैयार होने को।  देखा तो चुलबुल ने कम्बल ओढ़ रखी थी ,और माँ से बोला बुखार लग रहा है।माँ ने कहा अगर झूठ बोल रहा होगा तो आज तो पिटाई पक्की।माँ पास जाके देखती है, तो चुलबुल का सिर थोड़ा गर्म था।माँ भी थोड़ी डर गई की अचानक बुखार कैसे?उसने चुलबुल से पूछा कल बर्फ(गोला ) खाया था क्या ? चुलबुल ने कहा नही तो। माँ ने सोचा थोड़ा देख के डॉक्टर के पास ले जायेंगे।चुलबुल की माँ लवली और चुलबुल के एक छींक से भी घबरा जाती थी।डॉक्टर से लेके भगवन के प्रसाद तक कुछ नही छोड़ती थी। भगवान भी सप्ताह में कुछ न कुछ अच्छा खाते रहते :) , माँ ने मुन्नी दीदी जो काम करती थी ,उनको कहा की रोटी और परवल की सब्जी बना के चुलबुल को खिलाये। ऐसा मानना है कि ,परवल (पटल ) की सब्जी खाने से पेट की गर्मी ख़त्म हो जाती है।माँ ने लवली को कहा वो स्कूल जाये चुलबुल नही जायेगा आज।लवली भी सोच रही थी ,काश उसे भी बुखार आया होता। स्कूल से छुट्टी के साथ सेवा भी और खाने के लिए अलग-अलग चीज़े भी :) लेकिन सब की किस्मत चुलबुल सा कहाँ ? दुखी मन से वो अकेले स्कूल गई।पांचवी घंटी में लवली क्या देखती है ,चुलबुल रोता हुआ माँ के साथ स्कूल आया है।माँ चुलबुल को स्कूल छोड़ के वापस चली गई।लवली सोचती है, चुलबुल के सुबह का बुखार और माँ का प्यार अचानक सब ख़त्म कैसे ? स्कूल की छुट्टी हो गई।चुलबुल और लवली साथ घर आरहे थे।लवली ने चुलबुल के अचानक स्कूल आने के बारे में पूछा।चुलबुल बोला ये सब उस पोद्दारिन (पोदार आँटी )के कारन हुआ है।लवली ने पूछा वो कैसे ?चुलबुल बोला सुबह मैं उनके यहां से प्याज मांग कर लाया था ,जब बाथरूम गया था तब।दो प्याज़ क्या दिए माँ को बता दिया।चुलबुल के यहां प्याज या लहसन जब कोई गेस्ट या उसके चाचा चाची आते तभी बनता था।ऐसे में उसके घर प्याज़ था नही। उसने कहीं सुन रखा था ,की प्याज को कांख में दबा के सो जाने से फीवर हो जाता है।उसने ट्राय किया और बॉडी हल्का गर्म हो गया।इसका कारण प्याज़ था ,या कम्बल जो उसने ओढ़ रखा था, मालूम नही।चुलबुल की माँ थोड़े देर से ऑफिस जा रही थी,ऑफिस भी कॉलोनी में ही एक कोने में बना है।बाहर उनको पोदार आँटी मिल गई।पोदार आंटी माँ के ऑफिस स्टाफ की वाइफ है।लगभग सारे स्टाफ एक ही कॉलोनी में रहते है।माँ के देर से ऑफिस जाने की वजह पूछी।माँ ने बताया चुलबुल की तबियत थोड़ी ठीक नही है ,इसलिए देर से जा रही है। माँ जैसे ही आगे बढ़ी वो पीछे से पूछती है ,चुलबुल की माँ घर से कोई आया है क्या ? माँ ने कहा नही तो ,ऐसा क्यों पूछ रही है।फिर उन्होंने कहा चुलबुल सुबह प्याज लेने आया था, तो मुझे लगा कोई आया होगा।माँ रास्ते से वापस घर आ गई, और चुलबुल से इस बारे में पूछा।चुलबुल की पोल खुल गई थी। अब माँ की बारी थी ,सुबह का सारा प्यार निकलने की :) चुलबुल पे हाथ साफ करने के बाद उसे वैसे ही स्कूल ले आई।लवली खुश हो रही थी ,की अच्छा हुआ उससे इस तरह का बुखार नही हुआ। अब इंतज़ार था शाम में मदन सर के टूशन का :)

महत्वपूर्ण :-मुझे नही मालूम की सच में प्याज़ से बुखार होता है ,या सिर्फ थोड़ा शरीर गर्म हो जाता है।लेकिन इतना याद है ,कहि तो 6 /7 क्लास में पढ़ा था ,की प्याज़ हवा में मौजूद वाइरस और बैक्टेरिया को अपनी तरफ खींचता है ,अगर इसे कटा हुआ छोड़ दे तो।गूगल किया तो ये कुछ लोगो ने हाँ और कुछ लोगो ने ना में वोट दिया है।अगर आप को शक है ,तो देर  किस बात कि ,नुस्खा आसान है कभी भी आज़मा सकते है :)





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